गुजरात के गांधीनगर स्थित रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय के माध्यम से देश में रक्षा क्षेत्र में बढ़ते कदम

आज विश्व स्तर पर जिस प्रकार के नए समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं उसमें हमारी रक्षा तैयारी पुख्ता रहनी चाहिए। वैसे तो भारत अहिंसा का उपासक रहा है लेकिन आत्म रक्षा में शक्ति प्राप्त करना भी हमारी प्राचीन संस्कृति रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 07 Oct 2020 09:34 AM (IST) Updated:Wed, 07 Oct 2020 09:36 AM (IST)
गुजरात के गांधीनगर स्थित रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय के माध्यम से देश में रक्षा क्षेत्र में बढ़ते कदम
गुजरात के गांधीनगर स्थित रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय।

गौरव कुमार। देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की पहल के साथ सरकार रक्षा क्षेत्र को ज्ञान-विज्ञान और आधुनिक तकनीक से भी लैस करना चाहती है। रक्षा विश्वविद्यालय इसी पहल का नतीजा है, जिसके माध्यम से देश में रक्षा क्षेत्र के अध्ययन को व्यापक, विस्तृत और सुदृढ़ बनाया जाना है। पिछले दिनों संसद के मानसून सत्र में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक 2020 को मंजूरी प्रदान की गई। इसमें गुजरात के गांधीनगर स्थित रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय को उन्नत करके राष्ट्रीय महत्व की संस्था का दर्जा देने का प्रस्ताव किया गया है।

आज यह जरूरी है कि पुलिस से जुड़े क्षेत्र और नई तकनीक को लेकर शोध हो सके। यह भी जरूरी है कि हम इस क्षेत्र में निर्यातक बनें। इस दिशा में यह विश्वविद्यालय काफी मददगार होगा। प्रस्तावित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय अनुसंधान एवं विभिन्न पक्षकारों के साथ सहयोग के माध्यम से नई जानकारियां सृजित करेगा तथा पुलिस व्यवस्था, दंड, न्याय प्रणाली एवं प्रशासन सुधार के संबंध में विशेष ज्ञान एवं नए कौशल, प्रशिक्षण जरूरतों को यह पूरा करेगा। यह न केवल देश में रक्षा अध्ययन और अनुसंधान के लिए, बल्कि भारत के रक्षा क्षेत्र और विभिन्न राज्यों के पुलिस बालों के प्रशिक्षण के लिए भी एक बड़ा कदम है। देश में यह समय की मांग है कि देश की सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा के लिए एक शैक्षणिक शुरुआत हो।

गौरतलब है कि रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2009 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। यह सुरक्षा के सभी क्षेत्रों में एक पूर्ण शैक्षिक आधार प्रदान करता है।यह दिखाता है कि वर्तमान केंद्र सरकार के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता में है। मोदी सरकार देश को रक्षा क्षेत्र में केवल आत्मनिर्भर ही नहीं बनाना चाहती है, बल्कि इसका ध्येय देश को निर्यातक के रूप में भी प्रतिष्ठित करना है। रक्षा क्षेत्र में मानव संसाधन भी एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। गत 15 अगस्त को ही प्रधानमंत्री ने सीमा और तटीय सुरक्षा के लिए 10,000 समर्पित कैडेट कोर का निर्माण करने की घोषणा की थी। इसके अलावा रक्षा और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कौशल विकास की भी सरकार के पास बड़ी योजना है।

अभी हाल में 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस फैसले से रक्षा उत्पादन के मामले में स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिलेगा। इस तरह के कई प्रयास सरकार द्वारा किए जा रहे हैं। बहरहाल आज विश्व स्तर पर जिस प्रकार के नए समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं उसमें हमारी रक्षा तैयारी पुख्ता रहनी चाहिए। वैसे तो भारत अहिंसा का उपासक रहा है, लेकिन आत्म रक्षा में शक्ति प्राप्त करना भी हमारी प्राचीन संस्कृति रही है और नि:संदेह हम एक मजबूत लोकतांत्रिक सरकार के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त कर रहे हैं।

(लेखक लोक नीति विश्लेषक हैं)

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