आइआइटी के स्टार्ट-अप ने पोर्टेबल अस्पताल विकसित किया, कोरोना से लड़ाई में मिलेगी मदद
इस तकनीक के माध्यम से तीन हफ्ते के भीतर ही 100 बेड का अस्पताल तैयार किया जा सकता है। मेडिकैब अस्पताल (MediCAB hospitals) में एक आइसीयू जोन भी होगा जिसमें जीवन रक्षक उपकरणों को लगाया जा सकता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। मद्रास आइआइटी के एक स्टार्ट-अप ने पोर्टेबल अस्पताल विकसित किया है। सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने रविवार को यह जानकारी दी। इस तकनीक के माध्यम से तीन हफ्ते के भीतर 100 बेड का अस्पताल तैयार किया जा सकता है। मेडिकैब अस्पताल में एक आइसीयू जोन भी होगा, जिसमें जीवन रक्षक उपकरणों को लगाया जा सकता है। ऐसे अस्पातल 25 वर्षो तक बने रह सकते हैं। जरूरत के मुताबिक इन्हें एक हफ्ते के भीतर एक जगह से दूसरी जगह भी ले जाया जा सकता है।
प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने कहा कि ऐसे अस्पतालों से देश के ग्रामीण और छोटे शहरों में अस्पतालों की कमी को दूर करने के साथ ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भी मदद मिलेगी। देश के विभिन्न हिस्सों में इस प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए धन की व्यवस्था की जा रही है। इशके साथ ही निजी क्षेत्र की कंपनियों, संगठनों और व्यक्तियों को राष्ट्रीय महत्व की विभिन्न परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
वहीं, स्टार्ट-अप मॉड्यूलस हाउसिंग ने अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन (एआईएफ) की मदद से मेडिकैब एक्सटेंशन अस्पतालों की तैनाती शुरू कर दी है। मास्टरकार्ड, टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स, जस्कलर, पीएनबी हाउसिंग, लेनोवो और नैसकॉम फाउंडेशन ने भी सीएसआर का समर्थन किया है। 100 बिस्तरों वाले अस्पतालों का पहला बैच बिलासपुर (छ.ग.); अमरावती, पुणे और जालना (महाराष्ट्र); मोहाली (पंजाब), और रायपुर (छ.ग.) में 20 बिस्तरों वाला अस्पताल चालू किया जा रहा है। पहले चरण में बेंगलुरु (कर्नाटक) में 20, 50 और 100 बिस्तरों वाला अस्पताल तैयार होगा।
इसमें कहा गया है किपीएसए के कार्यालय ने पंजाब और छत्तीसगढ़ में कई साइटों पर मॉड्यूलर अस्पतालों को तैनात करने के लिए टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के साथ भी सहयोग किया है। उन्होंने गुरदासपुर और फरीदकोट (पंजाब) में 48 बिस्तरों वाले मॉड्यूलर अस्पतालों पर काम शुरू किया है। रायपुर, जशपुर, बेमेतरा, कांकेर और गौरेला सहित छत्तीसगढ़ के कई अस्पतालों में आईसीयू का विस्तार किया जा रहा है।