लंबी लड़ाई के बाद आइएएस अफसर को मिला एक साल का वेतन, लेकिन ज्वाइनिंग नहीं मिली

सामान्य प्रशासन विभाग ने पिछले सप्ताह मीणा को छह फरवरी 2019 से 31 जनवरी 2020 तक का वेतन भुगतान करने के आदेश जारी कर दिए।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 23 Feb 2020 08:01 PM (IST) Updated:Sun, 23 Feb 2020 08:01 PM (IST)
लंबी लड़ाई के बाद आइएएस अफसर को मिला एक साल का वेतन, लेकिन ज्वाइनिंग नहीं मिली
लंबी लड़ाई के बाद आइएएस अफसर को मिला एक साल का वेतन, लेकिन ज्वाइनिंग नहीं मिली

भोपाल, राज्य ब्यूरो। 2001 बैच के मणिपुर-त्रिपुरा कैडर के आइएएस अधिकारी मोहनलाल मीणा को लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश सरकार ने एक साल का वेतन दे दिया। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने 20 फरवरी के पहले वेतन भुगतान करने के आदेश दिए थे। हालांकि, सरकार ने उन्हें अभी तक ज्वाइनिंग नहीं दी है।

मणिपुर में मीणा को खतरे की वजह से केंद्र ने मध्य प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर भेजा था

गौरतलब है कि मणिपुर में मीणा की जान को खतरा है, इसके चलते केंद्र सरकार ने उन्हें वर्ष 2010 में मध्य प्रदेश प्रतिनियुक्ति पर भेजा था।

कैडर का निर्धारण नहीं होने के कारण सरकार ने मीणा को कार्यमुक्त कर दिया था

संवर्ग (कैडर) का निर्धारण नहीं होने के कारण सरकार ने उन्हें फरवरी 2019 में एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया था, जिसके खिलाफ मीणा ने कैट में याचिका दायर की थी।

संवर्ग निर्धारण के लिए केंद्र सरकार ने मांगी मोहलत, 24 जनवरी को फिर हो सकती है सुनवाई

इस मामले में केंद्र सरकार ने कैट से मोहलत मांगी है। 20 फरवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन हड़ताल और अवकाश होने से मामला टल गया। अब 24 फरवरी को सुनवाई होने की संभावना है।

2019 में मणिपुर की खुफिया पुलिस की रिपोर्ट- मीणा की जान को खतरा बरकरार

सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने मीणा को मणिपुर में उग्रवादी संगठनों की ओर से जान का खतरा होने की खुफिया रिपोर्ट के मद्देनजर 2010 में मध्य प्रदेश प्रतिनियुक्ति पर भेजा था। सामान्यत: प्रतिनियुक्त पांच साल की होती है और इसे अधिकतम तीन साल बढ़ाया जा सकता है। वर्ष 2018 में प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने के बाद फरवरी 2019 में केंद्र सरकार ने मीणा को मूल संवर्ग में वापस करने के लिए पत्र लिखा। इसके आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया, जबकि, 21 जनवरी 2019 को मणिपुर की खुफिया पुलिस ने रिपोर्ट भेजी थी कि मीणा की जान को खतरा बरकरार है।

 सभी रास्ते बंद होने पर मीणा ने कैट के समक्ष याचिका दायर की

उन्होंने मुख्य सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों के सामने पक्ष भी रखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सभी रास्ते बंद होने पर मीणा ने कैट के समक्ष याचिका दायर की।

संवर्ग का निर्धारण होने तक मध्य प्रदेश में ही रहने के निर्देश

इस पर कैट ने उन्हें राहत देते हुए संवर्ग का निर्धारण होने तक मध्य प्रदेश में ही रहने के निर्देश दिए, लेकिन इसे राज्य सरकार ने न मानते हुए केंद्र सरकार से मार्गदर्शन मांग लिया। मामला लंबा खिंचता देख मीणा फिर कैट पहुंचे और न्याय की गुहार लगाई। इस पर सामान्य प्रशासन विभाग ने पिछले सप्ताह मीणा को छह फरवरी 2019 से 31 जनवरी 2020 तक का वेतन भुगतान करने के आदेश जारी कर दिए। यह राशि लगभग साढ़े नौ लाख रुपए होती है। अब संवर्ग के मामले का फैसला होना है। प्रमुख सचिव कार्मिक दीप्ति गौड़ मुकर्जी ने बताया कि मीणा के वेतन भुगतान के आदेश जारी कर दिए गए हैं।

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