आखिर बच्‍चों के लिए कितनी कारगर है वैक्‍सीन? जानें क्‍लीनिकल ट्रायल की रिपोर्ट- एक्‍सपर्ट व्‍यू

कंपनी के इस ट्रायल में 374 बच्चों में बहुत ही हल्के या कम गंभीर लक्षण दिखे जिनमें से 78.6 फीसद एक ही दिन में ठीक हो गए। इसमें इंजेक्शन लगने की जगह पर दर्द होना सबसे कामन इफेक्ट में से एक रहा।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Wed, 05 Jan 2022 12:26 PM (IST) Updated:Wed, 05 Jan 2022 03:47 PM (IST)
आखिर बच्‍चों के लिए कितनी कारगर है वैक्‍सीन? जानें क्‍लीनिकल ट्रायल की रिपोर्ट- एक्‍सपर्ट व्‍यू
आखिर बच्‍चों के लिए कितनी सुरक्षित है कोवैक्‍सीन? जानें कितना सफल रहा क्‍लीनिकल ट्रायल। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रान के कहर के बीच भारत सरकार ने 15 से 18 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए कोवैक्सीन के प्रयोग को मंजूरी दी है। कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने बच्चों पर कोवैक्सीन (BBV152) के फेज 2 और फेज-3 के क्लिनिकल ट्रायल के परिणाम जारी किए हैं। कोवैक्सीन के फेज-2 एवं 3 ट्रायल के डेटा जारी होने से दो साल तक की उम्र के बच्चों के भी कोरोना वैक्सीनेशन शुरू होने की उम्मीद है।

1- हालांकि कंपनी ने क्लिनिकल के नतीजों को जारी करते हुए कहा है कि उसकी वैक्‍सीन के क्लिनिकल ट्रायल में दो से 18 वर्ष की उम्र के बच्‍चों को सुरक्षित सहने योग्‍य और इम्‍युनोजेनिक पाया गया है। भारत बायोटेक कंपनी का कहना है कि उसने जून और सितंबर 2021 के दौरान 2-18 साल की उम्र के बच्चों पर कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल किए, जिनमें इस वैक्सीन को बच्चों के लिए बेहद सुरक्षित पाया गया।

2- कंपनी का दावा है कि इसके इस्‍तेमाल से कोई गंभीर साइड इफेक्‍ट नजर नहीं आया। दो से 18 वर्ष के बच्‍चों के 525 बच्‍चों पर किया गया फेज दो और तीन का क्‍लीनिकल ट्रायल सफल रहा। कंपनी के इस ट्रायल में 374 बच्चों में बहुत ही हल्के या कम गंभीर लक्षण दिखे, जिनमें से 78.6 फीसद एक ही दिन में ठीक हो गए। इसमें इंजेक्शन लगने की जगह पर दर्द होना सबसे कामन इफेक्ट में से एक रहा। वह एक दिन में ठीक हो गए।

3- यशोदा हास्पिटल के एमडी पीएन अरोड़ा का कहना है कि बायोटेक कंपनी कि 2 से18 साल की उम्र के बच्चों के ट्रायल के पर‍िणाम यह दिखाते हैं कि कोवैक्सीन छोटी उम्र के बच्चों पर भी इस्तेमाल के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। बच्चों पर कोवैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल का डेटा बहुत ही उत्साहनजक है। बच्चों के लिए वैक्सीन की सुरक्षा महत्वपूर्ण है। उन्‍होंने कहा कि ओम‍िक्रान वायरस के प्रकोप को देखते हुए कोवैक्सिन अब बच्चों में सुरक्षा और प्रतिरक्षण क्षमता के लिए डेटा वरदान साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत ने वयस्कों के लिए एक सुरक्षित और प्रभावशाली कोरोना वैक्सीन विकसित करने के अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है।

4- भारत बायोटेक ने बताया है कि 2-18 साल के 525 बच्चों पर कोवैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल किया गया था। कोवैक्सीन के बच्चों पर ट्रायल में एक खास बात सामने आई कि इससे बच्चों में वयस्कों की तुलना में ज्यादा एंटीबाडीज बनीं। इस ट्रायल में बच्चों को तीन समूहों 1 में 12-18 साल (175 बच्चे), ग्रुप-2 में 6-12 साल (175 बच्चे), और ग्रुप-3 में 2-6 साल (175 बच्चे) में बांटा गया था। इसमें एक एज ग्रुप के बच्चों को कोवैक्सिन की दो डोज का टीका लगाया गया था, जो वयस्कों में इस्तेमाल किए जाने वाले डोज के ही समान था।

5- गौरतलब है कि 3 जनवरी, 2022 से पहली बार बच्चों का कोरोना वैक्सीनेशन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। सबसे पहले 15-18 साल की उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन होगा। इस एज ग्रुप के बच्चों के लिए भारत बायोटेक कंपनी की कोवैक्सीन को मंजूरी दी गई है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर को 15-18 साल के बच्चों का कोरोना वैक्सीनेशन शुरू किए जाने के साथ ही 10 जनवरी 2022 से हेल्थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60+ कोमार्बिडिटी वाले लोगों को प्रिकाशन डोज लगाए जाने की घोषणा की थी।

नेजल वैक्सीन की तैयारी में है भारत बायोटेक

वर्ष 2022 में भारत बायोटेक नेजल वैक्सीन लाने की तैयारी में है। नेजल वैक्सीन को भारत बायोटेक और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन मिलकर बना रहे हैं। भारत बायोटेक का लक्ष्य 2022 में नेजल वैक्सीन की 100 करोड़ डोज बनाने का है। नेजल वैक्सीन सिंगल डोज होगी, जिसे इंजेक्शन के बजाय नाक के जरिए दिया जाएगा। इसलिए इसे इंट्रानेजल वैक्सीन भी कहा जाता है।

दुनिया में किन देशों में लगी बच्चों को वैक्सीन

छोटे बच्चों को वैक्सीन दिए जाने की चर्चा पूरी दुनिया में लंबे समय से चल रही है। कई देश 2-17 साल के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन शुरू भी कर चुके हैं, लेकिन भारत समेत दुनिया के कई देशों में बच्चों के वैक्सीनेशन की शुरुआत होना अभी बाकी है। भारत में सबसे पहले 12-17 साल के बच्चों में वैक्सीनेशन शुरू करने की तैयारी है। अभी दुनिया में 30 से अधिक देशों में ही बच्चों का कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हुआ है। हालांकि, अलग-अलग देशों में अलग उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन हो रहा है। जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, आस्ट्रेलिया जैसे देशों में 12 से अधिक, तो वहीं इटली, इजरायल जैसे देशों में पांच साल से अधिक, वहीं चीन, हांगकांग में तीन साल से अधिक तो क्यूबा और वेनेजुएला में दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन हो रहा है।

बच्‍चों को कितना प्रभावित करेगा ओमिक्रान

कोरोना के ओमिक्रान वैरिएंट को लेकर दुनिया की चिंता बढ़ती जा रही है। अब बड़ा सवाल यह है कि कोरोना का यह नया वैरिएंट बच्‍चों को कितना प्रभावित करेगा। वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने फिर चेताया है कि ओमिक्रान वैरिएंट से बच्चों और अनवैक्सीनेटेड लोगों में इंफेक्शन का खतरा अधिक है। दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रान के मामले बच्‍चों में भी बढ़ रहे हैं। उधर, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में बच्‍चों को खतरा और अधिक बढ़ गया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि वहां इस वैरिएंट से अधिक बच्चे संक्रमित हो रहे हैं। बत‍ा दें कि 24 नंवबर को दक्षिण अफ्रीका में सामने आए इस नए वैरिएंट की पहुंच भारत समेत दुनिया के 40 से ज्यादा देशों में हो चुकी है।

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