छत्तीसगढ़ के हेंमत ने रचा इतिहास, पहले पर्वतारोही बन 24 दिनों चल चलाया अभियान

हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में अवस्थित डोकरीनी ग्लेशियर समुद्र तट से 5600 मीटर व माउंट जॉली छह हजार मीटर की ऊंचाई पर है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Mon, 13 May 2019 11:06 PM (IST) Updated:Mon, 13 May 2019 11:06 PM (IST)
छत्तीसगढ़ के हेंमत ने रचा इतिहास, पहले पर्वतारोही बन 24 दिनों चल चलाया अभियान
छत्तीसगढ़ के हेंमत ने रचा इतिहास, पहले पर्वतारोही बन 24 दिनों चल चलाया अभियान

कोरबा (राज्‍य ब्‍यूरो)। उत्तराखंड में हुई बर्फबारी के बाद चले बचाव कार्य में शामिल हेंमत छत्तीसगढ़ के पहले पर्वतारोही बन गए हैं। वह साहसिक अभियान के हिस्‍सा थे। हैवी स्नो फॉल के बाद शुरू हुए रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान उन्होंने उत्तरकाशी स्थित माउंट जॉली पर्वतीय क्षेत्र पर डोकरीनीबामा ग्लेशियर के समीप बने बेस में 24 दिन बिताए। इस बीच माइनस तापमान पर कठिन परिस्थितियों में रहते हुए अपनी टीम के साथ मुश्किल में फंसे एक सैलानी को भी बचाया।

रेस्क्यू सह प्रशिक्षण अभियान में उन्होंने पहले बर्फ का इग्लू व इग्लू केव बनाया, आपात स्थिति में अपनी व टीम का बचाव करने का गुर सीखते हुए बिना भोजन सामग्री सिर्फ चाय के सहारे इग्लू में रात भी गुजारी।

हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में अवस्थित डोकरीनी ग्लेशियर समुद्र तट से 5600 मीटर व माउंट जॉली छह हजार मीटर की ऊंचाई पर है। इस पर्वतीय क्षेत्र में ग्लेशियर के समीप ही जिले के युवा पर्वतारोही हेमंत गणेश्वर ने तीन अप्रैल से 26 अप्रैल के बीच कठिन परिस्थितियों में राष्ट्रीय स्तर के रेस्क्यू सह खोज एवं बचाव प्रशिक्षण के 24 दिन के अभियान में शामिल होकर लौटे हैं।

उन्होंने बताया कि जब पर्वतारोही दल किसी साहसिक अभियान में जाते हैं, तो मौसम के खराब हो जाने, विपरीत परिस्थितियों में आहत होने, दुर्घटना में घायल हो जाने, बीमार होने, ग्लेशियर की दरारों में गिर जाने, पत्थरों से टक्कर लगने की स्थिति में जल्द से जल्द उपचार कर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना होता है। खुद को और अपनी टीम की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए कठिन हालात में दूसरों की मदद करना ही इस अभियान का मुख्य उद्देश्य रहा।

खोज एवं बचाव करते वक्त अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन का कम होना व चारों ओर बर्फ की मोटी चादर में अभियान चलाना बड़ी कठिन चुनौती होती है। सभी प्रकार के रेस्क्यू की विधियों का सटीक इस्तेमाल कर खुद को किसी भी परिस्थिति में जिंदा रखने का हुनर सीखना और मुश्किल में फंसे एक व्यक्ति के बचाव के अभियान में शामिल होना मेरे लिए गर्व की अनुभूति है।

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