स्टेम सेल के प्रयोग से हार्ट फेल होने के बाद भी सही से धड़केगा दिल, ये हैं हार्ट अटैक के लक्षण

शोधकर्ताओं के अनुसार स्टेम सेल का प्रयोग कर नष्ट हुई हृदय की मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं को पुनर्जीवित किया जा सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 05 Aug 2019 09:39 AM (IST) Updated:Mon, 05 Aug 2019 02:45 PM (IST)
स्टेम सेल के प्रयोग से हार्ट फेल होने के बाद भी सही से धड़केगा दिल, ये हैं हार्ट अटैक के लक्षण
स्टेम सेल के प्रयोग से हार्ट फेल होने के बाद भी सही से धड़केगा दिल, ये हैं हार्ट अटैक के लक्षण

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। नेचर बायोटेक्नोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, लंदन स्थित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने हार्ट फेल के उपचार में बड़ी सफलता हाथ लगने का दावा किया है। शोधकर्ताओं ने स्टेम सेल का प्रयोग कर हृदय के क्षतिग्रस्त भागों को ठीक करने में सफलता हासिल की है।

शोधकर्ताओं ने चूहों के बुरी तरह क्षतिग्रस्त हृदय का उपचार करने के लिए इंसानी हृदय के विभिन्न हिस्सों से ली गई दो प्रकार की स्टेम कोशिकाओं का प्रत्यारोपण किया। नतीजे चौंकाने वाले रहे। इस तकनीक की मदद से नष्ट हुई हृदय की मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं को पुनर्जीवित किया जा सकता है।

तेजी से हो रहा स्टेम सेल का उपयोग
चिकित्सा विज्ञान में स्टेम सेल का उपयोग तेजी से किया जा रहा है, क्योंकि उनमें क्षतिग्रस्त या मृत ऊतकों को पुनर्जीवित करने की क्षमता होती है। ये कोशिकाएं हड्डी, मांसपेशियों, तंत्रिका, त्वचा, अंगों और शरीर के अन्य ऊतकों के आकार में विकसित हो सकती हैं।

ये रोगी हो सकते हैं लाभान्वित
संभावित रोगी जो एक दिन स्टेम सेल थेरेपी से लाभान्वित हो सकते हैं, उनमें रीढ़ की हड्डी में चोट, अल्जाइमर या पार्किंसंस रोग, स्ट्रोक , कैंसर और गठिया वाले लोग शामिल हैं।

इंसानों में विफल रहा प्रयोग
अतीत में हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं को इंसानी हृदय में प्रत्यारोपित करने की कोशिश विफल रही है, क्योंकि कोशिकाएं कुछ ही दिनों में मर गईं, लेकिन सहायक कोशिकाओं के जुड़ने से हृदय की कोशिकाओं को विकसित होने और परिपक्व होने में मदद मिली और नए ऊतक बने।

हार्ट फेल के मायने
हार्ट फेल होने का सीधा-सा मतलब होता है कि ये पूरे शरीर में खून को पंप करने में अक्षम हो चुका है। हार्ट फेल आमतौर पर तभी होता है जब हृदय बहुत कमजोर या वसायुक्त (सख्त) हो जाता है। इसका मतलब यह नहीं कि आपका हृदय काम करना बंद कर देता है। ऐसी स्थिति में बेहतर काम करने के लिए इसे थोड़ी मदद की जरूरत होती है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन अधिक उम्र होने पर इसकी आशंका ज्यादा होती है।

महिलाओं में हार्ट अटैक के दौरान कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें अनदेखा करना महंगा पड़ सकता है। आइए जानते हैं क्या हैं वो लक्षण जिन्हें महिलाओं को भूलकर भी अनदेखा नहीं करना चाहिए।

शरीर के ऊपरी भाग में तेज दर्द
गर्दन, पीठ, दांत, भुजाएं और कंधे की हड्डी में दर्द होना हार्ट अटैक के लक्षण हैं। इसे ‘रेडिएटिंग’ दर्द कहते हैं। यह इसलिए होता है, क्योंकि दिल की कई धमनियां यहां समाप्त होती हैं जैसे उंगलियों के पोर जहां दर्द केंद्रित होता है।

चक्कर आना
चक्कर आना या सिर घूमना हार्ट अटैक का एक अन्य लक्षण है। यह हृदय को जाने वाली एक शिरा में अवरोध होने के कारण होता है। जब महिलाओं को अपने अंदर ये बदलाव दिखे तो उन्हें सावधान हो जाना चाहिए। इसे काम के प्रेशर के चलते होने वाली कमजोरी या फिर कोई दूसरा कारण ना समझें। हार्ट अटैक के लक्षणों को अक्सर लोग मामूली समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, जिसके परिणाम बाद में झेलने पड़ते हैं।

सीने में दर्द
महिलाओं में हार्ट अटैक का लक्षण केवल सीने में दर्द नहीं हो सकता परंतु निश्चित तौर पर ऐसा होता है। लक्षणों पर ध्यान देने के बजाय यदि आप को कुछ नए लक्षण महसूस हो रहे हैं और वे दूर नहीं हो रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टरों के अनुसार, बाद में पछताने से अच्छा है कि सुरक्षित रहें।

जी मिचलाना, उलटी, पेट खराब होना
हार्ट अटैक के समय पुरुषों की तुलना में महिलाओं में जी मिचलाना, उलटी या अपचन जैसे लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। यह अक्सर इसलिए होता है, क्योंकि दिल को रक्त पहुंचाने वाली दायीं धमनी जो दिल में गहराई तक जाती है, अवरुद्ध हो जाती हैं।

सांस लेने में परेशानी
एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग 42% महिलाएं जिन्हें हार्ट अटैक आया उन्हें सांस लेने में परेशानी की समस्या का सामना करना पड़ा। हालांकि, पुरुषों में भी यह लक्षण होता है परंतु महिलाओं में सीने में दर्द के बिना सांस लेने में परेशानी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

पसीना आना
यदि आप रजोनिवृत्ति के दौर से नहीं गुजर रही हैं और फिर भी आपको अचानक पसीना आने लगे तो संभल जाएं। इस लक्षण की अनदेखी ना करें तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल या डॉक्टर से संपर्क करें।

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