केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बोले, 1.3 अरब आबादी की टेस्टिंग ना तो जरूरी और ना ही संभव

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में देश की 1.3 अरब आबादी की कोविड-19 जांच करना संभव नहीं है। जानें उन्‍होंने और क्‍या कहा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 28 May 2020 10:19 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 10:32 PM (IST)
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बोले, 1.3 अरब आबादी की टेस्टिंग ना तो जरूरी और ना ही संभव
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बोले, 1.3 अरब आबादी की टेस्टिंग ना तो जरूरी और ना ही संभव

नई दिल्ली, एजेंसियां। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में देश की 1.3 अरब आबादी की टेस्टिंग करने की ना तो जरूरत है और ना ही इतनी बड़ी जनसंख्या का कोविड-19 टेस्ट करना संभव है। उन्होंने इस वैश्विक संक्रमण का पता लगाने के लिए अधिकाधिक टेस्ट कराने की रणनीति को भारत के लिए कारगर न मानते हुए कहा कि देश की मौजूदा टेस्टिंग रणनीति जरूरत के हिसाब से है। इस लिहाज से फिलहाल उन्हीं लोगों का परीक्षण किया जा रहा है जिनमें उसके लक्षण नजर आ रहे हैं या फिर उसे प्राथमिक रूप से अधिक खतरा है। हालांकि इसकी भी समय-समय पर बदलते हालात के अनुरूप समीक्षा की जा रही है।

देश में अब तक 32,44,884 जांचें 

हर्षवर्धन ने गुरुवार को देश में हो रहे परीक्षणों का ब्योरा देते हुए कहा कि 27 मई तक देश में प्रतिदिन परीक्षण की क्षमता 1.60 लाख थी। इस हिसाब से अब तक 32,44,884 परीक्षणों को अंजाम दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि मौजूदा रणनीति जरूरत के मुताबिक टेस्ट करने की है। अगर हम लगातार 1.3 अरब लोगों के बार-बार टेस्ट करना चाहेंगे तो यह बेहद खर्चीला उपाय है बल्कि यह सर्वाधिक आबादी वाले देशों में से एक देश के लिए संभव भी नहीं है। 

वैक्‍सीन बनाने में जुटी सरकार 

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) की एक प्रयोगशाला फरवरी के पहले हफ्ते में एक टेस्टिंग प्रयोगशाला से बढ़कर अब देश में 435 सरकारी लैबों समेत कुल 624 लैब बन चुकी हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि निजी और सरकारी साझेदारी में सरकार आपात स्थिति का मुकाबला करने के लिए कोविड-19 की वैक्सीन तैयार करने में जुटी हुई है। 

संक्रमण का सर्दी गर्मी से कोई लेना देना नहीं 

चांदनी चौक से सांसद हर्षवर्धन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देखरेख में भारत सरकार ने समय रहते कुछ बड़े फैसले लेने से अन्य देशों के मुकाबले यहां उस स्तर पर संक्रमण नहीं फैला है। भारत में फिलहाल हर लाख में 0.3 फीसद की दर से ही मौतें हुई हैं। जबकि अमेरिका और चीन जैसे देशों में मौतों का आंकड़ा कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि संक्रमण के फैलने से सर्दी-गर्मी का कोई लेना-देना नहीं है। यह हरेक मौसम वाले देशों में मौतों का आंकड़ा बढ़ाता रहा है। 

एम्‍स के निदेशक के आकलन को किया खारिज 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलारिया के कोविड-19 के पीक पर पहुंचने के आकलन को भी खारिज करते हुए कहा कि इस महामारी की भावी स्थिति का आकलन करना कठिन है। बहुत सारे अनुमानों पर आधारित गणितीय आकलन सटीक नहीं हो सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में कोविड-19 के 80 फीसद मामले एसिम्टोमैटिक यानी बहुत हल्के लक्षण वाले हैं। ऐसे मरीजों में या तो संक्रमण के लक्षण नजर ही नहीं आते हैं या फिर बेहद हल्के होते हैं। ऐसे मरीज ज्यादातर किसी संक्रमित हुए मरीज के कांटैक्ट होते हैं जो किसी न किसी समय में उनके संपर्क में आए होते हैं। हर्षवर्धन हाल ही में डब्लूएचओ के एक्जिक्यूटिव बोर्ड के प्रमुख बनाए गए हैं।

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