Surgical Strike2: मिराज का सबसे बड़ा एयरबेस ग्वालियर, कारगिल में भी निभाई थी अहम भूमिका

1965 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में ग्वालियर का ये महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन से लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 27 Feb 2019 09:39 AM (IST) Updated:Wed, 27 Feb 2019 09:39 AM (IST)
Surgical Strike2: मिराज का सबसे बड़ा एयरबेस ग्वालियर, कारगिल में भी निभाई थी अहम भूमिका
Surgical Strike2: मिराज का सबसे बड़ा एयरबेस ग्वालियर, कारगिल में भी निभाई थी अहम भूमिका

ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। इंडियन एयरफोर्स के मिराज एयरक्राफ्ट का ग्वालियर स्थित महाराजपुरा एयरबेस सबसे बड़ा स्टेशन है। इस बार हुई एयर स्ट्राइक में ही नहीं बल्कि 17 साल पहले भी मिराज कारगिल युद्ध में इतिहास लिख चुका है। देशभर में एयरफोर्स का ग्वालियर एयरबेस अहम माना जाता है। कारगिल युद्ध के समय मिराज ने ग्वालियर से उड़ान भरकर तीस हजार फीट की उंचाई से दुश्मन पर हमला किया था, जिसमें लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल किया गया था।

ज्ञात रहे कि दुश्मनों पर कहर बरपाने वाले मिराज एयरक्राफ्ट का बेस बना महाराजपुरा कारगिल युद्ध के समय ऑपरेशन 'सफेद सागर" में अपने जौहर दिखा चुका है। जब कारगिल की पहाड़ियों में छिपे दुश्मन ज्यादा हमलावर होने लगे तो उन्हें मारने की जिम्मेदारी ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस पर तैनात मिराज स्क्वॉड्रन को सौंपी गई थी।

देश में अहम है ग्वालियर एयरबेस

ग्वालियर का ये महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन 1942 में बना था और अब तक हुए युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है. 1965, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में इसी एयरफोर्स स्टेशन से लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी। ये स्टेशन देश का एकमात्र एयरबेस है, जहां फाइटर प्लेन में हवा में ईंधन भरा जा सकता है, यानी अगर युद्ध के दौरान उड़ान के वक्त किसी फाइटर प्लेन को ईंधन की जरूरत पड़ी तो इस एयरबेस पर तुरंत दूसरा जेट प्लेन हवा में जाकर ही उसे रिफ्यूल कर सकता है।

मिराज की खासियत मिराज-2000 फ्रांसीसी विमान है,ये अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है। इसका निर्माण फ्रांस की कंपनी डासो एविएशन ने किया है जिस कंपनी ने राफेल बनाया है। मिराज की लंबाई 47 फीट और इसका वजन 7500 किलो है। इसकी अधिकतम रफ्तार 2 हजार किमी प्रतिघंटा है। मिराज मल्टीरोल विमान है। यह एक समय में कई काम कर सकता है। यह हवा में भी मुकाबला करने में सक्षम है। मिराज विमान 13800 किलो गोला बारूद के साथ 2336 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से उड़ सकता है। पहली बार मिराज ने 1970 के दशक में उड़ान भरी थी। ये डबल इंजन वाला चौथी पीढ़ी का मल्टीरोल लड़ाकू विमान है। भारत ने 80 के दशक में पहली बार 36 मिराज खरीदने का ऑर्डर दिया था। 2015 में कंपनी ने अपग्रेडेड मिराज लड़ाकू विमान में नए रडार और इलेक्ट्रोनिक सिस्टम लगाया, जिससे इनकी टोही क्षमता और बढ़ गई।

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