अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के लिए विधेयक को अंतिम रूप दे रही केंद्र सरकार

सरकार के सूत्रों ने कहा कि विधेयक का मसौदा केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने पेश किए जाने से पहले इसकी विशेषताओं को उच्च न्यायपालिका के साथ साझा किया जाएगा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Tue, 26 May 2020 09:06 PM (IST) Updated:Tue, 26 May 2020 09:08 PM (IST)
अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के लिए विधेयक को अंतिम रूप दे रही केंद्र सरकार
अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के लिए विधेयक को अंतिम रूप दे रही केंद्र सरकार

नई दिल्ली, प्रेट्र। एक प्रवेश परीक्षा के माध्यम से अधीनस्थ न्यायालयों में अधिकारियों की भर्ती के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा स्थापित की जाएगी। इसके लिए सरकार एक विधेयक को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। अखिल भारतीय परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को उच्च न्यायालयों और राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त किया जाएगा। सरकार के सूत्रों ने कहा कि विधेयक का मसौदा केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने पेश किए जाने से पहले इसकी विशेषताओं को उच्च न्यायपालिका के साथ साझा किया जाएगा।

भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा की तर्ज पर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (एआइजेएस) का विचार आजादी के तुरंत बाद सामने आया था। इसके बाद एआइजेएस का प्रावधान 1976 में 42वें संशोधन के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 312 में शामिल किया गया। लेकिन इसके व्यापक संदर्भो पर निर्णय लेने के लिए अब भी एक विधेयक की जरूरत है। वर्तमान में न्यायिक अधिकारियों की भर्ती के लिए विभिन्न उच्च न्यायालय और राज्य सेवा आयोग परीक्षा आयोजित करते हैं।

चूंकि 25 में से अधिकतर उच्च न्यायालय निचली न्यायपालिका पर प्रशासनिक नियंत्रण बनाए रखना चाहते हैं, प्रस्तावित कानून उन्हें अधीनस्थ न्यायालयों में जजों को नियुक्त करने की अनुमति दे सकता है। संघ लोक सेवा आयोग निचली अदालतों में न्यायाधीशों की भर्ती के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित कर सकता है।

चूंकि निचली अदालतों में मामलों की सुनवाई स्थानीय भाषाओं में होती है, इसलिए कुछ लोग इस पर सवाल उठाते हैं कि उत्तर भारत का आदमी कैसे दक्षिण भारत में काम करेगा? लेकिन सरकार का कहना है कि आइएएस और आइपीएस अधिकारी भी विभिन्न राज्यों में भाषा की सीमाओं से परे जाकर सेवा करते हैं।

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