कैबिनेट का फैसला, एक-दूसरे के खिलाफ अदालत नहीं जाएंगे सरकारी विभाग
सरकार ने बुधवार को सरकारी विभागों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बीच व्यवसायिक विवादों के निपटारे के लिए एक नए तंत्र को मंजूरी दी।
style="text-align: justify;">नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वाणिज्यिक विवादों में सरकारी विभाग अब एक दूसरे के खिलाफ अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाएंगे। सरकार ने बुधवार को सरकारी विभागों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बीच व्यवसायिक विवादों के निपटारे के लिए एक नए तंत्र को मंजूरी दी। इस तंत्र के तहत कैबिनेट सचिव का निर्णय अंतिम होगा और संबंधित विभागों को मानना होगा। वे इस मामले को लेकर अदालत नहीं जा सकेंगे। हालांकि रेलवे, आयकर विभाग, कस्टम, उत्पाद शुल्क विभाग से संबंधित विवादों को इस नए तंत्र से बाहर रखा गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के बीच तथा अन्य सरकारी विभागों और संगठनों के साथ उनके वाणिज्यिक विवादों को निपटाने की प्रणाली को सशक्त बनाने को मंजूरी दी। मंत्रिमंडल ने सचिवों की एक समिति के सुझावों के आधार पर यह फैसला किया है। प्रस्तावित व्यवस्था में विभागों के बीच होने वाले विवादों को अदालत में जाकर निपटाने के बजाय एक सशक्त संस्थागत प्रणाली के जरिए अदालत से बाहर ही सुलझाने पर जोर दिया गया है।
नई व्यवस्था के तहत एक द्विस्तरीय प्रणाली विकसित की जाएगी जो व्यवसायिक विवाद निपटाने की मौजूदा व्यवस्था स्थायी मध्यस्थता प्रणाली (पीएमए) का स्थान लेगी। नई व्यवस्था के तहत प्रथम स्तर पर व्यवसायिक विवाद सचिवों की एक समिति को भेजा जाएगा। इस समिति में संबंधित विभाग के सचिव के साथ-साथ कानून मंत्रालय के सचिव भी होंगे। जिन मंत्रालयों के बीच विवाद है, उनके फाइनेंशियल एडवाइजर इस समिति के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे। अगर यह मामला एक मही मंत्रालय के अलग-अलग विभागों के बीच है तो इस समिति में संबंधित मंत्रालय के सचिव के साथ कानून मंत्रालय के सचिव और भारी उद्योग विभाग के सचिव भी बतौर सदस्य होंगे। ऐसी स्थिति में मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव और फाइनेंशियल एडवाइजर मामले में अपना-अपना पक्ष रखेंगे।
अगर प्रथम स्तर पर मामला नहीं सुलझता है और किसी पक्ष को शिकायत है तो मामला द्वितीय स्तर पर ले जाया जा सकेगा। द्वितीय स्तर पर मामला कैबिनेट सचिव के पास जाएगा जिनका निर्णय अंतिम होगा और सभी पक्षों को यह मानना होगा। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि सरकारी विभागों के बीच विवाद निपटाने की इस व्यवस्था से अदालती मामलों में कमी आएगी। कई मौकों पर अदालत ने भी सरकारी विभागों के बीच मुकदमेबाजी को लेकर सवाल उठाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के बीच तथा अन्य सरकारी विभागों और संगठनों के साथ उनके वाणिज्यिक विवादों को निपटाने की प्रणाली को सशक्त बनाने को मंजूरी दी। मंत्रिमंडल ने सचिवों की एक समिति के सुझावों के आधार पर यह फैसला किया है। प्रस्तावित व्यवस्था में विभागों के बीच होने वाले विवादों को अदालत में जाकर निपटाने के बजाय एक सशक्त संस्थागत प्रणाली के जरिए अदालत से बाहर ही सुलझाने पर जोर दिया गया है।
नई व्यवस्था के तहत एक द्विस्तरीय प्रणाली विकसित की जाएगी जो व्यवसायिक विवाद निपटाने की मौजूदा व्यवस्था स्थायी मध्यस्थता प्रणाली (पीएमए) का स्थान लेगी। नई व्यवस्था के तहत प्रथम स्तर पर व्यवसायिक विवाद सचिवों की एक समिति को भेजा जाएगा। इस समिति में संबंधित विभाग के सचिव के साथ-साथ कानून मंत्रालय के सचिव भी होंगे। जिन मंत्रालयों के बीच विवाद है, उनके फाइनेंशियल एडवाइजर इस समिति के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे। अगर यह मामला एक मही मंत्रालय के अलग-अलग विभागों के बीच है तो इस समिति में संबंधित मंत्रालय के सचिव के साथ कानून मंत्रालय के सचिव और भारी उद्योग विभाग के सचिव भी बतौर सदस्य होंगे। ऐसी स्थिति में मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव और फाइनेंशियल एडवाइजर मामले में अपना-अपना पक्ष रखेंगे।
अगर प्रथम स्तर पर मामला नहीं सुलझता है और किसी पक्ष को शिकायत है तो मामला द्वितीय स्तर पर ले जाया जा सकेगा। द्वितीय स्तर पर मामला कैबिनेट सचिव के पास जाएगा जिनका निर्णय अंतिम होगा और सभी पक्षों को यह मानना होगा। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि सरकारी विभागों के बीच विवाद निपटाने की इस व्यवस्था से अदालती मामलों में कमी आएगी। कई मौकों पर अदालत ने भी सरकारी विभागों के बीच मुकदमेबाजी को लेकर सवाल उठाया है।