केरल कलामंडलम में 90 साल के इतिहास में पहली बार कथकली में लड़कियों का हुआ प्रवेश

कथकली नृत्य कला का ऐसा रूप है जिसमें पुरुष ही भाग लेते हैं। महिला चरित्र भी पुरुष ही निभाते हैं। कलामंडल के कदम की दुनिया भर में सराहना की जा रही है। कुछ महिलाओं ने 1970 और 1990 से ही कथकली सीखना शुरू कर दिया था।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 09:35 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 09:35 PM (IST)
केरल कलामंडलम में 90 साल के इतिहास में पहली बार कथकली में लड़कियों का हुआ प्रवेश
कथकली पाठ्यक्रम के लिए नामांकन कराने वाले 10 विद्यार्थियों में से नौ लड़कियां

तिरुअनंतपुरम, आइएएनएस। दुनिया भर में नृत्य कला के केरल प्रारूप कथकली की शिक्षा देने वाले केरल कलामंडलम ने अपने 90 साल के इतिहास में पहली बार लड़कियों का भी नामांकन शुरू कर दिया है। कलामंडल की कक्षा सात में कथकली पाठ्यक्रम के लिए नामांकन कराने वाले 10 विद्यार्थियों में से नौ लड़कियां हैं।

कथकली नृत्य कला का ऐसा रूप है जिसमें पुरुष ही भाग लेते हैं। महिला चरित्र भी पुरुष ही निभाते हैं। कलामंडल के कदम की दुनिया भर में सराहना की जा रही है। कुछ महिलाओं ने 1970 और 1990 से ही कथकली सीखना शुरू कर दिया था।

विदेश की कुछ महिलाओं ने केरल में कथकली का लिया था प्रशिक्षण

केरल के जानेमाने कला समीक्षक केके गोपालकृष्णन ने अपनी शोध पुस्तक 'कथकली नृत्य - थिएटर' में कहा कि विदेश की कुछ महिलाओं ने केरल में कथकली के कुछ अल्पकालिक पाठ्यक्रमों का प्रशिक्षण लिया था। अधिकांश महिला कलाकारों को पूर्व में कथकली के सिद्धहस्त कलाकारों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया था, लेकिन यह पहला मौका है जब कलामंडलम लड़कियों को अपने दीर्घकालिक पाठ्यक्रम में शामिल कर रहा है।

छात्राओं के प्रवेश पर लंबे समय से थी मांग

केरल कलामंडलम के कुलपति टी.के. नारायणन ने मीडियाकर्मियों को बताया कि कलामदलम में छात्राओं को प्रवेश देने की कई तिमाहियों से लंबे समय से मांग थी और इस शैक्षणिक वर्ष में शासी निकाय ने छात्राओं को पूर्णकालिक कार्यक्रम में प्रवेश देने का निर्णय लिया है। स्कूल के दिनों से कलामंडलम में प्रशिक्षण छात्रों को विशेषज्ञों के शिक्षण और मार्गदर्शन और संस्थान के शिक्षकों के एक विविध पूल के बारे में बताएगा, जिनके पास विषय का बहुत बड़ा अनुभव और गहरा ज्ञान है।

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