भृगु की भूमि पर 'गंगा' के लिए जनसैलाब

महर्षि भृगु की तपोभूमि में मंगलवार को गंगा जागरण यात्रा के पहुंचते ही जैसे प्रकृति ने भी भृगु बाबा की महत्ता समझ अपनी लहरें समेट लीं। हफ्ते भर से अधिक समय से तपते सूरज की तेज किरणों को इंद्र ने बादलों की छांव दे दी। पवन ने पुरवइया की तरोताजा हवाओं से जागरण यात्रा का आसमानी स्वागत करना शुरू कर दिया।

By Edited By: Publish:Tue, 15 Jul 2014 08:28 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jul 2014 08:41 PM (IST)
भृगु की भूमि पर 'गंगा' के लिए जनसैलाब

बलिया। महर्षि भृगु की तपोभूमि में मंगलवार को गंगा जागरण यात्रा के पहुंचते ही जैसे प्रकृति ने भी भृगु बाबा की महत्ता समझ अपनी लहरें समेट लीं। हफ्ते भर से अधिक समय से तपते सूरज की तेज किरणों को इंद्र ने बादलों की छांव दे दी। पवन ने पुरवइया की तरोताजा हवाओं से जागरण यात्रा का आसमानी स्वागत करना शुरू कर दिया।

इधर, मानो जनसैलाब उमड़ पड़ा स्वागत को। कोरंटाडीह से मांझी तक 110 किलोमीटर की दूरी में यात्रा के स्वागत को 111 तोरण द्वार बनाए गए थे। सभी पड़ाव पर स्वागत की होड़। हर जगह सैकड़ों की संख्या में लोगों ने किया अभूतपूर्व स्वागत। छात्र-छात्राओं ने प्रार्थना के साथ जलकलश की आरती उतारी, जन संगठनों ने फूल-मालाओं और पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया। महिलाओं ने मंगल गीत गाया। गाजा-बाजा, उत्साह-उमंग और इसी के बीच जयकारे के साथ हाथ उठाकर संकल्प - 'गंगा तुझे बचाएंगे, तेरे जल को अमृत बनाएंगे'।

गाड़ियों के लंबे काफिले के साथ चल रही गंगा जागरण यात्रा का नरहीं में सबसे अलग और अभूतपूर्व स्वागत हुआ। कसी भीड़ ने गाजे-बाजे के साथ रथ की अगवानी की। जल कलश के आगे स्थानीय स्तर पर मिलने वाले फूलों-फलों व मिष्ठान से अभ्यर्थना कर धूप जलाए गए और सविधि आरती उतारी गई।

फेफना में प्रदेश सरकार के पिछड़ा वर्ग एवं विकलांग कल्याण मंत्री अंबिका चौधरी ने यात्रा की अगवानी कर कलश की आरती उतारी। यात्रा गंगा के निर्मलीकरण के लिए बलिया को प्रेरित और संकल्पित कर बक्सर रवाना हो गई।

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