राज्यों में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का अब चलेगा एकजुट अभियान, 19 नए एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालयों को दी मंजूरी

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक अब तक राज्यों में मंत्रालय से जुड़े अलग-अलग कामों को देखने के लिए करीब 30 कार्यालय मौजूद है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Wed, 19 Aug 2020 06:24 AM (IST) Updated:Wed, 19 Aug 2020 06:24 AM (IST)
राज्यों में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का अब चलेगा एकजुट अभियान, 19 नए एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालयों को दी मंजूरी
राज्यों में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का अब चलेगा एकजुट अभियान, 19 नए एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालयों को दी मंजूरी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने राज्यों में अपनी पकड़ और ज्यादा मजबूत बनाने के लिए अलग-अलग कामों के लिए मौजूद अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को एकजुट करने का फैसला लिया है। इसके बदले 19 नए एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालयों को मंजूरी भी दी है। जो एक अक्टूबर से अस्तित्व में आ जाएंगे। इसके तहत राज्यों में मौजूदा भारतीय वन सर्वेक्षण, राष्ट्रीय बाध संरक्षण प्राधिकरण, केंद्रीय चिडि़याघर प्राधिकरण जैसे कार्यालय अब एक ही एक छत के नीचे आए जाएंगे। साथ ही इन सभी एक ही मुखिया होगा।

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक अब तक राज्यों में मंत्रालय से जुड़े अलग-अलग कामों को देखने के लिए करीब 30 कार्यालय मौजूद है। जो अब 19 एकीकृत कार्यालय में तब्दील हो जाएंगे। इसका फायदा यह होगा, कि अब एक ही जगह से बैठे-बैठे राज्यों से जुड़े सारे काम-काज पर नजर रखी जा सकेगी। वहीं आम लोगों को भी आसानी होगी। जिन्हें किसी काम के लिए एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में भटकना नहीं होगा।

गुवाहाटी और जम्मू -कश्मीर भी हैं शामिल

मंत्रालय ने फिलहाल जहां अपने 19 एकीकृत कार्यालयों को खोलने को मंजूरी दी है, उनमें शिलांग, रांची, भुवनेश्वर, बेंगलुरू, चेन्नई, लखनऊ, भोपाल, नागपुर, चंडीगढ, देहरादून, जयपुर, गांधीनगर, विजयवाडा, रायपुर, हैदराबाद, शिमला, कोलकाता, गुवाहाटी और जम्मू शामिल है।

लंबे समय से इस योजना पर हो रहा था काम

खासबात यह है कि इनमें से कई क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकार क्षेत्र दो या उससे ज्यादा राज्य को भी रखा गया है। जैसे रांची के कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में झारखंड और बिहार दोनों ही राज्य रहेंगे, वहीं बंगलूरू कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में कर्नाटक, केरल,गोवा और लक्षद्वीप को रखा गया है। गौरतलब है कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय लंबे समय से इस योजना पर काम कर रहा था। जिसे अब मंजूरी दी गई है।

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