चार दशक बाद एलएसी पर चली गोली, पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच और बढ़ा तनाव

पूर्वी लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गोलीबारी की घटना हुई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 08 Sep 2020 01:29 AM (IST) Updated:Tue, 08 Sep 2020 07:40 AM (IST)
चार दशक बाद एलएसी पर चली गोली, पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच और बढ़ा तनाव
चार दशक बाद एलएसी पर चली गोली, पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच और बढ़ा तनाव

संजय मिश्र, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। चीनी सैनिकों की ओर से फिर घुसपैठ की कोशिश के चलते करीब चार दशक बाद सोमवार देर रात पहली बार दोनों तरफ से गोलीबारी की खबर है। हालांकि, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को चेतावनी देने के लिए ही गोली चलाई है। घटना के बाद हालात नियंत्रण में है। भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर घटना को लेकर कोई बयान नहीं दिया गया है। 

चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी

वहीं, चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने सेना के हवाले से पूरी घटना का दोष भारत पर मढ़ा है। उसका कहना है कि भारतीय सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की। बहरहाल इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव और गहराने की आशंका है।

भारतीय सैनिकों ने की जवाबी फायरिंग 

सूत्रों के मुताबिक, पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पर चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। भारतीय सैनिकों ने चेतावनी दी, लेकिन रुकने के बजाय उन्होंने फायरिंग कर दी। इस पर भारतीय सैनिकों ने भी जवाबी फायरिंग की। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लगभग चार दशक बाद पहली बार गोली चली है।

सीमा पर बढ़ा तनाव 

भले ही गोली चेतावनी के लिए ही चली हो, लेकिन घटना दर्शाती है कि सीमा पर तनाव कितना बढ़ गया है। इस बीच, ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सेना के प्रवक्ता के हवाले से दावा किया है कि भारतीय सैनिक एलएसी को पार कर पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित शेनपाओ पहाड़ी के इलाके में घुस रहे थे। अखबार ने यह भी कहा कि चीनी सैनिकों ने जब उन्हें रोका तो भारतीय सैनिकों की तरफ से फायरिंग की गई। इसके बाद चीनी सैनिकों ने भी फाय¨रग की।

चीनी सैन्य प्रवक्ता ने कहा- भारतीय सेना ने गैर-कानूनी तरीके से एलएसी पार की

चीनी सैन्य प्रवक्ता ने इस बारे में जारी एक बयान में आरोप लगाया कि भारतीय सेना ने गैरकानूनी तरीके से एलएसी पार की और पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे और शेनपाओ पहाड़ी इलाके में घुस आए। ऑपरेशन के दौरान, भारतीय सेना ने चीनी बॉर्डर फोर्स को धमकी देने के अंदाज में फायरिंग की और चीनी सीमा रक्षकों को जवाबी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसे बेहद गंभीर भड़काऊ कार्रवाई करार देते हुए चीन ने कहा, 'हम भारतीय पक्ष से आग्रह करते हैं कि इस तरह की खतरनाक करवाई को तुरंत रोके।'

तीन दिन पहले ही हुई थी रक्षा मंत्रियों की मुलाकात

यह घटना ऐसे समय में हुई है, जबकि शुक्रवार को ही सीमा पर तनाव कम करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंग के बीच मॉस्को में बातचीत हुई थी। 10 सितंबर को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच मॉस्को में बातचीत होने वाली है। जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शामिल होने रूस की राजधानी मॉस्को जाने वाले हैं। एक समाचार पत्र से बातचीत में जयशंकर ने दिन में कहा भी था कि एलएसी पर हालात बहुत गंभीर हैं।

लगातार चालबाजियां दिखा रहा है चीन

पिछले महीने की 29 और 31 तारीख को भी चीनी सैनिकों ने दक्षिण पैंगोंग झील के किनारे घुसपैठ की कोशिश की थी। लेकिन भारतीय जवानों ने उन्हें न सिर्फ आगे बढ़ने से रोक दिया था, बल्कि उससे लगते कई इलाकों में अपनी पकड़ भी मजबूत कर ली है। इससे पहले 15 जून को गलवन घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। अमेरिकी खुफिया एजेंसी के मुताबिक चीन के 35 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने अभी तक यह नहीं बताया है कि उसके कितने सैनिक मारे गए थे।

10 सितंबर को विदेश मंत्री जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री याग यी के बीच मॉस्को में होगी वार्ता

यह घटना ऐसे समय में हुई है, जबकि शुक्रवार को ही सीमा पर तनाव कम करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंग के बीच मॉस्को में बातचीत हुई थी। 10 सितंबर को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री याग यी के बीच मॉस्को में बातचीत होने वाली है। जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शामिल होने रूस की राजधानी मॉस्को जाने वाले हैं। एक समाचार पत्र के साथ बातचीत में जयशंकर ने दिन में कहा भी था कि एलएसी पर हालात बहुत ही गंभीर हैं।

पिछले महीने की 29 और 31 तारीख को भी चीनी सैनिकों ने दक्षिण पैंगोंग झील के किनारे घुसपैठ की कोशिश की थी। लेकिन भारतीय जवानों ने उन्हें न सिर्फ आगे बढ़ने से रोक दिया था, बल्कि उससे लगते कई इलाकों में अपनी पकड़ भी मजबूत कर ली है।

इससे पहले 15 जून को गलवन घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ थी, जिसमें भारत के 20 जवान बलिदान हो गए थे। अमेरिकी खुफिया एजेंसी के मुताबिक चीन के 35 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने अभी तक यह नहीं बताया है कि उसके कितने सैनिक मारे गए थे।

पूर्वी लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गोलीबारी की घटना हुई है, जहां भारत और चीन की सेना तीन महीने से अधिक समय से मौजूद हैं।

यह भी देखें: India China Firing: लद्दाख में पैंगोंग तसो झील के पास गोलीबारी

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