व्यवहार से लेकर व्यापार तक पूरे महाराष्ट्र में छाया कोरोना वायरस के भय का साया
कोरोना वायरस के बढ़ते भय के कारण ट्रेनों और बसों में भीड़ भी कम नजर आने लगी है। यही नहीं मुंबई में एप आधारित ओला-उबर जैसी टैक्सी सेवाओं की बुकिंग में भी कमी देखी गई है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में कोरोना के 18 मामले सामने आने के साथ ही इसका भय सिर चढ़कर बोलने लगा है। सामाजिक व्यवहार से लेकर कामकाज एवं व्यापार तक में इस भय का साया नजर आ रहा है।
महाराष्ट्र सरकार एक दिन पहले ही सिनेमाहाल, स्वीमिंग पूल, जिम एवं नाट्यगृह अगले 14 दिनों तक बंद रखने के निर्देश दे दिए हैं। साथ ही, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने निजी क्षेत्र की कंपनियों को उनके घरों से ही काम लेने की सलाह दी है। मुंबई में लोकल ट्रेन ही यहां आवागमन का मुख्य साधन है। करीब 75 लाख लोग रोज इन ट्रेनों से यात्रा करते हैं। सुबह और शाम कार्यालयीन अवधि में तो इन ट्रेनों में तिल रखने की भी जगह नहीं रहती। इसलिए मुख्यमंत्री ठाकरे ने इसे जरूरी सेवा मानते हुए इस पर रोक तो नहीं लगाई है, लेकिन लोगों को अत्यावश्यक कार्य होने पर ही लोकल ट्रेनों एवं बेस्ट की बसों में यात्रा करने की सलाह दी है।
ट्रेन और बसों में भीड़ हुई कम
कोरोना के बढ़ते भय के कारण ट्रेनों और बसों में भीड़ भी कम नजर आने लगी है। यही नहीं मुंबई में एप आधारित ओला-उबर जैसी टैक्सी सेवाओं की बुकिंग में पिछले चार दिनों में करीब 30 फीसद की कमी देखी गई है। इसका सीधा असर टैक्सी चालकों की आमदनी पर पड़ने लगा है। शुक्रवार रात एक सवारी लेकर बांद्रा से पवई के लिए निकले उबर चालक मोहम्मद आमिर शेख बताते हैं कि दिन भर में उनका सिर्फ 900 रुपए का व्यवसाय हुआ है। इसमें से 600 रुपए गाड़ी का किराया देना है। शेष ईंधन भरवाने में चले जाएंगे। अपने लिए कुछ भी नहीं बचेगा। लोगों के घर में रहने का असर यह है कि अत्यंत भीड़भाड़ वाले समय में भी मुंबई के पूर्वी एवं पश्चिमी हाइवे पर वाहन बिना किसी रुकावट के दौड़ते देखे जा सकते हैं।
सरकारी आदेश के कारण मुंबई, ठाणे, नई मुंबई, पुणे, पिंपरी-चिंचवड़ एवं नागपुर के सिनेमाघर एवं नाट्यगृह अगले 14 दिनों के लिए बंद कर दिए गए हैं। एक सिनेमाघर में 30 से 40 कर्मचारी परोक्ष या प्रत्यक्ष काम करते हैं। इसी प्रकार नाट्यगृहों में भी कर्मचारियों की संख्या 10 से 15 तक होती है। इनके बंद हो जाने कर्मचारियों के बेरोजगार होने का खतरा बढ़ गया है।
आमों के निर्यात पर भी पड़ा असर
कोरोना का असर महाराष्ट्र से होने वाले हापुस आमों के निर्यात पर भी नजर आने लगा है। महाराष्ट्र आमों की उत्पादकता में भले अव्वल न हो, लेकिन अपने बेहतरीन खुशबू वाले अल्फांसो (हापुस) आमों के निर्यात में उसका कोई सानी नहीं है। यहां 5 लाख, 66 हजार हेक्टेयर में आम के बगीचे हैं, जहां से निकला आम करीब 50 देशों को निर्यात किया जाता है। भारत में सबसे पहले आनेवाला यह आम काफी महंगा होता है। इन दिनों इसकी एक पेटी की कीमत करीब 6000 रुपए है। नई मुंबई की वाशी मंडी में अभी करीब 4000 पेटी आम रोज पहुंचना शुरू हो गया है। लेकिन निर्यात बंद हो चुका है। इसलिए सैकड़ों टन आम वाशी की मंडी में पड़ा है। समय पर निर्यात न हो पाने के कारण उसके उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।