विदेशी निवेशकों को नहीं लुभा रही खेती

विदेशी निवेशकों को खेती आकर्षित करने में सफल नहीं हो रही है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2015 09:47 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2015 09:50 PM (IST)
विदेशी निवेशकों को नहीं लुभा रही खेती

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। विदेशी निवेशकों को खेती आकर्षित करने में सफल नहीं हो रही है। राज्यों के अलग-अलग कानून और पेंच उनकी राह के रोड़े बन गए हैं। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए जरूरी विदेशी निवेश लाने को इन्हें सरल बनाने की सख्त जरूरत है। कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के मकसद से सरकार ने इस क्षेत्र में सौ फीसद निवेश खोलने का फैसला किया है। लेकिन, इसका उत्साहजनक नतीजा नहीं मिल रहा है।

सरकार ने वर्ष 2011 में ही खेती के कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का रास्ता खोल दिया। इनमें हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर, बीजों के विकास, पशुधन, मशरूम और मत्स्य पालन के साथ कृषि क्षेत्र सेवाओं के लिए एफडीआई की अनुमति दी गई है। इसमें एफडीआई के नियमों को बेहद सरल बनाया गया है। लेकिन खेती राज्य का विषय होने के नाते इसमें प्रदेश सरकारों की भूमिका अहम है। इनकी अनदेखी के चलते ही सरकार के फैसले का असर बहुत संतोषजनक नहीं है।

कृषि क्षेत्र में शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दरवाजा खोलने का बहुत फायदा नहीं मिला है। कानूनी अड़चनों के चलते विदेशी निवेशकों की राह कठिन हो गई है। खेती का राज्य का विषय होने के कारण ढेर सारे कानूनी पेंच इसमें रोड़ा बने हुए हैं। कठिनाइयों को दूर किए बगैर विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना आसान नहीं होगा। यही वजह है कि पिछले तीन सालों के दौरान एफडीआई बढ़ने के बजाय लगातार घटा है, जो चिंता का विषय है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीनों सालों के दौरान कृषि क्षेत्र के लिए आने वाले एफडीआई में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2012-13 में जहां 875 करोड़ रुपये का एफडीआइ प्राप्त हुआ, वहीं वर्ष 2013-14 में यह घटकर 559.66 करोड़ रुपये रह गया। जबकि वर्ष 2014-15 में यह गिरकर 352.37 करोड़ रुपये रह गया है। संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कृषि मंत्रालय ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2015-16 के पहले दो महीने यानी अप्रैल और मई में यह मात्र 37.64 करोड़ रुपये रहा। कृषि क्षेत्र में सिंचाई और पोस्ट हारवेस्टिंग ऐसे क्षेत्र हैं, जहां एफडीआइ की सख्त जरूरत है। फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में विकास के रास्ते कृषि विकास के रास्ते खुल सकते हैं।

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