सड़क पर अन्‍नदाता: दूध से सफेद हुई सड़कें तो कहीं शिव का हुआ अभिषेक, देशव्‍यापी बंद का आज दूसरा दिन

संगठन के संयोजक शिवकुमार शर्मा 'कक्का' ने दावा किया कि सभी किसान संगठन लामबंद हैं। कई राज्यों में आंदोलन शुरू हो गया है

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Sat, 02 Jun 2018 09:55 AM (IST) Updated:Sat, 02 Jun 2018 01:54 PM (IST)
सड़क पर अन्‍नदाता: दूध से सफेद हुई सड़कें तो कहीं शिव का हुआ अभिषेक, देशव्‍यापी बंद का आज दूसरा दिन
सड़क पर अन्‍नदाता: दूध से सफेद हुई सड़कें तो कहीं शिव का हुआ अभिषेक, देशव्‍यापी बंद का आज दूसरा दिन

नई दिल्‍ली [ जेएनएन ] । कर्ज माफी व फसलों का सही दाम दिलाने के लिए किसानों की राष्ट्रव्यापी 10 दिवसीय महाहड़ताल का आज दूसरा दिन है। पहले दिन राजस्थान, उत्‍तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल व छत्तीसग़़ढ में आंदोलन का असर दिखा। महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पंजाब में किसान सड़क पर उतर आए। किसानों ने सड़कों पर फलों और सब्जियों को फेंककर अपना विरोध जताया।

बंद के पहले दिन ही दूध और सब्जियों की सप्लाई पर खासा असर पड़ा और कुछ जगहों पर इनकी कीमत में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि, कुछ छिटपुट हिंसा को छोड़ देशव्‍यापी आंदोलन शांतिपूर्वक रहा। बता दें कि राष्ट्रीय किसान महासंघ ने 130 संगठनों के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन का आह्वान किया है।

इस बीच संगठन के संयोजक शिवकुमार शर्मा 'कक्का' ने दावा किया कि सभी किसान संगठन लामबंद हैं। कई राज्यों में आंदोलन शुरू हो गया है। उन्‍होंने कहा कि धीरे-धीरे आंदोलन का असर दिखना शुरू हो जाएगा। वहीं, भारतीय किसान यूनियन ने कहा कि सरकार हमारी तीन मांगें (कर्जमाफी, लाभकारी मूल्य और किसान पर दर्ज प्रकरण की वापसी) मान लेती है तो हम आंदोलन समाप्त करने को भी तैयार हैं। उन्‍होंनं कहा कि छह जून को गांव-गांव में दीपक जलाकर मंदसौर गोलीकांड के मृतकों को श्रृद्धांजलि दी जाएगी। इसके अलावा 10 जून के बाद मंडी बंद आंदोलन करेंगे।

मध्‍यप्रदेश के कुछ जिलों में रहा बंद का असर: किसान आंदोलन के पहले दिन शुक्रवार को कुछ स्थानों पर छिटपुट विरोध प्रदर्शन के बीच बंद बेअसर रहा। मध्‍यप्रदेश के झबुआ में धारा 144 लगा दी गई है। किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है। मंदसौर में पूरे शहर में पुलिस की तैनाती कर दी गई है। मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ क्षेत्र के गांवों में किसानों ने दूध नहीं बांटा। वे सब्जियां लेकर भी मंडी में नहीं पहुंचे। बालागु़ड़ा में किसानों ने दूध से शिव मंदिर में अभिषषेक किया। मालवा-निमा़ड़ में बंद का मामूली असर देखा गया। किसान संगठनों के गांव बंद आंदोलन के मद्देनजर सरकार अलर्ट रही। गृह विभाग के अधिकारी मैदानी अफसरों से फीडबैक लेते रहे।

प्रदेश की राजधानी भोपाल में  सब्जियाें की आवक कम होने से इसका असर दामों पर भी पड़ा। भोपाल से 180 किलोमीटर दूर बेतूल के गांव में किसानों ने 100 लीटर दूध सड़कों पर बहा दिया। इंदौर में थोक बाजारों में बंद का असर रहा। महाकोशल-विंध्य और ग्वालियर के आसपास बंद का ज्यादा असर नहीं दिखा। जबलपुर, नरसिंहपुर, सिवनी, डिंडौरी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, पन्ना, रीवा, मंडला, दमोह, कटनी में सब्जियों की आवक सामान्य रही। सतना में किसान मजदूर महासंघ ने गांव-गांव जाकर किसानों से संपर्क किया और उनका समर्थन मांगा। पिछले साल हुई हिंसक वारदातों के मद्देनजर इस बार पुलिस और प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई की गई। हालांकि, बंद के बावजूद कई जिलों में मंडियों में फल-सब्जियों की आवक बनी रही। दूध की उपलब्धता को लेकर भी कोई परेशानी नहीं हुई।

राजस्‍थान में रहा बंद का असर: राजस्थान में किसानों ने दूध और सब्जियां सप्लाई करने वाले ट्रक को रोककर प्रदर्शन किया। श्रीगंगानगर, जयपुर, सीकर आदि जगहों पर किसानों ने सड़कों और हाईवे पर दूध भी बहा दिया। जयपुर के पास शाहपुरा में गांव बंद के समर्थन में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। यहां किसानों ने सब्जी और दूध सड़क पर बिखेरकर विरोध जताया। जयपुर के चोमू में उन्होंने मार्केट को बंद कराने की भी कोशिश की। चौमूं, कालाडेरा इलाकों में मारपीट की कुछ घटनाए भी सामने आई। यहां भी किसानों ने डेयरी टैंकरों को रोका। गंगानगर में किसान शहर के विभिन्न प्रमुख मार्गों व बाईपास मार्ग पर हाट लगाकर सब्जियां व दूध बेच रहे थे।

हनुमानगढ़ के समीप नोहर में किसानों ने एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन किया। किसानों ने मुख्य मार्गों पर भी नाकाबंदी की। बाहर से सब्जी व दूध लाने वालों को रोका गया। इस कारण बाजार में सब्जियों के दाम बढ़े। सीकर दूध परिवहन करने वाले वाहन चालकों ने रैली निकाली। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि लोटस डेरी में दूध ना तो देने जाएंगे और ना ही बाहर ले जाएंगे। राष्ट्रीय किसान महासभा के सदस्य सतवीर सिंह ने कहा कि उत्तरी राजस्थान में बंद पूरी तरह सफल रहा।

महाराष्‍ट्र में प्‍याज मार्केट पर पड़ा असर: बंद के कारण महाराष्ट्र के नासिक ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी में सब्जियां तो जरूर पहुंची, लेकिन उनकी मात्रा काफी कम थी। इस बंद का असर देश के सबसे बड़े प्याज के होलसेल मार्केट पर भी देखने को मिला जहां रोज की तरह 1500 क्विंटल की जगह मात्र 300 क्विंटल प्याज पहुंचे क्योंकि बंद के कारण कई किसान मार्केट आए ही नहीं।

राजनीतिक व्यक्ति को मंच पर च़़ढने नहीं देंगे : शर्मा ने किसान आंदोलन को कांग्रेस का बताए जाने पर कहा कि कोई भी दल जायज मांगों का समर्थन करता है तो अपराध नहीं है। मैं इस उम्र में क्या चुनाव लडूंगा। यह तो दूसरी शादी करने जैसा है। सरकार यदि गिरफ्तारी करती है तो हरियाणा के गुरनाम सिंह बागडोर संभालेंगे। 11 जून को भोपाल में महासंघ की बैठक होगी, जिसमें आगामी रणनीति तय की जाएगी। भारतीय किसान यूनियन के अध्‍यक्ष बलबीर सिंह का कहना है कि केंद्र की कथित किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ किसान स्वेच्छा से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों में इतना आक्रोश है कि वे खुद आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं।

उधर, किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को कहा है कि सरकार इस खरीफ सत्र से ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगी। उन्‍होंने कहा कि किसानों को इसी सत्र में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा।

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