अमेरिका-चीन ट्रेड वार के चलते भारत को मिले फायदे से निर्यातक उत्साहित

निर्यातकों का मानना है कि दोनों देशों के बीच शुरु हुई इस कारोबारी जंग के बाद न सिर्फ इन दोनों देशों बल्कि पूरी दुनिया के बाजार में संभावनाएं बन रही हैं।

By TaniskEdited By: Publish:Sat, 26 Jan 2019 06:53 PM (IST) Updated:Sat, 26 Jan 2019 07:14 PM (IST)
अमेरिका-चीन ट्रेड वार के चलते भारत को मिले फायदे से निर्यातक उत्साहित
अमेरिका-चीन ट्रेड वार के चलते भारत को मिले फायदे से निर्यातक उत्साहित

नई दिल्ली, जेएनएन। अमेरिका और चीन के बीच शुरु हुए टैरिफ वार से मिले फायदे ने निर्यातक समुदाय को अंधेरे में किरण दिखायी है। निर्यातकों का मानना है कि दोनों देशों के बीच शुरु हुई इस कारोबारी जंग के बाद न सिर्फ इन दोनों देशों बल्कि पूरी दुनिया के बाजार में संभावनाएं बन रही हैं। अगर निर्यातकों को बैंकों और सरकार की नीतियों का समर्थन मिले तो निर्यात की रफ्तार को 18 से 20 फीसद की वृद्धि दर तक बढ़ाया जा सकता है। इसे देखते हुए अगले सप्ताह वित्त मंत्रालय में बैंकों के साथ होने वाली बैठक पर पूरे निर्यात समुदाय की निगाहें टिकी हैं।

अभी तक देश के मर्चेडाइज निर्यात की दर 10 फीसद से कुछ अधिक चल रही है। अप्रैल से दिसंबर 2018 की अवधि में देश का कुल निर्यात 245.44 अरब डालर का रहा है जो बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 10.18 फीसद अधिक है। निर्यातकों का मानना है कि इस धीमी रफ्तार की प्रमुख वजह मैन्यूफैक्चरिंग और निर्यात क्षेत्र के छोटे और मझोले उद्यमियों को बैंकों से कर्ज का प्रवाह नहीं के बराबर है। कई मामलों में तो निर्यातकों को क्रेडिट नहीं मिलने के चलते ऑर्डर भी रद्द करने पड़े हैं। इसलिए निर्यातकों के फेडरेशन फियो का मानना है कि बैंकिंग क्षेत्र का समर्थन मिले तो निर्यात की रफ्तार को 18-20 फीसद तक आसानी से लाया जा सकता है।

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग में अगले सप्ताह बैंकों के साथ एक बैठक होने की संभावना है। सूत्र बताते हैं कि यह बैठक 28 जनवरी को हो सकती है जिसमें रिजर्व बैंक और फियो के प्रतिनिधि भी शामिल हो सकते हैं। इस बैठक में छोटे और मझोले उद्यमियों के साथ साथ निर्यातकों को कर्ज मिलने में आ रही दिक्कतों पर चर्चा होने की उम्मीद है। निर्यातकों का मानना है कि हालात में तत्काल प्रभाव से सुधार होता है तो चालू वित्त वर्ष के निर्यात पर भी इसका असर देखा जा सकता है।

वैसे भी अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ वार से भारत को मिले फायदे ने यह साबित कर दिया है कि नीतिगत और बैंकिंग समर्थन मिले तो वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति और मजबूत हो सकती है। जून से नवंबर 2018 के दौरान भारत से चीन को होने वाले निर्यात में 32 फीसद और अमेरिका को होने वाले निर्यात में 12 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।

निर्यातकों के फेडरेशन फियो के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता का कहना है 'अगर दोनों देशों के बीच यह कारोबारी जंग जारी रहती है तो भारत को इसका लाभ लेने के लिए अपनी मैन्यूफैक्चरिंग क्षमताओं का भी विस्तार करना होगा।' लेकिन फियो मानता है कि इस सबके लिए बैंक कर्ज की आवश्यकता होगी जिसका तत्काल समाधान आवश्यक है।

chat bot
आपका साथी