कोरोना काल में भविष्य की शिक्षा के तौर-तरीके बदल गये, ऑनलाइन शिक्षा अग्निपरीक्षा!
कोविड-19 महामारी के बाद सबको शारीरिक दूरी बनाए रखने की बाध्यता आन पड़ी है। ऐसे में विद्यार्थियों का स्कूल जाना मुमकिन नहीं हो रहा है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। गुरु गृह गए पढ़न रघुराई अल्पकाल विद्या सब आई। त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के गुरु वशिष्ठ के आश्रम में जाकर शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करने की बात हो, या द्वापर में संदीपनि मुनि के आश्रम में कृष्ण के विद्यार्जन का दृष्टांत हो, सबमें विद्यार्थी गुरु के समक्ष उपस्थित होकर ज्ञानार्जन करते रहे हैं। भारतीय शिक्षा की तस्वीर जैसे जेहन में उभरती है तो सुबह-शाम ग्रामीण इलाकों की पगड़ंडियों पर बस्ता और तख्ती लटकाए छोटे बच्चों के झुंड का अक्स दिख जाता है। कालांतर में ये झुंड साइकिलों पर सवारी करते जाता दिखा। फिर आधुनिकता की दौड़ में अंग्रेजी स्कूल खुले और गांव में भी बसें बच्चों को स्कूल के लिए लेने और छोड़ने आने लगीं। तख्ती स्लेट में बदली और स्लेट कापी में। निक्कर और फटा बुशर्ट टाई शुदा ड्रेसकोड में तब्दील हो गया। नमस्ते गुरुजी की जगह गुडमार्निंग सर ने ले ली। देखते-देखते शिक्षा-प्रणाली की बुनियाद बदल गई, लेकिन जो नहीं बदला, वो है स्कूल जाकर शिक्षा ग्रहण करना।
अब कोविड-19 महामारी के बाद सबको शारीरिक दूरी बनाए रखने की बाध्यता आन पड़ी है। ऐसे में विद्यार्थियों का स्कूल जाना मुमकिन नहीं हो रहा है। लिहाजा ऑनलाइन एजुकेशन या ई-लर्निंग का सहारा लिया जा रहा है। सही भी है, वर्तमान हालात में इससे अच्छा और कोई विकल्प भी तो नहीं है। सहसा इस बदलाव को हमारी सोच-समझ और संसाधन आत्मसात नहीं कर पा रहे हैं। सदियों से पठन-पाठन की जो संस्कृति हमारे दिलो-दिमाग में रची-बसी थी, उससे एक झटके में मुंह नहीं फेरा जा रहा है। खैर, इस बदलाव को अपनाना हमारी मजबूरी है। लिहाजा इस विधा को लोग तेजी से अपना तो रहे हैं, लेकिन चुनौतियां कम नहीं हैं। पाठ्यक्रम के स्तर पर, स्कूल और शिक्षकों के स्तर पर, विद्यार्थियों और अभिभावकों के स्तर पर भी। भले ही सब गांवों में बिजली पहुंच गई हो, लेकिन कटौती को रोकना बड़ी चुनौती है। सिर्फ 24 फीसद भारतीयों के पास स्मार्ट फोन हैं। 11 फीसद परिवारों के पास ही किसी प्रकार की कंप्यूटर डिवाइस है। 24 फीसद परिवारों के पास ही इंटरनेट है। ऐसे में इस नई शिक्षा प्रणाली के चलते सोच, समझ, संस्कृति और संसाधन के सामने उठ खड़ी हुई चुनौतियों की पड़ताल बड़ा मुद्दा है।सरकार का मिला साथ: रोना काल में भविष्य की शिक्षा के तौर-तरीके बदल गये हैं। ऑनलाइन शिक्षा अब एक हकीकत बन गयी है। डिजिटल लर्निंग के नए-नए नवाचार देखने को मिल रहे हैं। सरकार ने भी प्रभावी कदम उठाए हैं।
सरकार का मिला साथ: कोरोना काल में भविष्य की शिक्षा के तौर-तरीके बदल गये हैं। ऑनलाइन शिक्षा अब एक हकीकत बन गयी है। डिजिटल लर्निंग के नए-नए नवाचार देखने को मिल रहे हैं। सरकार ने भी प्रभावी कदम उठाए हैं।
सुशील द्विवेदी स्टेट कोऑर्डिनेटर, विद्यार्थी विज्ञान मंथन विज्ञान भारती