द्रौपदी मुर्मू का उपरबेड़ा गांव... जहां हर घर में शौचालय, हर महिला का बैंक खाता; जानें इसकी खासियत
एनडीए की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का गांव मूलभूत सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण हैं। यहां हर गांव में लोगों का बैंक में खाता है। इसके अलावा यहां के लोगों को घर बैठे ही बैंक से कर्ज मिल जाता है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
रायरंगपुर, जेएनएन। झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से इस बार राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। वह मयूरभंज जिले के रायरंगपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित उपरबेड़ा गांव की रहने वाली हैं। आज कल इस गांव में काफी हलचल है। लोग जश्न की तैयारी कर रहे हैं। युवाओं में अलग जोश नजर आ रहा है। जश्न हो भी क्यों न... यहां की बेटी देश का राष्ट्रपति बनने जा रही हैं, जिसकी संभावना काफी ज्यादा है।
20 जून 1958 को द्रौपदी मुर्मू का हुआ जन्म
उपरबेड़ा गांव में 300 घर है, जिसमें लगभग 6 हजार लोग रहते हैं। यह आदिवासी बाहुल्य गांव है। आज शाम को यहां ढोल नगाड़े बजेंगे। इस गांव में ही 20 जून 1958 को बिरंची नारायण टुडू के घर पर द्रौपदी मुर्मू का जन्म हुआ था। घर छोटा, लेकिन खूबसूरत हैं। घर पर फिलहाल कोई नहीं है। यहां मुर्मू के दो भाई रहते हैं। बड़ा भाई भगत टुडू का बेटा डुलाराम टुडा अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ रहते हैं। इसी घर में छोटा भाई सारणी टुडू भी रहते हैं। घर में ताला लगा हुआ है और सभी दीदी के पास रायरंगपुर गए हुए हैं।
महिलाओं का मुर्मू से है गहरा जुड़ाव
उपरबेड़ा गांव की महिलाएं द्रौपदी मुर्मू की तारीफ करती नहीं थक रही हैं। जब दैनिक जागरण की टीम गांव में पहुंचीं तो महिलाएं खिड़कियों से झांकने लगती हैं। उनके चेहरे पर खुशी के भाव साफ नजर आ रहे हैं। लगभग 50 साल की सारोमनि गिरि कहती हैं, 'अरे द्रौपदी तो हमको काकी मां कहती है।' बगल में खड़ी रेवती नंदी कहती हैं, 'मुझे तो काकी मौसी कहती है। वह तो अपने घर की बेटी है। जब भी आती है, हम लोगों से मिले बिना नहीं जाती। घर में बैठकर खाना भी खाती है। काफी विनम्र स्वभाव की है द्रौपदी।' स्कूल की ओर इशारा करते हुए कहती हैं, वो देखिए, उपरबेड़ा माडल उत्क्रमित प्राइमरी स्कूल है। वहीं तो पढ़ती थी हमारी द्रौपदी।'
हर घर में है नल, घर बैठे ही मिल जाता है कर्ज
उपरबेड़ा एक डिजिटल गांव है। यहां हर घर में लोगों का बैंक में खाता है। खेती-बारी के लिए कर्ज घर बैठे ही मिल जाता है। सभी घरों में पानी की पाइपलाइन है। सभी घरों में शौचालय है। गरीबों के लिए पीएम आवास है। इन सबका श्रेय लोग द्रौपदी मुर्मू को देते हैं।
गांव में पहले नहीं था पुल
बात 2000 की है। गांव में आने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन इसका समाधान भी द्रौपदी मुर्मू ने किया। उन्होंने 2003 में पुल बनवा दिया। अब गांव से बाहर जाने में लोगों को कोई परेशानी नहीं होती। पुल बन जाने से गांव का विकास भी खूब हुआ है।
दुनिया भर के लोग हमें जानेंगे
सत्यजीत गिरि कहते हैं, 'अब तो हमारे गांव को भी दुनिया भर के लोग जानेंगे। द्रौपदी मुर्मू के जैसे ही राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनने की खबर मिली, मेरी हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। गर्व से सीना चौड़ा हो गया।'