केरल की तर्ज पर रसोई के कचरे से बनाएंगे घरेलू गैस

वाटापाड़ा के ग्रामीण इतने जागरूक हैं कि वो घर से बाहर पॉलीथिन व अन्य जैविक कचरे घर से बाहर नहीं फेंकते हैं। कचरा संग्रह करने के लिए एक अनूठा सिस्टम बना रखा है।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Tue, 23 May 2017 09:51 AM (IST) Updated:Tue, 23 May 2017 09:51 AM (IST)
केरल की तर्ज पर रसोई के कचरे से बनाएंगे घरेलू गैस
केरल की तर्ज पर रसोई के कचरे से बनाएंगे घरेलू गैस

पानीपत (ब्युरो)। केरल की तर्ज पर हरियाणा के गांवों में भी जैविक कचरे (रसोई घर से निकलने वाला कचरा) व गोबर से घरेलू गैस बनाई जाएगी। त्रिवेंद्रम (केरल) के दौरे पर गए अधिकारियों को वाटापाड़ा का किफायती मॉडल पसंद आया है। प्रदेश में इस मॉडल को अपना कर ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का सपना पूरा किया जाएगा। हरियाणा से अतिरिक्त उपायुक्त रैंक के आठ अधिकारी 12-17 मई तक केरल के दौरे पर रहे थे। इस दौरान उन्होंने राजधानी त्रिवेंद्रम के पास वाटापाड़ा पंचायत में किचन वेस्ट से गैस बनाने के प्लांट का बारीकी से अध्ययन किया।

खास बात यह है कि उस गांव के लोग पशुपालन का व्यवसाय करते हैं। घर की बजाय खेतों में पशुबाड़े को आधुनिक स्वरूप दे रखा है। जहां पशु बांधते हैं, उसी जमीन पर नीचे गोबर गैस का प्लांट विकसित कर रखा है। इनलेट व आउटलेट की सुविधा भी बना रखी है। एक तरफ से गोबर उस प्लांट में चला जाता है। गैस के रूप में उपयोग होने के बाद दूसरी तरफ से अपने आप निकलता रहता है। जैविक खाद के रूप में इसका इस्तेमाल हो जाता है।

वाटापाड़ा के ग्रामीण इतने जागरूक हैं कि वो घर से बाहर पॉलीथिन व अन्य जैविक कचरे घर से बाहर नहीं फेंकते हैं। कचरा संग्रह करने के लिए एक अनूठा सिस्टम बना रखा है। शहर से जो आर्गेनिक वेस्ट आता है उससे तैयार खाद पेड़ पौधों में खपा देते हैं।

वाटापाड़ा (त्रिवेंद्रम) का गैस प्लांट मॉडल किफायती व उपयोगी है। इस तरह का मॉडल पानीपत के गांवों में भी विकसित करेंगे। इससे ग्रामीण स्वच्छता का सपना भी साकार होगा।
-राजीव मेहता, एडीसी पानीपत।

-अरविंद झा  

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