Coronavirus Test: कोरोना संक्रमण से डरें नहीं टेस्ट कराएं, सरकार दे रही सुविधा
डॉ.आलोक सिंह चौहान ने बताया कि यदि बुखार जुकाम और खांसी की समस्या है तो सीधे अस्पताल जाएं और चिकित्सकीय मदद लें। खुद से किसी तरह की दवा का सेवन करना ठीक नहीं।
नई दिल्ली, जेएनएन। देश में बड़े पैमाने पर कोरोना संक्रमण के टेस्ट हो रहे हैं। अब निजी लैब में भी टेस्ट कराने की इजाजत दी जा चुकी है इसलिए लोग डरकर पहले से ही टेस्ट करा लेना चाहते हैं। हालांकि जब तक लक्षण सामने न हों तब तक टेस्ट कराने की कोई आवश्यकता नहीं है। जो लोग कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आ रहे हैं अथवा संक्रमित इलाकों में किसी न किसी तरह से उनका आनाजाना है, उन्हें पहले से टेस्ट करा लेना चाहिए लेकिन जो लोग घरों में ही हैं और किसी के संपर्क में ही नहीं आए हैं, उन्हें कोरोना संक्रमण का टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है।
यदि बुखार, जुकाम और खांसी की समस्या है तो सीधे अस्पताल जाएं और चिकित्सकीय मदद लें। खुद से किसी तरह की दवा का सेवन करना ठीक नहीं। इसके अलावा यदि आप कुछ दिनों से असहज महसूस कर रहे हों तब भी डॉक्टर को दिखा लें। यदि परिवार का कोई सदस्य कोरोना पॉजिटिव निकला हो तो अन्य सदस्यों को भी जांच करवानी चाहिए। इसी तरह अस्पतालों, मेडिकल स्टोर संचालकों तथा कर्मचारियों को भी टेस्ट करा लेना चाहिए। कोरोना संक्रमण का टेस्ट दो तरह से होता है। मॉलिक्यूलर यानी वायरस के जेनेटिक मैटीरियल की पहचान करने की जांच और दूसरा, एंटिजेन टेस्ट, जिसमें वायरस की सतह के प्रोटीन की जांच की जाती है। एंटीजेन टेस्ट में नतीजा जल्दी आता है लेकिन थोड़ा कम सटीक माना जाता है। मॉलिक्यूलर टेस्ट के नतीजे आने में कुछ दिन तक लग जाते हैं लेकिन संक्रमण का सही प्रतिशत आता है।
दूसरी बार भी हो सकता है संक्रमण: ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई मरीज, जिन्हें पहले कोरोना वायरस का संक्रमण हो चुका है, फिर से इससे संक्रमित हो गए। अभी तक यही समझा जा रहा था कि यह जीवन में एक ही बार होने वाली बीमारी है। ठीक होने वालों के शरीर में एंटीबॉडीज तैयार हो जाती है, जो वायरस के खिलाफ कवच बनाती हैं और दोबारा वायरस का असर नहीं होने देतीं।
अब वायरस के अप्रत्याशित व्यवहार के कारण यह धारणा बनती जा रही है कि दोबारा एक्सपोजर होने पर यह पुन: हमला कर सकता है। दरअसल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के शरीर में एंटीबॉडीज पैदा होती हैं, जो कुछ समय के लिए इम्युनिटी देती हैं लेकिन कोई विशेषज्ञ यह नहीं जानता कि किसी मरीज के शरीर में एंटीबॉडीज कितने समय तक इम्युनिटी कायम रख सकती हैं।
पैथालॉजिस्ट डॉ.आलोक सिंह चौहान ने बताया कि ऐसे में जो मरीज एक बार कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके हैं, उन्हें भी पुन: संक्रमण से बचने के सभी प्रयास करना चाहिए। इस गलतफहमी को दूर करना ही बेहतर है कि अगर आपको एक बार कोरोना हो गया तो आप दोबारा इसके शिकार नहीं हो सकते। इसलिए सुरक्षा के वे सभी मानक अपनाएं जिनकी सिफारिश डॉक्टर कर रहे हैं।