अफगान संकट पर चर्चा करने के लिए भारत आए शीर्ष रूसी सुरक्षा अधिकारी

रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव जनरल निकोले पेत्रुशेव ने मंगलवार से अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा की शुरुआत की। वह भारत के एनएसए अजीत डोभाल से बुधवार को नई दिल्ली में मुलाकात करेंगे। तालिबान पर काबिज अफगानिस्तान की स्थिति पर व्यापक बातचीत की जाएगी।

By Avinash RaiEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 07:11 PM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 07:11 PM (IST)
अफगान संकट पर चर्चा करने के लिए भारत आए शीर्ष रूसी सुरक्षा अधिकारी
रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव जनरल निकोले पेत्रुशेव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल

नई दिल्ली, पीटीआइ। रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव जनरल निकोले पेत्रुशेव ने मंगलवार से अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा की शुरुआत की। वह भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से बुधवार को नई दिल्ली में मुलाकात करेंगे। मुलाकात में तालिबान पर काबिज अफगानिस्तान की स्थिति पर व्यापक बातचीत की जाएगी।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से सचिव निकोले पत्रुशेव की मुलाकात होने की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पत्रुशेव एनएसए डोभाल के निमंत्रण पर भारत आए हैं। डोभाल ने 31 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार ब्रिक्स उच्च प्रतिनिधियों की 11वीं बैठक की मेजबानी की थी।

सोमवार को रूसी दूत निकोले कुदाशेव ने कहा था कि रूस भी भारत जितना ही चिंतित है कि अफगानिस्तान की धरती अन्य देशों में आतंकवाद फैलाने का माध्यम नहीं होनी चाहिए और रूसी क्षेत्र के साथ-साथ कश्मीर में भी आतंक फैलाने का खतरा है। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान पर भारत और रूस के बीच सहयोग के लिए पर्याप्त गुंजाइश है और दोनों पक्ष युद्धग्रस्त देश में एक दूसरे के साथ संपर्क में रहे हैं।

मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 अगस्त को अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर चर्चा की थी और यह विचार व्यक्त किया था कि दोनों देशों के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है। बयान में कहा गया था कि दोनों नेताओं ने यह विचार व्यक्त किया था कि दोनों रणनीतिक साझेदारों के लिए एक साथ काम करना महत्वपूर्ण है और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को अफगानिस्तान से संपर्क में रहने का निर्देश दिया था।

मोदी और पुतिन की बातचीत के बाद, रूस ने कहा था कि दोनों नेताओं ने "आतंकवादी विचारधारा" के प्रसार और अफगानिस्तान से उत्पन्न होने वाले नशीली दवाओं के खतरे का मुकाबला करने के लिए सहयोग बढ़ाने की मंशा व्यक्त की और इस मुद्दे पर परामर्श के लिए एक स्थायी द्विपक्षीय चैनल बनाने पर सहमत हुए है।

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