क्या वुहान लैब से ही फैला कोरोना वायरस? कोरोना की उत्पत्ति को लेकर विस्तृत जांच का भारत ने किया समर्थन

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दोबारा जांच की दुनिया भर में बढ़ती मांग का भारत ने भी समर्थन किया। इससे एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी अपनी खुफिया एजेंसियों को कोरोना वायरस के मूल का पता लगाकर तीन महीने में रिपोर्ट देने का आदेश दे चुके हैं।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Fri, 28 May 2021 06:46 PM (IST) Updated:Fri, 28 May 2021 06:46 PM (IST)
क्या वुहान लैब से ही फैला कोरोना वायरस? कोरोना की उत्पत्ति को लेकर विस्तृत जांच का भारत ने किया समर्थन
क्या वुहान लैब से ही फैला कोरोना वायरस? कोरोना की उत्पत्ति को लेकर विस्तृत जांच का भारत ने किया समर्थन

नई दिल्ली, प्रेट्र। देश और दुनिया में भारी तबाही मचाने वाला कोरोना वायरस कहां से पैदा हुआ? क्या साल 2019 के आखिर में इसकी उत्पत्ति चीन के वुहान शहर के जानवरों के बाजार से हुई या फिर वहां की प्रयोगशाला से यह वायरस बाहर आया। इसका पता लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा दोबारा जांच की दुनिया भर में बढ़ती मांग का भारत ने भी शुक्रवार को समर्थन किया। इससे एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी अपनी खुफिया एजेंसियों को कोरोना वायरस के मूल का पता लगाकर तीन महीने में रिपोर्ट देने का आदेश दे चुके हैं।

अमेरिका समेत दुनिया के कई देश शुरू से ही यह शक जताते रहे हैं कि कोरोना वायरस को चीन के वुहान शहर की प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। डब्ल्यूएचओ ने वायरस की उत्पत्ति की जांच करने के बाद मार्च में अपनी रिपोर्ट दी थी, लेकिन अमेरिका समेत कई देशों को उसकी रिपोर्ट पर यकीन नहीं हुआ। डब्ल्यूएचओ के जांच दल ने आगे और जांच किए जाने की भी बात कही थी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट और इससे जुड़े अध्ययन पर आगे की कार्रवाई और इसमें सभी के सहयोग की जरूरत है। मीडिया के सवालों के जवाब में बागची ने कहा, 'कोविड-19 की उत्पत्ति पर डब्ल्यूएचओ की तरफ से वैश्विक अध्ययन कराया जाना एक महत्वपूर्ण कदम है। इस अध्ययन को आगे बढ़ाने और एक ठोस नतीजे तक पहुंचने की जरूरत है।'

इस साल के शुरू में डब्ल्यूएचओ के विज्ञानी जांच करने के लिए चीन के वुहान शहर गए थे। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में आगे और विस्तृत जांच की बात कही थी। चीन के अधिकारियों पर डब्ल्यूएचओ के जांच दल के साथ सहयोग नहीं करने और पूरा डाटा उपलब्ध नहीं कराने के आरोप लगे थे। अमेरिका समेत कई देशों ने इस पर चिंता भी जताई थी।

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