इंजन निर्माता के बजाय एयरलाइनों को मिलेगी नसीहत, डीजीसीए ने लिया निर्णय
उड्डयन सुरक्षा पर पिछले दिनो विमानन मंत्रालय द्वारा बुलाई गई स्टेकहोल्डर्स की बैठक के बाद डीजीसीए ने यह निर्णय लिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नियो इंजन वाले एयरबस विमानों में उड़ान के दौरान पेश आ रही नई तकनीकी दिक्कतों के मद्देनजर डीजीसीए इन विमानो का इस्तेमाल कर रही एयरलाइनों को उड़ान के वक्त अतिरिक्त सावधानियां बरतने की सलाह देगा। डीजीसीए ने नियो इंजन बनाने वाली कंपनी प्रैट एंड ह्विटनी को एक बार फिर क्लीन चिट दे दी है।
उड्डयन सुरक्षा पर पिछले दिनो विमानन मंत्रालय द्वारा बुलाई गई स्टेकहोल्डर्स की बैठक के बाद डीजीसीए ने यह निर्णय लिया है। बैठक में डीजीसीए ने हाल की घटनाओं का जिक्र करते हुए नियो इंजन वाले एयरबस विमानों के साथ पेश आ रही समस्याओं की ओर एयरलाइनों का ध्यान आकृष्ट किया था। बैठक में इंडिगो तथा गो एयर के अलावा नियो इंजन बनाने वाली कंपनी प्रैट एंड ह्विटनी के अधिकारियों को भी बुलाया गया था।
इसी 3 जनवरी को इंडिगो की चेन्नई-कोलकाता फ्लाइट में आकाश में इंजन बंद होने की घटना हुई थी। एक महीने में इंजन विफलता का ये तीसरा मामला था। इसी तरह का वाकया बुधवार को गो एयर के साथ हुआ जिसमें इंजन में अत्यधिक कंपन के कारण मुंबई में फ्लाइट की लैंडिंग करानी पड़ी। ये सभी मामले नियो इंजन वाले एयरबस-320 विमानों से जुड़े हैं।
भारत में इंडिगो और गो एयर ही वे प्रमुख एयरलाइनें हैं जिनके बेड़े में सबसे ज्यादा नियो इंजन वाले विमान (गो एयर 30, इंडिगो 57) हैं। पिछले दो वर्ष के दौरान इन विमानों में उड़ान के दौरान इंजन बंद होने की अनेक घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसे देखते हुए पिछले साल मार्च में इंडिगो के 11 और गो एयर के 3 विमानों समेत कुल 14 नियो विमानों की उड़ान पर रोक लगाई गई थी। उस बंदिश के बाद प्रैट एंड ह्विटनी ने विमानों में नए इंजन लगाए थे। लेकिन समाधान नहीं हुआ। बीच आकाश में इंजन बंद होने का सिलसिला अब भी जारी है।
बैठक में इंडिगो, गो एयर तथा प्रैट एंड ह्विटनी की ओर से पुराने तर्क रखे गए। मसलन, दुनिया में कहीं भी नियो इंजनों को असुरक्षित नहीं माना गया है। न ही इनके इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। केवल नियो इंजन युक्त विमानों को उड़ाते में अतिरिक्त सावधानियां बरतने को कहा गया है। यदि वही सावधानियां भारत में भी बरती जाएं तो कोई समस्या नहीं होगी। इसी के साथ कंपनी ने जून तक सभी खराब इंजन बदलने का वादा किया है।
बैठक के बाद जारी बयान में डीजीसीए ने कहा कि, 'मार्च, 2016 में जबसे नियो इंजन वाले विमानों का भारत में इस्तेमाल शुरू हुआ है तबसे लेकर अब तक उड़ान के दौरान इंजन बंद होने (इन-फ्लाइट शट डाउन अथवा आइएफएसडी) की कुल 12 घटनाएं हो चुकी हैं। यह प्रति 1000 उड़ान घटों में 0.02 आइएफएसडी का औसत है। जबकि वैश्विक स्तर पर प्रति 1000 उड़ान घंटों में 0.05 तक के आइएफएसडी को सुरक्षित माना जाता है।'
डीजीसीए के अनुसार, 'इंजन विफलता की उक्त ज्यादातर घटनाएं 3 नंबर की बियरिंग, नाइफ एज सील में खराबी, कंबशन चैंबर मैटीरियल में क्षय, कम दबाव, टर्बाइन रोटर ब्लेड को क्षति तथा मेन गियर बॉक्स में खामियों से जुड़ी हैं। इनमें मेन गियर बॉक्स को छोड़ बाकी सभी खामियों को लेकर पी एंड डब्लू तथा एयरलाइनों की ओर से सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं। मेन गियर बॉक्स का समाधान इसलिए नहीं हुआ क्योंकि ये समस्या हाल में उभरी है।'