अब सीधे किसानों से जमीन खरीदेगा डीडीए

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) अब किसानों से सीधे जमीन खरीदेगा। इसके लिए डीडीए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) की नीति का पालन करेगा। शुक्रवार को उपराज्यपाल नजीब जंग ने डीडीए की लैंड पुलिंग पॉलिसी के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी। इसके साथ ही चूल्हा टैक्स भरने वाले परिवारों की

By Abhishake PandeyEdited By: Publish:Sat, 08 Nov 2014 08:23 AM (IST) Updated:Sat, 08 Nov 2014 08:47 AM (IST)
अब सीधे किसानों से जमीन खरीदेगा डीडीए

नई दिल्ली। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) अब किसानों से सीधे जमीन खरीदेगा। इसके लिए डीडीए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) की नीति का पालन करेगा। शुक्रवार को उपराज्यपाल नजीब जंग ने डीडीए की लैंड पुलिंग पॉलिसी के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी। इसके साथ ही चूल्हा टैक्स भरने वाले परिवारों की संपत्तियों के फ्री होल्ड का रास्ता साफ हो गया है। इन चूल्हा टैक्स परिवारों से अधिकृत कॉलोनियों की स्वीकृति दरों से अधिक भुगतान नहीं लिया जाएगा। डीडीए बोर्ड ने 3500 प्रति वर्गमीटर की दर से टैक्स वसूलने की सिफारिश की है।

डीडीए अधिकारियों ने तर्क दिया कि जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया काफी जटिल हो गई है और किसान निर्धारित मुआवजे की दर पर जमीन देने को तैयार नहीं हैं। इसके चलते डीडीए के कई प्रोजेक्ट लटक गए हैं। बोर्ड ने कहा कि वह किसानों से सीधे जमीन खरीदने के लिए अधिकारियों की दो स्तरीय कमेटी बनाएगा, जो डीएमआरसी की नीति के मुताबिक किसानों से साथ समझौता करेंगे। इस कमेटी में उपाध्यक्ष भी होंगे। उम्मीद है कि जल्द ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्रलय इसकी अधिसूचना जारी कर देगा।

बनेंगे 20 लाख मकान

डीडीए अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली में करीब 24 हजार हेक्टेयर जमीन इसके दायरे में आएगी। मंत्रालय इसके लिए डीडीए को 5 सितंबर, 2013 को ही अनुमति दे चुका है। सूत्रों के मुताबिक, लैंड पुलिंग पॉलिसी के तहत राजधानी में करीब 20 लाख मकान बनेंगे।

पांच हजार परिवारों को मिलेगी राहत

वहीं चूल्हा टैक्स के मामले में बड़ी राहत देते हुए उपराज्यपाल ने मांझी राजपुर, टोडापुर, दसघरा, ङिालमिल ताहिरपुर और अगरपुर बागमोची गांव के 5 हजार परिवारों (चूल्हा टैक्स) की संपत्तियों को फ्री होल्ड का अधिकार डीडीए को दे दिया है, साथ यह भी कहा है कि उन परिवारों से अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के लिए निर्धारित दरों से अधिक शुल्क न वसूला जाए। ज्ञात हो कि आजादी से पहले ये लोग विभिन्न क्षेत्रों से आकर यहां बस गए थे। डीडीए ने इन्हें उजाड़ा नहीं था मगर इन लोगों से प्रति परिवार के हिसाब से टैक्स लिया जाता रहा है।

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