रोजाना गश्त न होने से तटों पर खतरा, मुंबई की सुरक्षा में लग सकती है सेंध

दो विभागों में आपसी संवाद और रणनीति में मतभिन्नता की वजह से मुंबई के तटों की सुरक्षा खतरे में है।

By Lalit RaiEdited By: Publish:Mon, 25 Jul 2016 04:57 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jul 2016 05:43 AM (IST)
रोजाना गश्त न होने से तटों पर खतरा, मुंबई की सुरक्षा में लग सकती है सेंध

मुंबई। 26/11 हमले के बाद मुंबई की सुरक्षा के लिए तटों की सुरक्षा के खास इंतजाम के वादे किए गए थे। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सुरक्षा एजेंसियां किसी आतंकी हमले का इंतजार कर रही हैं। मुंबई की 220 किमी लंबी कोस्टलाइन में रोजाना गश्त न होने की वजह से आतंकी आसानी से मुंबई में घुसकर कहर बरपा सकते हैं।

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक मुंबई पोर्ट ट्र्स्ट की बेरुखी की वजह से कोस्टगार्ड के जवान अपनी ड्यूटी नहीं कर पा रहे हैं। कस्टम विभाग के मुताबिक मुंबई पोर्ट ट्रस्ट अपने गेट को बंद कर देता है, जिसकी वजह से गश्ती नौकाएं समुद्र में नहीं जा पाती हैं। तीन स्तरीय सुरक्षा घेरे के नियमों के मुताबिक तट से पांच नॉटिकल मील की सीमा में कस्टम और मरीन पुलिस घुसपैठ और तस्करों पर लगाम लगाने के लिए संयुक्त तौर पर गश्त करती है। पांच से 12 नॉटिकल मील के अंदर सुरक्षा की जिम्मेदारी कोस्टगार्ड के कंधों पर है। 12 नॉटिकल मील से 200 नॉटिकल मील तक समुद्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय नौसेना पर है।

मुंबई कस्टम की तरफ से ये बयान जारी किया गया है कि मुंबई पोर्ट ट्रस्ट का गेट अक्सर बंद रहता है। गेट को कमर्शियल जहाजों के आवाजाही के दौरान ही खोला जाता है। इसकी वजह से कोस्ट गार्ड को अपनी गश्त को मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के नियमों से संचालित करना पड़ता है।

कस्टम विभाग का कहना है कि नियमों के अंतर्गत ही गेट को बंद किया जाता है। जिसकी वजह से रोजाना गश्त मुमकिन नहीं हो पाती है। रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के असहयोग की वजह से इस मुद्दे पर उच्च स्तर पर हस्तक्षेप करने की जरुरत है। रिपोर्ट में उस पत्र का भी जिक्र किया गया है जिसमें साफ तौर पर मुंबई पोर्ट ट्रस्ट ने इंडियन कोस्टगार्ड के अनुरोध को ठुकरा दिया था जिसमें जरूरत के मुताबिक गेट को खोलने या बंद करने के अनुरोध किया गया था।

हाल के दिनों में यूरोप के कई देशों में आतंकी हमले के बाद भारत पर आतंकी हमले का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में दो विभागों के बीच संवादहीनता का खामियाजा पूरे देश को उठाना पड़ सकता है। रिपोर्ट में क्रू स्टॉफ की कमी का भी जिक्र किया गया है। मुंबई कस्टम प्रिवेंटिव विभाग के पास महज 13 गश्ती पोत हैं। उनमें भी महज तीन स्कीपर मेट और चार इंजीनियर गश्ती वाहनों को चलाने के लिए उपलब्ध हैं। हालांकि इस सिलसिले में 6 स्कीपर मेट और 6 इंजीनियरों की भर्ती की मांग की गयी है।

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