दवाई भी कड़ाई भी, जानें नए साल में कैसे मजबूत होगी देश की कोरोना के खिलाफ लड़ाई

वैश्विक स्तर पर कोरोना संक्रमण के कुल मामले साढे आठ करोड़ के आंकड़े को छूने को है। वहीं करीब एक साल में 18 लाख से अधिक लोग कोविड-19 महामारी से अपनी जान गंवा चुके हैं। भारत में दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले हालात पर एक नजर।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Mon, 04 Jan 2021 09:35 AM (IST) Updated:Mon, 04 Jan 2021 09:35 AM (IST)
दवाई भी कड़ाई भी, जानें नए साल में कैसे मजबूत होगी देश की कोरोना के खिलाफ लड़ाई
जानिए इस साल देश की कोरोना के खिलाफ लड़ाई कैसे मजबूत होगी। (फोटो: दैनिक जागरण/प्रतीकात्मक)

नई दिल्ली, जेएनएन। वैश्विक स्तर पर 2020 को सिर्फ एक शब्द में समेटना हो, तो वह है कोरोना। बीते साल दुनिया की पूरी ऊर्जा कोविड-19 महामारी से बचाव के तरीके ढूंढ़ती रही। इसमें कामयाबी भी मिली और अब एक के बाद एक वैक्सीन कोरोना के खिलाफ जंग में डटकर खड़ी हैं। कोरोना के कारण जहां रहने और सोने के कमरे क्लासरूम और वर्क फ्राम होम में तब्दील हो गए तो मास्क हमारी जरूरत बना। महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। वैक्सीन के बाद भी हमें एहतियात बरतनी होगी। ऐसे में नए साल में महामारी का रूप-रंग और उसके खिलाफ हमारी लड़ाई कैसे रहेगी, पेश है एक नजर...

नए प्रकार से होंगे उपचार

कोविड-19 सिर्फ श्वसन संबंधी बीमारी नहीं है, यह शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है। जिससे निपटने की दिशा में प्रगति जारी है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि नए साल में भी यह जारी रहेगा। रेमिडिसिवियर जैसी एंटीवायरल दवा ने दर्शाया है कि इससे मरीज के स्वस्थ होने के साथ ही अस्पताल से बाहर आने के समय में कमी आती है। हमारे पास कई अन्य एंटीवायरल दवाएं हैं, जिनका रेमिडिसिवियर से ज्यादा प्रभाव हो सकता है। दूसरी ओर, शरीर की प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया की नकल करने वाली मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भी उपचार को लेकर सुर्खियों में है। साथ ही कोर्टिकोस्टेरॉइडस कोविड-19 मरीजों के इलाज में भी कारगर सिद्ध हुए हैं।

प्रभावी थेरेपी की बेहतर व्यवस्था

इन उपचारों को लेकर आने वाले कुछ महीनों में बेहतर प्रबंध किया जाएगा। उदाहरण के लिए शोधकर्ता अध्ययन में जुटे हैं कि क्या मरीजों को कोविड-19 कोर्स की शुरुआत में एंटीवायरल देना और लोगों के अस्पताल पहुंचने तक इंतजार करना वास्तव में उन्हें बीमार होने से बचाने में मददगार साबित होगा। डॉक्टर्स का मानना है कि बहुत देरी से मरीजों को बीमारी का कोर्स देना संभवत: बहुत ज्यादा प्रभावी न हो। कोविड-19 के उपचारों को आसान बनाने के तरीकों को खोजना नए साल में भी प्रमुखता से सामने होगा।

बेहतर होगी डॉक्टरों की तैयारी

विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड से होने वाली मृत्युदर इसलिए कम हो रही है क्योंकि समय के साथ स्वास्थ्य सेवा मजबूत हो रही है। इसके बारे में ज्यादा जानकारी आ रही है। आक्रामक वेंटिलेशन अब ज्यादातर आखिरी पड़ाव पर होता है। मरीजों को ऑक्सीजन मुहैया कराने की नित नई तकनीकों को आजमाया जा रहा है। शरीर में ऑक्सीजन के वितरण में सुधार करने के लिए प्रोनिंग नाम की युक्ति का इस्तेमाल किया जाता है। वेंटिलेटर के विकल्प के रूप में फेस मास्क और नाक की नलियों के माध्यम से ऑक्सीजन की आपूíत की जा रही है। रहे हैं, जो जटिलताओं का कारण बन सकता है। उन्नत और गैर आक्रामक वेंटिलेशन तकनीक में सुधार जारी है।

तेज और अधिक सुलभ परीक्षण

सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञ महामारी की शुरुआत से ही इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कोरोना टेस्टिंग घर पर ही होना चाहिए। बहुत से लोगों का मानना है कि 2021 वह साल हो सकता है। आने वाले दिनों में इसकी टेस्टिंग हर कहीं हो सकेगी और इसके परिणाम उसी दिन या उसी वक्त सामने भी आ जाएंगे। इससे संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी।

जुलाई तक पर्याप्त आपूर्ति

2020 विदाई के साथ ही हमें वैक्सीन का तोहफा देकर गया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2021 के मध्य तक वैक्सीन की पर्याप्त आपूर्ति हो सकेगी, जिससे कोई भी व्यक्ति वैक्सीन लगवा सकेगा।

2020 की तरह 2021 में भी होगा यह

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि महामारी के प्रसार को धीमा करने की उम्मीद की जा रही है तो महामारी से जुड़े कुछ प्रोटोकॉल नए साल में भी पालन करने की आवश्यकता होगी। जब तक हर्ड इम्युनिटी हासिल करने लायक आबादी को वैक्सीन नहीं लगा दी जाती और वैक्सीन द्वारा वायरस के प्रसार को रोकने की क्षमता के बारे में ज्ञात नहीं हो जाता है तब तक मास्क की जरूरत होगी। इसके साथ ही शारीरिक दूरी, लगातार हाथ धोना और भीड़भाड़ भरे स्थानों पर जाने से भी बचना होगा।

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