जेएनयू प्रोफेसर का दावा, बीसीजी टीकाकरण कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार

जेएनयू के प्रोफेसर गोबरधन दास ने कहा है कि टीबी से बचाने वाला बीसीजी टीका कोरोना वायरस से बचाने में मददगार हो सकता है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Wed, 08 Apr 2020 07:57 AM (IST) Updated:Wed, 08 Apr 2020 07:57 AM (IST)
जेएनयू प्रोफेसर का दावा, बीसीजी टीकाकरण कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार
जेएनयू प्रोफेसर का दावा, बीसीजी टीकाकरण कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार

नई दिल्ली, एएनआइ। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में स्पेशल सेंटर के मॉलिक्यूलर मेडिसिन के प्रोफेसर गोबरधन दास ने कहा है कि बड़े पैमाने पर बीसीजी (बैसिलस कैलमेट गुयरिन ) टीकाकरण वाले देशों में दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में कोरोना वायरस से बेहतर प्रतिरोध होने की संभावना है। ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) की बीमारी से बचाने के लिए बीसीजी का टीका लगाया जाता है।

दास ने यहां एएनआई को बताया कि कोरोना वायरस के लिए हमारे पास वर्तमान में टीका नहीं है, लेकिन कुछ लोग बीसीजी के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्पेन जैसे देशों में जहां टीकाकरण नहीं होता वहां, कोरोना वायरस से मरने वालों की दर अधिक है, जबकि पुर्तगाल में जहां टीकाकरण होता है, वहा मृत्यु दर काफी कम है।

उनसे पूछा गया कि क्या भारत जैसे देशों जहां बीसीजी टीकाकरण दिया जाता है, कोरोना वायरस के प्रसार से निपटने के लिए बेहतर साबित हो सकता है। दास ने कहा कि वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को कोरोना वायरस के लिए दवा और वैक्सीन की खोज करने में ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भले ही वैक्सीन खोजने में तीन से चार महीने लग जाए। उन्होंने कहा कि भारत इस बीमारी के प्रसार को रोकने में अन्य देशों की तुलना में बहुत बेहतर कर रहा है। मोदी सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन की वजह से प्रसार को रोकने में मदद मिली है।

स्वास्थ विभाग के मुताबिक देश में अब तक कोरोना के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 4789 हो गई है।, जबकि 124 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 353 मरीजों को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 868 मामले सामने आए, उसके बाद तमिलनाडु 621 और दिल्ली में कोरोना के 576 मामले हैं।

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