Coronavirus News Update: कोरोना संक्रमण जहां करता है वार वहीं पर होगा संहार

Coronavirus News Update इनहेल वैक्सीन निर्माता फेफड़ों नाक व गले की उन विशेषताओं का अध्ययन कर रहे हैं जिनका संबंध म्यूकस सेल से है। इनके टिश्यू में उच्च श्रेणी के इम्यून प्रोटीन होते हैं जो श्वसन संबंधी वायरस के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 12 Oct 2020 08:56 AM (IST) Updated:Mon, 12 Oct 2020 09:03 AM (IST)
Coronavirus News Update: कोरोना संक्रमण जहां करता है वार वहीं पर होगा संहार
कोरोना वायरस जहां वार करता है उसे वहीं पर खत्म कर दिया जाए।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Coronavirus News Update कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए दुनियाभर में पारंपरिक रूप से दी जाने वाली वैक्सीन पर काम चल रहा है। इस बीच अमेरिका, ब्रिटेन व हांगकांग जैसे कुछ देशों में मुंह व नाक के जरिये दी जाने वाली वैक्सीन के विकास पर काम आगे बढ़ा है। उनके प्रारंभिक नतीजे प्रभावी दिखते हैं। इनहेल वैक्सीन निर्माता फेफड़ों, नाक व गले की उन विशेषताओं का अध्ययन कर रहे हैं, जिनका संबंध म्यूकस सेल से है। इनके टिश्यू में उच्च श्रेणी के इम्यून प्रोटीन होते हैं जो श्वसन संबंधी वायरस के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं।

ज्यादा होंगी विशेषताएं : नेजल वैक्सीन पर अल्टीम्यून इंक के साथ काम कर रहे बर्मिंघम स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ अलबामा के इम्यूनोलॉजिस्ट फ्रांसिस के अनुसार, ‘स्थान विशेष का इम्यून महत्वपूर्ण होता है। इस प्रकार की वैक्सीन में पारंपरिक वैक्सीन से अधिक विशेषताएं होंगी।’ हालांकि, ज्यादातर निर्माता सुई वाली वैक्सीन पर ध्यान दे रहे हैं।

शुरुआत में ही नष्ट हो जाएंगी वायरस कोशिकाएं : शोधकर्ता इस सिद्धांत पर काम कर रहे हैं कि कोरोना वायरस जहां वार करता है उसे वहीं पर खत्म कर दिया जाए। यानी, अगर नाक व मुंह में ही वायरस को खत्म कर दिया जाए तो उसके प्रसार को प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है। इंसानी परीक्षण से दौर से गुजर रही ज्यादातर वैक्सीन का प्रभाव दो खुराक के बाद दिखता है। विज्ञानी इनहेल वैक्सीन के माध्यम से ज्यादा बेहतर इम्यून प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि यह प्रारंभ में ही वायरस की कोशिकाओं को नष्ट कर सकती है।

ट्रांसमिशन का खतरा : विज्ञानियों का मानना है कि इनहेलर व नेजल वैक्सीन के जरिये कोरोना संक्रमण को फेफड़ों तक जाने से रोका जा सकता है, जहां वे सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। सेंट लुइस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के संक्रमण रोग विशेषज्ञ माइकल डायमंड के अनुसार, ‘संभव है पहली पीढ़ी की वैक्सीन बड़ी संख्या में लोगों की कोरोना वायरस से रक्षा करे, लेकिन तीसरी और चौथी पीढ़ी की वैक्सीन इंट्रानेजल होनी चाहिए। अन्यथा कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा बरकरार रहेगा।’

 

भारत बायोटेक को मिल चुका है अधिकार : डायमंड व उनकी टीम ने अगस्त में प्रयोग के दौरान पाया था कि नाक के माध्यम से दी गई वैक्सीन ने पूरे शरीर में बेहतर रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित की। भारत बायोटेक व सेंट लुइस की प्रीसियस वायरोलॉजिक्स ने पिछले ही महीने वैक्सीन की सिंगल डोज तकनीक का अधिकार हासिल किया है। अल्टीम्यून की नेजल वैक्सीन का साल के अंत तक इंसानी परीक्षण शुरू हो सकता है। ऑक्सफोर्ड व एस्ट्राजेनेका भी नेजल वैक्सीन पर विचार कर रहे हैं।

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