सरकारी खर्चे पर चुनाव लड़ने की व्यवस्था अभी मुमकिन नहीं

निर्वाचन आयोग का मानना है कि भारत में सरकारी खर्चे पर चुनाव लड़ने की व्यवस्था लागू करना अभी मुमकिन नहीं है। उसका कहना है कि इसके लिए अभी सही समय नहीं है।

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Tue, 15 Dec 2015 06:18 PM (IST) Updated:Tue, 15 Dec 2015 06:24 PM (IST)
सरकारी खर्चे पर चुनाव लड़ने की व्यवस्था अभी मुमकिन नहीं

नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग का मानना है कि भारत में सरकारी खर्चे पर चुनाव लड़ने की व्यवस्था लागू करना अभी मुमकिन नहीं है। उसका कहना है कि इसके लिए अभी सही समय नहीं है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) नसीम जैदी के अनुसार क्रांतिकारी चुनाव सुधारों को लागू किए बगैर ऐसा करने से कोई फायदा नहीं निकलेगा।

इस बारे में वह राजनीतिक दलों की राय से असहमत दिखे। उन्होंने कहा कि सरकारी खर्चे पर चुनाव लड़ने की व्यवस्था सुनिश्चित करने से पहले राजनीति से अपराधीकरण का बोलबाला खत्म होना चाहिए। उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के लिए कड़े पारदर्शी वित्तीय कानून प्रभावी होने चाहिए।

'राजनीति में धन के बढ़ते प्रभाव' पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीईसी जैदी ने मंगलवार को उपरोक्त बातें कही। बकौल जैदी, 'कई दलों ने सरकारी खर्चे पर चुनाव लड़ने-लड़ाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है। लेकिन निर्वाचन आयोग इससे सहमत नहीं है। इस व्यवस्था पर तब तक कोई विचार नहीं करना चाहिए जब तक राजनीति से अपराधीकरण की समाप्ति के साथ कड़े वित्तीय एवं भ्रष्टाचार रोधी कानून चुनावी प्रक्रिया में प्रभावी न किए जाएं।'

उन्होंने आशंका जताई कि चुनाव सुधारों को लागू किए बगैर अगर सरकारी खर्चे पर इलेक्शन लड़ने की व्यवस्था प्रभावी कर दी गई तो इसका प्रतिकूल परिणाम निकलेगा। चुनाव प्रचार में काले धन के बढ़ते इस्तेमाल को रोकने की जगह यह इसमें एक अतिरिक्त फंड का स्रोत बन सकता है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने सरकार और राजनीतिक दलों से लंबित चुनाव सुधारों को लागू करने की दशा में प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया।

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