वर्चस्व की जंग में अखाड़ा बनी मुरादाबाद जेल, कई घायल

जिला कारागार वर्चस्व की जंग का अखाड़ा बन गया है। खूंखार अपराधी अलग-अलग गुट में बंट गए हैं, विरोधी गुट को नीचा दिखाने के लिए वह एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं। जिससे जेल में अब भी खूनी संघर्ष की आशंका बनी हुई है। जेल में डिलारी का ब्लाक प्रमुख योगेंद्र सिंह उर्फ भूरा, अनीस बैल, मुल्ला आसिम, कमाल पहलवान, शरीफ

By Edited By: Publish:Sat, 02 Aug 2014 09:37 AM (IST) Updated:Sat, 02 Aug 2014 09:50 AM (IST)
वर्चस्व की जंग में अखाड़ा बनी मुरादाबाद जेल, कई घायल

मुरादाबाद। जिला कारागार वर्चस्व की जंग का अखाड़ा बन गया है। खूंखार अपराधी अलग-अलग गुट में बंट गए हैं, विरोधी गुट को नीचा दिखाने के लिए वह एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं। जिससे जेल में अब भी खूनी संघर्ष की आशंका बनी हुई है। जेल में डिलारी का ब्लाक प्रमुख योगेंद्र सिंह उर्फ भूरा, अनीस बैल, मुल्ला आसिम, कमाल पहलवान, शरीफ और इकबाल समेत दर्जनों शातिर अपराधी हैं, जिनका जरायम की दुनिया में तो नाम है ही।

सत्ताधारी नेताओं को संरक्षण भी इन पर बना हुआ है। सभी हत्या, लूट और डकैती जैसे बड़े अपराधों में जेल काट रहे हैं। इनके बीच वर्चस्व की जंग लंबे अरसे से चल रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान खुफिया सूचना के बाद शातिर हिस्ट्रीशीटर को बरेली जेल भेज दिया गया था। चुनाव बाद वह लौटकर आ गए, लेकिन यहां रहने वाले अपराधियों से बदला लेने पर उतर आए हैं।

उनका मानना है कि इन्हीं अपराधियों के प्रयासों से उन्हें बरेली भेजा गया। शुक्रवार सुबह की घटना के बारे में बताया जाता है कि दो दिन पहले भी पुजारी राहुल त्यागी को आसिम व उसके साथियों ने पीटा था, लेकिन जेल प्रशासन ने पूरा मामला रफा-दफा कर दिया।

जेल में हुई मारपीट की घटना की रिपोर्ट सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराई जा रही है। जेल के वरिष्ठ अधिकारियों और शासन को पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट भेजी जाएगी। जेल के वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर जांच की जाएगी।

जेल में सिस्टम पर हावी शातिर अपराधी

जिला कारागार में बंद अपराधी सरकारी सिस्टम पर भी हावी हैं। बीते दिनों गैंगवार से आजिज अफसरों ने अपराधियों को दूसरे कारागार में स्थानांतरित कराया। कुछ दिनों बाद वह वापस लौट आए। लोकसभा चुनाव के पहले मुल्ला आसिम को शाहजहांपुर जेल भेजा गया था, जबकि डिलारी के ब्लाक प्रमुख योगेंद्र सिंह उर्फ भूरा को बरेली जेल भेजा। सेटिंग कर दोनों चुनाव के बाद वापस यहां आ गए।

तलाशी अभियान पर उठे सवालिया निशान

जेल में अधिकारियों के छापे अक्सर पड़ते रहते हैं, लेकिन इन छापों में कभी कोई आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिलती है। जबकि इस छापेमारी में जिले के बड़े पुलिस अधिकारियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहते हैं। जबकि जेल में बंदियों द्वारा मोबाइल इस्तेमाल किए जा रहे हैं और बंदियों के लिए सुख सुविधा का हर सामान सुविधा शुल्क लेकर मुहैया कराया जाता है।

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