पाकिस्‍तान के सहारे दक्षिण एशिया में भारत को घेरने में जुटा चीन

भारत के हितों को देखते हुए पाक आर्मी चीफ की मालदीव यात्रा भी कम संवेदनशील नहीं है। यह यात्रा तब हुई है, जब मालदीव की मौजूदा सरकार के साथ भारत के रिश्ते बेहद खराब हैं।

By Tilak RajEdited By: Publish:Mon, 02 Apr 2018 08:47 PM (IST) Updated:Mon, 02 Apr 2018 08:47 PM (IST)
पाकिस्‍तान के सहारे दक्षिण एशिया में भारत को घेरने में जुटा चीन
पाकिस्‍तान के सहारे दक्षिण एशिया में भारत को घेरने में जुटा चीन

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। दक्षिण एशिया में भारत की महत्ता को कमतर करने में वर्षों से जुटे चीन को क्या कुछ हद तक सफलता हासिल होने लगी है? यह एक ऐसा सवाल है जो कूटनीतिक सर्किल में लोग बेवजह ही नहीं पूछ रहे। इस क्षेत्र में चीन अपने बेहद करीबी दोस्त पाकिस्तान की मदद से भारत को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। पाकिस्तानी पीएम खाकन अब्बासी की हाल की नेपाल यात्रा और दो दिन पहले मालदीव पहुंचे पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा की यात्रा के कुछ ऐसे ही मायने निकाले जा रहे हैं। पाकिस्तान की तरफ से ये उच्चस्तरीय संपर्क तब किया गया है, जब इन दोनों देशों के साथ भारत के रिश्ते बेहद तल्ख चल रहे हैं।

ऐसे हालात में इस हफ्ते के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और नेपाल के पीएम के पी ओली के बीच होने वाली द्विपक्षीय बातचीत काफी अहम हो गई है। ओली 6 अप्रैल को तीन दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचेंगे। माना जा रहा है कि वर्ष 2016 में स्थगित सार्क देशों की शीर्षस्तरीय बैठक को दोबारा शुरू करने का मुद्दा नेपाल पीएम उठा सकते हैं। तब यह बैठक इस्लामाबाद में होने वाली थी लेकिन भारत समेत कई देशों ने पाकिस्तान पर आतंकवाद का सहयोग करने का आरोप लगाते हुए बैठक में हिस्सा लेने से मना कर दिया था। जानकार मान रहे हैं कि 5 मार्च, 2018 को काठमांडू में पाकिस्तानी पीएम ने नेपाल सरकार से सार्क बैठक की नई तिथि तय करने का मुद्दा उठाया था। नेपाल ने जिस तरह से भारत-पाक रिश्तों की संवेदनाओं को दरकिनार करते हुए पाक पीएम को पहले आमंत्रित किया वह अपने आप में ही भारत को संदेश देने के लिए काफी है।

भारत के हितों को देखते हुए पाक आर्मी चीफ की मालदीव यात्रा भी कम संवेदनशील नहीं है। यह यात्रा तब हुई है, जब मालदीव की मौजूदा सरकार के साथ भारत के रिश्ते बेहद खराब हैं। राष्ट्रपति अबदुल्लाह अमीन खुल कर चीन का कार्ड खेल रहे हैं। जब भारत ने मालदीव में आपातकाल लगाने के फैसले का विरोध किया तो अमीन ने अपने विदेश मंत्री को पाकिस्तान भेजा था। उसके कुछ ही दिनों न सिर्फ मालदीव पहुंचे है, बल्कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच समझौते भी हुए हैं। सनद रहे कि मालदीव की सेना को पाकिस्तान ने वर्ष 2016 में जब प्रशिक्षण दिया था तब वह भारत को नागवार गुजरा था।

सनद रहे कि भारत 'स्टि्रंग आफ प‌र्ल्स' रणनीति के तहत हिंद महासागर में घेरने की चीन की योजना काफी पुरानी है। इसके तहत ही वह पाकिस्तान के ग्वादर से लेकर मालदीव और श्रीलंका तक में अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इन तीनों देशों के साथ भारत के रिश्ते बहुत उत्साहव‌र्द्धक नहीं कहे जा सकते। श्रीलंका ने कुछ महीने पहले ही अपने हमबनतोता बंदरगाह को 99 वर्षों की लीज पर चीन की कंपनी को दिया है जिसे भारत को घेरने के तौर पर देखा जा रहा है। पहले चीन की इस रणनीति में पाकिस्तान एक हिस्सा भर था लेकिन अब वह एक अहम सहयोगी बनता दिख रहा है।

भूटान पहुंचे विदेश सचिव

दक्षिण एशिया के एक अन्य देश भूटान को लेकर हाल ही में भारत और चीन आमने सामने थे। चीन की तरफ से भूटान को भी भारतीय खेमे से छिटकाने की कोशिश हो रही है। ऐसे में विदेश सचिव विजय गोखले ने एक और दो अप्रैल, 2018 को भूटान की दो दिवसीय यात्रा की है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्षों में बेहद दोस्ताना व सौहार्दपूर्ण माहौल में हर द्विपक्षीय मुद्दे पर बातचीत हुई है। यह गोखले की हाल के दिनों में की गई दूसरी भूटान यात्रा है। उनके पहले एनएसए अजीत डोभाल और आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत ने भी हाल के दिनों में भूटान की यात्रा की है। पिछले वर्ष भूटान की सीमा के पास स्थित डोकलाम को लेकर ही भारत व चीन के बीच सैनिक विवाद हुआ था। चीन व भूटान के बीच डोकलाम को लेकर भी बातचीत हो रही है।

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