जानिए, केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक में टकराव की 7 महत्वपूर्ण बातें

रिजर्व बैंक की बोर्ड बैठक के बाद भले ही यह विवाद टल गया है लेकिन इसके परिणाम जानने के लिए अभी करना होगा इंतजार।

By Brij Bihari ChoubeyEdited By: Publish:Tue, 20 Nov 2018 03:17 PM (IST) Updated:Tue, 20 Nov 2018 03:17 PM (IST)
जानिए, केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक में टकराव की 7 महत्वपूर्ण बातें
जानिए, केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक में टकराव की 7 महत्वपूर्ण बातें

नई दिल्ली (जागरण स्पेशल)। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और रिजर्व बैंक के बीच टकराव फिलहाल टल गया है। सोमवार को हुई रिजर्व बैंक की बोर्ड बैठक के बाद इस अभूतपूर्व संकट का समाधान खोजने की कोशिश तेज हो गई है। हालांकि दोनों के बीच पहले भी कई मुद्दों पर मतभेद रहे हैं लेकिन पहली बार दोनों के रिश्तों में इतनी खटास पैदा हुई है। इसके मद्देनजर आइए जानते हैं केंद्र और रिजर्व बैंक के बीच विवाद की 5 महत्वपूर्ण बातें-

1- रिजर्व बैंक का विशाल मुद्रा भंडारः केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मतभेद की सबसे बड़ी वजह बना है रिजर्व बैंक का विशाल मुद्रा भंडार। रिजर्व बैंक के बोर्ड में सरकार के प्रतिनिधि एवं संघ विचारक एस गुरुमुर्ति के अनुसार रिजर्व बैंक का मुद्रा भंडार बाजार में चलन में मौजूद कुल करेंसी का 12-18.7 फीसद के बीच होना चाहिए जबकि मौजूदा समय में यह भंडार 27-28 फीसद है। इस तरह रिजर्व बैंक की तिजोरियों में 3.6 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम पड़ी हुई है। सरकार चाहती है कि इसमें से कुछ रकम रिजर्व बैंक उसे लाभांश के रूप में दे दे ताकि उसे विकास कार्यों पर खर्च किया जा सके। बोर्ड बैठक में तय हुआ कि अतिरिक्त नकदी की मात्रा तय करने के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी जो यह तय करेगी कि बाजार के जोखिमों से लड़ने के लिए रिजर्व बैंक को कितनी नकदी रखनी चाहिए। रुपये के मूल्य में उतार-चढ़ाव और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए रिजर्व बैंक जरूरत के मुताबिक बाजार में नकदी की मात्रा बढ़ाता-घटाता रहता है, जिसके लिए उसे रिजर्व कैश की जरूरत पड़ती है।

2- फंसे कर्जों को लेकर रिजर्व बैंक का अड़ियल रवैयाः कर्ज लेकर जानबूझकर न चुकाने वाली (विलफुल डिफॉल्टर) कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए रिजर्व बैंक ने कर्ज देने के नियमों को सख्त बना दिया है। साथ ही पुराने लोन को चुकाने के लिए नए लोन देने पर भी अंकुश लगाया गया है। इसकी वजह से खासकर लघु, मझोले एवं सुक्ष्म उद्योगों (एमएसएमई) को काफी दिक्कत हो रही थी। सरकार चाहती है कि रिजर्व बैंक इस क्षेत्र के लिए लोन के नियमों में ढील दे क्योंकि यह क्षेत्र 12 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। बोर्ड बैठक में तय हुआ कि एमएसएमई के 25 करोड़ रुपये तक के लोन के बैंकों द्वारा पुनर्गठन (पुराने लोन को चुकाने के लिए नया लोन देने) पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।

3- नॉन बैंक फाइनेंशियल कंपनियों का संकटः एमएसएमई के अलावा नॉन बैंक फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) को लोन की शर्तों में ढील देने के मामले में भी सरकार और रिजर्व बैंक आमने-सामने आ गए थे। नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने के बाद से इस क्षेत्र की वित्तीय हालत खराब है। सरकार चाहती है कि रिजर्व बैंक इस क्षेत्र को लोन देने में उदारता बरते ताकि उसे पटरी पर लाया जा सके।

4- तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई पर मतभेदः पंजाब नेशनल बैंक सहित कई बैंकों में घोटालों के सामने आने के बाद रिजर्व बैंक ने ऐसे बैंकों को तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन यानी पीसीए) की श्रेणी में डालने की व्यवस्था की है ताकि ऐसे बैंकों के लोन देने पर अंकुश लगाया जा सके। सरकार की दलील है कि इससे अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो कम हुआ है जो आर्थिक विकास को प्रभावित कर रहा है। बैठक में तय हुआ कि रिजर्व बैंक का फाइनेंशियल सुपरविजन बोर्ड इस बारे में विचार करेगा।

5- रिजर्व बैंक एक्ट की धारा 7 पर विवादः ऐसी खबरें आईं कि केंद्र सरकार रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 7 का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है। इस धारा के मुताबिक जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार रिजर्व बैंक से सलाह-मशविरा कर उसे जनहित में कोई भी निर्देश दे सकती है।

6- अलग पेमेंट नेटवर्क पर जिचः देश में भुगतान प्रणाली की निगरानी को रिजर्व बैंक से अलग करने की सरकार की कोशिश को भी केंद्रीय बैंक ने भी अपनी स्वायत्तता में हस्तक्षेप के तौर पर लिया और यह दोनों में तनाव का कारण बना। रिजर्व बैंक की दलील है कि भुगतान प्रणाली पर निगरानी रखना उसका काम है।

7- मतभेद जाहिर होने से भी नाराज हुआ केंद्रः केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच अंदरखाने विभिन्न मुद्दों पर विवाद चल रहा था कि उसके डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इस पर सार्वजनिक बयान देकर काम खराब कर दिया। उनकी यह हरकत केंद्र को नागवार गुजरी। इसकी वजह से मतभेद कम होने के बजाय बढ़ते ही गए। आचार्य ने कहा था कि अगर रिजर्व बैंक की स्वायत्तता पर संकट पैदा हुआ तो यह देश के लिए विनाशकारी होगा।

chat bot
आपका साथी