कोरोना वायरस कचरे पर लगाएं ‘कोविड-19 कचरा’ का लेबल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का फैसला

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने संक्रमण के इलाज के दौरान उत्पन्न होने वाले सभी प्रकार के बायोमेडिकल कचरे पर ‘कोविड-19 कचरा’ लेबल लगाना अनिवार्य किया है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Sat, 04 Apr 2020 09:37 AM (IST) Updated:Sat, 04 Apr 2020 09:37 AM (IST)
कोरोना वायरस कचरे पर लगाएं ‘कोविड-19 कचरा’ का लेबल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का फैसला
कोरोना वायरस कचरे पर लगाएं ‘कोविड-19 कचरा’ का लेबल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का फैसला

नई दिल्ली, एएनआइ। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने संक्रमण के इलाज के दौरान उत्पन्न होने वाले सभी प्रकार के बायोमेडिकल कचरे पर ‘कोविड-19 कचरा’ लेबल लगाना अनिवार्य किया है। ये दिशानिर्देश बायो-मेडिकल कचरा (बीएमडब्ल्यू) प्रबंधन नियम 2016 के तहत जारी किए गए हैं। स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा के अंतर्गत केंद्र ने इसे आवश्यक सेवा के रूप में माना है।

स्वास्थ्य मंत्रलय के संबंधित अधिकारियों, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने कोविड-19 के कचरा प्रबंधन पर कठोर निर्देश तैयार किए हैं। दिशानिर्देश के मुताबिक, लेबल से ऐसे कचरे की आसानी से पहचान होगी और उसका त्वरित निस्तारण हो सकेगा।

आइसोलेशन वार्ड, क्वारंटाइन सेंटर, नमूना एकत्र करने वाले केंद्र, प्रयोगशालाएं, शहरी स्थानीय निकाय, सामान्य बायोमेडिकल कचरा उपचार एवं निस्तारण सुविधाओं में लगे सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कोविड-19 कचरे के प्रबंधन के इस दिशानिर्देश का पालन करना होगा। कोविड-19 से पैदा होने वाले बायो-मेडिकल कचरे को खतरनाक कचरे के रूप में माना जाएगा।

ऐसे कचरे के निस्तारण के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को तीन स्तरों वाले मास्क समेत पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट, स्प्लैश-प्रूफ एप्रन या गाउन, नाइट्राइल ग्लव्स और सेफ्टी गॉगल्स पहनने चाहिए। इसके साथ ही स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सैनिटाइजेशन के अलावा बायोमेडिकल कचरा एकत्र करने के बारे में उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

कोरोना से जंग के लिए अस्पतालों में 243 वेंटिलेटर

कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए दिल्ली सरकार के अस्पतालों में फिलहाल इंतजाम दुरुस्त नजर आ रहे हैं। कोरोना से निपटने के लिए दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने पांच अस्पतालों को अधिकृत किया है। वहीं राजधानी में मौजूद केंद्र के चारों बड़े अस्पतालों में भी इससे निपटने की व्यवस्था की गई है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के इलाज के लिए अधिकृत अस्पतालों में 243 वेंटिलेटर की व्यवस्था की है।

मौजूदा परिस्थिति में तो यह पर्याप्त है, लेकिन यदि संक्रमण ज्यादा बढ़ा और हालत बिगड़े तो वेंटिलेटर कम पड़ सकते हैं। हालांकि जरूरत पड़ने पर वेंटिलेटर बढ़ाने की योजना है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कोरोना के लिए अधिकृत अस्पतालों में मौजूदा समय में 3261 पीपीई किट हैं। ऐसे में फिलहाल डॉक्टरों व नर्सों को पीपीई किट उपलब्ध हो पा रही है। अभी सिर्फ कोरोना के इलाज के लिए गठित टीम के सदस्यों को ही एन-95 मास्क उपलब्ध हो पा रहा है।

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