केंद्र ने नक्सल प्रभावित राज्यों में तेजी से विकास के लिए फारेस्ट लैंड को डायर्वजन की दी इजाजत

गृह मंत्रालय की हाल में ही प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट 2020-2021 के अनुसार केंद्र ने नक्सल प्रभावित राज्यों में तेजी से विकास के लिए फारेस्ट लैंड को डायर्वजन की दी इजाजत। वनवासियों के अधिकारों का भी रखा जा रहा है ख्याल।

By Piyush KumarEdited By: Publish:Wed, 04 May 2022 05:55 PM (IST) Updated:Wed, 04 May 2022 05:56 PM (IST)
केंद्र ने नक्सल प्रभावित राज्यों में तेजी से विकास के लिए फारेस्ट लैंड को डायर्वजन की दी इजाजत
नक्सल प्रभावित इलाकों में केंद्रीय सरकार कर रही तेजी से विकास का कार्य (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एएनआइ।  नक्सल प्रभावित राज्यों में तेजी से विकास के लिए केंद्र सरकार ने फारेस्ट लैंड यानी जंगलों की जगह को बुनियादी ढांचे में डायर्वजन करवाने अनुमति दे दी है। गृह मंत्रालय द्वारा हाल में ही प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट 2020-2021 के अनुसार पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अनुमति प्रदान की गई थी। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्कूलों, औषधालयों, अस्पतालों सहित 14  श्रेणियों में बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाओं के लिए डायवर्जन कराने की मंजूरी दी है। 

बता दें कि वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की धारा 2 के अनुसार, सामान्य स्वीकृति पहले पांच हेक्टेयर तक वन भूमि के डायवर्जन के लिए थी, जिसे 31 दिसंबर, 2020 तक वैधता के साथ नक्सली क्षेत्रों के लिए बढ़ाकर 40 हेक्टेयर कर दिया गया है। 

नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क संपर्क बेहतर बने

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत सरकार भी 26 फरवरी, 2009 से सड़क आवश्यकता योजना (RRP-I) लागू कर रही है, ताकि आठ राज्यों, आंध्र प्रदेश (अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) के 34 वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में सड़क संपर्क में सुधार किया जा सके। , बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश। इसमें कहा गया है कि इस योजना में 78,673 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 5,362 किलोमीटर सड़कों और आठ महत्वपूर्ण पुलों के निर्माण की परिकल्पना की गई है।

मोबाइल टावर की स्थापना पर मिली मंजूरी

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि 31 मार्च, 2021 तक, कुल 4,981 किलोमीटर सड़कें और छह महत्वपूर्ण पुल का निर्माण पूरा हो चुका है। योजना के पहले चरण में कुल 2,335 मोबाइल टावरों का संचालन किया गया है और परियोजना के दूसरे चरण में 4,072 मोबाइल टावरों की स्थापना को मंजूरी दी गई है। इनमें से 2,542 टावर टेंडर प्रोसेस में है। 

वनवासियों के अधिकारों की  रक्षा हो

गौरतलब है कि रिपोर्ट के मुताबिक, अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पारंपरिक वनवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए वन अधिकार अधिनियम के तहत लोगों को मालिकाना हक दिया जाता है। अब तक, 10 नक्सल प्रभावित राज्यों, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में व्यक्तियों और समुदायों को 16,22,128 स्वामित्व पत्र वितरित किए गए हैं।

इस वितरण के पीछे सबसे सरकार का मकसद है कि इन छेत्रों में जिन्दगी जी रहे लोगों की आजीविका सुनिश्चित की जाए और उनके अधिकारों की रक्षा हो सके।

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