आय के स्त्रोत वैध घोषित कर देना भर काफी नहीं :सुप्रीम कोर्ट

याचिका में मांग की है कि उम्मीदवार हलफनामे में स्वयं की, जीवनसाथी और आश्रितों की संपत्ति के साथ ही उसका स्त्रोत भी बताए।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Tue, 12 Sep 2017 04:05 PM (IST) Updated:Tue, 12 Sep 2017 09:46 PM (IST)
आय के स्त्रोत वैध घोषित कर देना भर काफी नहीं :सुप्रीम कोर्ट
आय के स्त्रोत वैध घोषित कर देना भर काफी नहीं :सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चुनाव लड़ते समय नामांकन के साथ दिये गये हलफनामे में संपत्ति का खुलासा करने के साथ आय का स्त्रोत भी बताए जाने की मांग पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि सांसदों विधायकों का सिर्फ आय के स्त्रोत को वैध घोषित कर देना भर काफी नहीं है, ये जांचा जाना भी जरूरी है कि व्यक्ति इस आय को अर्जित करने की स्थिति में कैसे पहुंचा।

यह सवाल भी उठा कि कोई जनप्रतिनिधि कारोबार कैसे कर सकता है। न्यायमूर्ति जे. चेल्मेश्वर व न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि लोकपद (पब्लिक आफिस) की शुचिता बनाए रखने के लिए पारदर्शिता जरूरी है। सांसदों और विधायकों की संपत्ति की जांच के लिए एक तंत्र होना चाहिए जो न सिर्फ जांच करे बल्कि उसके बाद की कार्रवाई भी करे। कोर्ट ने इस मामले में बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

याचिका में मांग की है कि उम्मीदवार हलफनामे में स्वयं की, जीवनसाथी और आश्रितों की संपत्ति के साथ ही उसका स्त्रोत भी बताए। उधर सीबीडीटी ने कोर्ट को उन 7 सांसदों और 98 विधायकों का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सौंपा जिनकी संपत्ति में अचानक पांच सौ गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है और जिनके खिलाफ आयकर जांच चल रही है। अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि आयकर विभाग मामले को लेकर गंभीर है और इन सांसदों विधायकों के खिलाफ जांच चल रही है।

पीठ ने कहा कि सिर्फ इतना पर्याप्त नहीं है कि सांसद या विधायक अपनी आय का वैध स्त्रोत बता दे, यह जांचना भी जरूरी है कि व्यक्ति इस आय को अर्जित करने की स्थिति में कैसे पहुंचा। जब अटार्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि गत अप्रैल से उम्मीदवार के लिए अपनी और जीवनसाथी की आय का स्त्रोत बताना जरूरी हो गया है तो कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच ही नहीं बल्कि सासंदों विधायकों के केसों की जल्द सुनवाई भी जरूरी है।

पीठ ने कहा कि सरकार इन लोगों के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए कानून के जरिए फास्ट ट्रैक तंत्र क्यों नहीं स्थापित करती। वेणुगोपाल ने कहा कि कोर्ट इसके लिए आदेश जारी करे। कोर्ट ने न्यायपालिका के कम बजट और अदालतों पर बढ़ते बोझ का जिक्र करते हुए कहा कि लोग मुकदमों में देरी के लिए न्यायपालिका को दोष देते हैं। न्याय तक लोगों की पहुंच प्राथमिकता होनी चाहिए। ये सही है कि सुधार एक दिन में नहीं होता लेकिन इसकी शुरुआत तो होनी चाहिए।

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