‘कावेरी जल विवाद’, जानें- तमिलनाडु व कर्नाटक के क्‍या हैं दावे

तमिलनाडु व कर्नाटक के बीच कावेरी जल विवाद काफी पुराना है। 19वीं सदी में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान ही यह विवाद कोर्ट तक पहुंच गया था और कई बार समाधान भी हुए पर विवाद जारी ही रहा।

By Monika minalEdited By: Publish:Tue, 06 Sep 2016 01:19 PM (IST) Updated:Tue, 06 Sep 2016 01:43 PM (IST)
‘कावेरी जल विवाद’, जानें- तमिलनाडु व कर्नाटक के क्‍या हैं दावे

सुर्खियों में छाया ‘कावेरी जल विवाद’ कावेरी नदी से संबंधित है, जो अंतर्राज्यीय नदी है। इस नदी पर विवाद का इतिहास काफी पुराना है। 19वीं सदी में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान ही यह विवाद कोर्ट तक पहुंच गया था और कई बार समाधान भी हुए पर विवाद जारी ही रहा। कावेरी के जलप्रवाह क्षेत्र में मुख्यत: कर्नाटक और तमिलनाडु आते हैं जिनके बीच यह टकराव है।कर्नाटक इस मामले में नए समझौतों पर बल दे रहा है जबकि तमिलनाडु पुराने समझौतों पर ही अडिग है।

विवाद है पुराना

कावेरी जल विवाद 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ था। उस वक्त विवाद मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर के बीच था। 1924 में इन दोनों के बीच एक एग्रीमेंट हुआ लेकिन बाद में इस विवाद में केरल और पांडिचेरी भी शामिल हो गए जिससे यह और मुश्किल हो गया। भारत सरकार द्वारा 1972 में गठित एक कमेटी की रिपोर्ट के बाद 1976 में कावेरी जल विवाद के सभी चार दावेदारों के बीच एग्रीमेंट किया गया जिसकी घोषणा संसद में हुई। इसके बावजूद विवाद जारी रहा। जुलाई 1986 में तमिलनाडु ने अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम(1956) के तहत केंद्र सरकार से एक ट्रिब्यूनल की मांग की। लेकिन केंद्र इसे बातचीत के जरिए ही हल करना चाहती थी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में ट्रिब्यूनल के गठन का निर्देश दिया। और अंतत: 1990 में ट्रिब्यूनल का गठन हो गया।

ट्रिब्यूनल के बाद

लेकिन ट्रिब्यूनल के अंतरिम आदेश से मामला और जटिल हो गया। इस आदेश के अनुसार कर्नाटक की ओर से कावेरी जल का तय हिस्सा तमिलनाडु को मिलेगा। इसके साथ ही पानी की वह मात्रा भी तय की गई जिसे छोड़ा जाना था। लेकिन कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ। इस बीच तमिलनाडु इस आदेश को लागू करने की मांग करने लगा। जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की।

कर्नाटक का दावा

कर्नाटक मानता है कि ब्रिटिश शासन के दौरान वह रियासत था जबकि तमिलनाडु ब्रिटिश का गुलाम। इसलिए 1924 का समझौता न्यायसंगत नहीं। इसके अलावा कर्नाटक का कहना है कि तमिलनाडु की तुलना में वहां कृषि देर से शुरू हुआ। और चूंकि वह नदी के बहाव के रास्ते में पहले है, उसे उस पर पूरा अधिकार है।

पुराने समझौतों को मानता है तमिलनाडु

तमिलनाडु पुराने समझौतों को तर्कसंगत बताते हुए कहता है, 1924 के समझौते के अनुसार, जल का जो हिस्सा उसे मिलता था, अब भी वही मिले।

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