गरीबों की सेहत के धन पर छह माह से बैठा है मंत्रिमंडल

नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। सवाल भले ही गरीबों की सेहत का हो, लेकिन सरकार अपनी सुस्ती से बाज नहीं आती। शहरी गरीबों को जरूरी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए 22.5 हजार करोड़ की योजना के सारे जरूरी काम पूरे हो गए लेकिन छह माह से कैबिनेट की मंजूरी के इंतजार में लटकी हुई है। इतने अहम मसले को इस तरह लटकाए रखने को लेकर संसद की स्थायी समिति ने सरकार को जोरदार फटकार लगाई है।

By Edited By: Publish:Fri, 26 Apr 2013 09:53 PM (IST) Updated:Fri, 26 Apr 2013 10:10 PM (IST)
गरीबों की सेहत के धन पर छह माह से बैठा है मंत्रिमंडल

नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। सवाल भले ही गरीबों की सेहत का हो, लेकिन सरकार अपनी सुस्ती से बाज नहीं आती। शहरी गरीबों को जरूरी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए 22.5 हजार करोड़ की योजना के सारे जरूरी काम पूरे हो गए लेकिन छह माह से कैबिनेट की मंजूरी के इंतजार में लटकी हुई है। इतने अहम मसले को इस तरह लटकाए रखने को लेकर संसद की स्थायी समिति ने सरकार को जोरदार फटकार लगाई है।

स्वास्थ्य संबंधी संसद की स्थायी समिति ने संप्रग सरकार को कहा है कि उसकी आखिरी मंजूरी नहीं मिलने की वजह से शहरी गरीबों की स्वास्थ्य योजना का काम लटका है। देश भर में 50 हजार से ज्यादा आबादी वाले सभी शहरों के लिए राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन [एनयूएचएम] को पिछले साल नौ अक्टूबर को ही व्यय वित्त समिति [ईएफसी] की मंजूरी मिल गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 24 जनवरी को इस संबंध में कैबिनेट सचिवालय को नोट भी भेज दिया। 21 फरवरी को इसे कैबिनेट की कार्यसूची में शामिल भी किया गया, मगर कोई फैसला नहीं हो सका। उसके बाद से आज तक इसे कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है।

समिति ने कहा है कि वह समझ नहीं पा रही है कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने में इतनी देरी क्यों हो रही है? स्वास्थ्य मंत्रालय में इस योजना से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी भी मानते हैं कि इस देरी की कोई वजह नहीं। यह सिर्फ सरकार की प्राथमिकताओं का मामला है। कैबिनेट में आम तौर पर ऐसी मंजूरी पर कोई विस्तृत चर्चा नहीं हुआ करती।

सरकार साफ कर चुकी है कि अब वह पहले से चल रहे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन [एनआरएचएम] व राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन [एनयूएचएम] को मिलाकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन [एनएचएम] शुरू करेगी। ईएफसी बैठक में 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए इस पर 22,507 करोड़ रुपये खर्च करने को मंजूरी दी गई थी। इसमें से 16,955 करोड़ की राशि केंद्र की होगी। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने धन के अभाव का उल्लेख करते हुए अपने भाषण यह साफ कर दिया था अब तक एनआरएचएम को जितना धन मिलता था, लगभग उतनी ही रकम में इस साल एनएचएम को चलाना होगा लेकिन कैबिनेट की मंजूरी के इंतजार में अब तक शहरों के लिए कोई धन ही जारी नहीं हो सका है।

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