बजट तो सिर्फ शुरुआत है, जितना कर सकते थे किया: जेटली

बजट में सुधारों की दिशा में पर्याप्त कदम न उठाने के लिए हो रही आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि बजट सिर्फ शुरुआत भर है। अभी जितना किया जा सकता था, उतना किया गया है। सभी निर्णय एक दिन में नहीं लिए जा सकते हैं। उद्योगों को अपेक्षानुसार रियायत न देने के साथ पिछल

By Edited By: Publish:Sun, 13 Jul 2014 07:02 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jul 2014 07:12 AM (IST)
बजट तो सिर्फ शुरुआत है, जितना कर सकते थे किया: जेटली

नई दिल्ली। बजट में सुधारों की दिशा में पर्याप्त कदम न उठाने के लिए हो रही आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि बजट सिर्फ शुरुआत भर है। अभी जितना किया जा सकता था, उतना किया गया है। सभी निर्णय एक दिन में नहीं लिए जा सकते हैं।

उद्योगों को अपेक्षानुसार रियायत न देने के साथ पिछली तारीख से कर में संशोधन के पूर्ववर्ती सरकर के निर्णय को निरस्त न करने के लिए कुछ रेटिंग एजेंसियों ने बजट की आलोचना की है। यह और बात है कि वेतनभोगियों को छूट देकर वित्त मंत्री ने प्रत्यक्ष करों के रूप में 22,200 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में आने से जाने दिए। आलोचनाओं का खंडन करते हुए जेटली ने कहा कि सरकार ने ऐसे आवश्यक कदम उठाए हैं, जो बीते दस साल में नहीं लिए गए। इंश्योरेंस हो या रीयल एस्टेट, रक्षा क्षेत्र हो या कर व्यवस्था का सरलीकरण सभी पर ध्यान दिया गया। मैन्यूफैक्च¨रग क्षेत्र को विशेष प्रोत्साहन दिया गया। 45 दिनों में जितना संभव था, किया गया। सरकार का लक्ष्य साफ था कि कुछ सेक्टरों में आपको ज्यादा राहत देनी ही है। आम आदमी पर बोझ नहीं डाला जाएगा। लिहाजा, व्यक्तिगत कर निर्धारण को तर्कसंगत करने की कोशिश की गई। बजट 2014-15 में आयकर में छूट की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये कर दिया गया। राजकोषीय घाटे के सवाल पर उनका कहना था कि इसे दो तरीकों से ही कम किया जा सकता है। या तो खर्च घटाए जाएं या कमाई बढ़ाई जाए। आदर्श स्थिति में कमाई को बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए। यदि आप खर्च कम करते हैं तो अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्से पर इसका असर पड़ता है। बजट में राजकोषीय घाटे को इस साल सकल घरेलू उत्पाद का 4.1 फीसद के स्तर पर लाने का प्रस्ताव किया गया है। 2016-17 तक इसे तीन फीसद तक लाया जाएगा।

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