जवानों की मानसिक सेहत के लिए 'हैप्पीनेस टेस्ट' कराएगा बीएसएफ
बीएसएफ मुख्यालय अपने जवानों को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रखने के लिए नए मानदंडों वाले टेस्ट की रूपरेखा तैयार की है।
style="text-align: justify;">नई दिल्ली, प्रेट्र। सीमा की रक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाला सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अब चुनौती वाले स्थानों पर जवानों की तैनाती से पहले उनका 'हैप्पीनेस टेस्ट' कराएगा। ऐसा जवानों की कार्यक्षमता को बढ़ाने और उन्हें अवसाद व निराशा से दूर रखने के लिए किया जाएगा। ऐसा पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर तथा नक्सल विरोधी अभियान में तैनाती से पहले किया जाएगा।
बीएसएफ मुख्यालय अपने जवानों को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रखने के लिए नए मानदंडों वाले टेस्ट की रूपरेखा तैयार की है। साल में एक बार आवश्यक तौर पर प्रत्येक जवान को इस टेस्ट से गुजरना होगा। इससे उसे सेवाकाल में शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखा जा सकेगा। क्षमता के उन्नयन से जवान का व्यक्तिगत जीवन बेहतर होगा, साथ ही वह ज्यादा सक्षमता से अपनी ड्यूटी कर सकेगा। बीएसएफ के महानिदेशक केके शर्मा ने इस टेस्ट के बारे में पुलिस महानिरीक्षक सतवंत ए त्रिवेदी की रिपोर्ट के बाद फैसला किया। त्रिवेदी ने ब्रिटेन के कुछ विशेषज्ञों की मदद से इस तरह के टेस्ट की रूपरेखा तैयार की थी।
जवानों में हताशा और इसके चलते खुद को या साथियों को नुकसान पहुंचाने की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ रखने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी के चलते इस टेस्ट को अब व्यवहार में लाया जाएगा। इस टेस्ट की प्रक्रिया के बारे में गृह मंत्री राजनाथ सिंह को अवगत कराते हुए लागू किया गया है।
बीएसएफ मुख्यालय अपने जवानों को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रखने के लिए नए मानदंडों वाले टेस्ट की रूपरेखा तैयार की है। साल में एक बार आवश्यक तौर पर प्रत्येक जवान को इस टेस्ट से गुजरना होगा। इससे उसे सेवाकाल में शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखा जा सकेगा। क्षमता के उन्नयन से जवान का व्यक्तिगत जीवन बेहतर होगा, साथ ही वह ज्यादा सक्षमता से अपनी ड्यूटी कर सकेगा। बीएसएफ के महानिदेशक केके शर्मा ने इस टेस्ट के बारे में पुलिस महानिरीक्षक सतवंत ए त्रिवेदी की रिपोर्ट के बाद फैसला किया। त्रिवेदी ने ब्रिटेन के कुछ विशेषज्ञों की मदद से इस तरह के टेस्ट की रूपरेखा तैयार की थी।
जवानों में हताशा और इसके चलते खुद को या साथियों को नुकसान पहुंचाने की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ रखने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी के चलते इस टेस्ट को अब व्यवहार में लाया जाएगा। इस टेस्ट की प्रक्रिया के बारे में गृह मंत्री राजनाथ सिंह को अवगत कराते हुए लागू किया गया है।