Book Review: 'भारतीय ज्ञानपरंपरा और विचारक' पुस्तक में लेखक ने सनातन परंपरा पर डाला प्रकाश

Book Review इस पुस्तक के लेखक ने इसी विचार को केंद्र में रखते हुए यह पुस्तक लिखी है। उन्होंने यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि भारत की पहचान सनातन दर्शन के वैशिष्ट्य से बनी है। कन्हैया झा के जरिए जानें इस पुस्तक की समीक्षा।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 12:43 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 12:43 PM (IST)
Book Review: 'भारतीय ज्ञानपरंपरा और विचारक' पुस्तक में लेखक ने सनातन परंपरा पर डाला प्रकाश
'भारतीय ज्ञानपरंपरा और विचारक' पुस्तक में लेखक ने सनातन परंपरा पर डाला प्रकाश

कन्हैया झा। पिछले दो दशकों में पूरे विश्व की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संरचना में व्यापक बदलाव आया है। इस पूरे परिदृश्य में भारत एक बार फिर विश्व गुरु बन सकता है। वर्तमान में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति और इस पुस्तक के लेखक ने इसी विचार को केंद्र में रखते हुए यह पुस्तक लिखी है। उन्होंने यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि भारत की पहचान सनातन दर्शन के वैशिष्ट्य से बनी है। आज सबसे बड़ा संकट नासमझी का है और वह सनातन को न समझने के कारण उपजा है। सनातन का तात्पर्य किसी कालखंड में उभरी हुई वैचारिक अवधारणा नहीं है। सनातन का अर्थ तो निरंतर है। जो निरंतर है, वही चिरंतन है, जो चिरंतन है, वही सनातन है।

आज कुछ लोग टुकड़े करने पर हैं उतारू

लेखक ने आगाह किया है कि आज कुछ लोग देश के टुकड़े करने पर उतारू हैं। ऐसे उन्मादी लोगों को यह समझना चाहिए कि यह देश एकात्मकता और एकसूत्रता के बल पर टिका हुआ है। पुस्तक में निहित अध्यायों के नाम से भी इसका ध्येय स्पष्ट हो जाता है, मसलन भारतीय ज्ञान परंपरा और उसका वर्तमान संदर्भ, सभ्यता की विरासत और भविष्य की सभ्यता, विश्व में गूंज रही भारती, शिक्षा का हिस्सा बने हमारी विरासत, खत्म हो जाएगी भाषा की राजनीति, सार्थक संवाद से दूर होता समाज, अवसरवादियों को कभी नहीं भूलता देश, जीने के लिए संघर्षरत पड़ोसियों के प्रति दायित्व और आत्मनिर्भरता से समृद्धि की संकल्पना आदि।

महात्मा गांधी की वर्तमान में प्रासंगिकता के विविध आयामों को भी दर्शाया गया

पुस्तक में गौतमबुद्ध, गोस्वामी तुलसीदास, बाबासाहेब आंबेडकर, विनोबा भावे, वीर सावरकर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे विचारकों और मनीषियों के नजरिये से भी हमारी ज्ञानपरंपरा को व्याख्यायित करने का प्रयास किया गया है। आधुनिक भारतीय दर्शन और चिंतन पर लेखक की व्यापक पकड़ होने के कारण उन्होंने महात्मा गांधी की वर्तमान में प्रासंगिकता के विविध आयामों को भी इसमें दर्शाया है। भारतीय ज्ञानपरंपरा को व्यापक रूप से समझने के लिए यह पुस्तक पठनीय है।

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पुस्तक : भारतीय ज्ञानपरंपरा और विचारक

लेखक : रजनीश कुमार शुक्ल

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन

मूल्य : 400 रुपये

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