बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदर्श सोसाइटी की इमारत गिराने का दिया आदेश

बॉम्बे हाईकोेर्ट ने आज आदर्श सोसाइटी की इमारत गिराने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए तीन महीने का समय दिया है।

By Atul GuptaEdited By: Publish:Fri, 29 Apr 2016 03:43 PM (IST) Updated:Fri, 29 Apr 2016 08:12 PM (IST)
बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदर्श सोसाइटी की इमारत गिराने का दिया आदेश

राज्य ब्यूरो, मुंबई। मुंबई उच्चन्यायालय ने विवादित आदर्श सोसायटी की इमारत को गिराने का आदेश दिया है। साथ ही इस मामले में आरोपी सभी नेताओं और नौकरशाहों के विरुद्ध उचित कार्रवाई शुरू करने के भी निर्देश दिए हैं।

उच्चन्यायालय का यह फैसला आदर्श सोसायटी के वकील की तरफ से दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद आया है। यह याचिका आदर्श सोसायटी की तरफ से केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आदर्श सोसायटी की इमारत गिराने का आदेश दिए जाने के खिलाफ दायर की गई थी। मंत्रालय का कहना था कि उक्त 31 मंजिला इमारत पर्यावरण नियमों को अनदेखा कर बनाई गई है, इसलिए इसे गिरा दिया जाना चाहिए।

आज उच्चन्यायालय ने भी कहा कि यह इमारत बनाने में सीआरज़ेड नियमों का उल्लंघन किया गया है, इसलिए इसे गिरा दिया जाना चाहिए। हालांकि उच्चन्यायालय ने अपने फैसले के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने के लिए सोसायटी को तीन माह का समय दिया है।

मुंबई के पॉश कोलाबा क्षेत्र में समुद्री किनारे से चंद कदमों की दूरी पर यह इमारत कारगिल में शहीद हुए जवानों की विधवाओं को घर देने के नाम पर बनाई गई थी। इमारत निर्माण से पहले इसके लिए सिर्फ छह मंजिलों की अनुमति मांगी गई थी। लेकिन बाद में इसी भूखंड पर राजनेताओं एवं नौकरशाहों की मिलीभगत से 31 मंजिला इमारत का निर्माण किया गया। जिसमें कई फ्लैट इन नेताओं एवं अधिकारियों, अथवा उनके रिश्तेदारों को भी सस्ती दरों पर आवंटित किए गए।

इन अनियमितताओं का पता 2010 में एक आरटीआई के द्वारा होने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा था। उनके तीन रिश्तेदारों को इस इमारत में फ्लैट आवंटित किए गए थे। चह्वाण के विरुद्ध अब भी सीबीआई की जांच चल रही है और सीबीआई ने कुछ सप्ताह पहले ही राज्यपाल सी. विद्यासागर राव से उनके विरुद्ध आपराधिक मुकदमा चलाने की अनुमति भी मांगी थी।

इस मामले की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 2011 में दो सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। जिसकी अध्यक्षता उच्चन्यायालय के सेवानिवृत्त जज जे.ए.पाटिल कर रहे थे। यह आयोग 2013 में ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुल 25 फ्लैट गैरकानूनी तरीके से आवंटित किए गए और इनमें से 22 फ्लैट फर्जी नामों से खरीदे गए थे। समिति की रिपोर्ट में अशोक चह्वाण के अलावा तीन और पूर्व मुख्यमंत्रियों विलासराव देशमुख, सुशीलकुमार शिंदे एवं शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर के नाम लिए गए थे। फिलहाल इस मामले की जांच सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय एवं आयकर विभाग कर रहे हैं।

आदर्श सोसाइटी मामले के मुख्य बिंदु

*जुलाई 1999 : आदर्श सोसाइटी ने कोलाबा क्षेत्र में भूमि के लिए सरकार से सम्पर्क किया।

*नौ जुलाई 1999 : सरकारी प्रस्ताव के तहत सोसायटी को प्लाट आवंटित किया गया।

*चार अक्टूबर 2004 : मुंबई के जिलाधिकारी ने भूमि का कब्जा सोसायटी को सौंपा।

*27 अक्टूबर 2009 : पश्चिमी नौसेना कमान को-ऑपरेटिव के उपपंजीयक से सोसायटी की विस्तृत जानकारी माँगी।

*16 सितंबर 2010 : आदर्श सोसायटी एमएमआरडीए से कब्जा प्रमाणपत्र मिला।

*25 अक्टूबर 2010 : नौसेना ने इस बात की पुष्टि की कि उसने सुरक्षा कारणों से आदर्श सोसायटी पर विरोध जताया है।

*28 अक्टूबर 2010 : मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री की सास और अन्य रिश्तेदारों के सोसायटी में फ्लैट हैं।

*31 अक्टूबर 2010 : बृहन्मुम्बई बिजली आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) ने कब्जा प्रमाणपत्र माँगते हुए नोटिस जारी किया।

*तीन नवंबर 2010 : एमएमआरडीए ने आदर्श सोसायटी का कब्जा प्रमाणपत्र रद्द किया। बेस्ट ने सोसायटी की विद्युत आपूर्ति जबकि बीएमसी ने पानी की आपूर्ति बंद की। आदर्श सोसायटी ने कहा कि वह उच्च न्यायालय जाएगा।

*नौ नवम्बर 2010 : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का इस्तीफा मंजूर।

*11 नवंबर 2010 : पृथ्वीराज चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने।

*22 नवंबर 2010 : आदर्श सोसायटी कब्जा प्रमाणपत्र रद्द करने तथा पानी और बिजली आपूर्ति काटे जाने के विरुद्ध उच्च न्यायालय पहुँचा।

*21 दिसंबर 2010 : उच्च न्यायालय ने कहा कि यह सीधे-सीधे धोखेबाजी का मामला है।

*23 दिसंबर 2010 : उच्च न्यायालय आदर्श सोसायटी को अंतरिम राहत देने से इनकार करने के साथ ही मामले की सुनवाई एक महीने के लिए स्थगित की।

*16 जनवरी 2011. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सिफारिश की कि इमारत को तीन महीने के अंदर गिरा दिया जाए।

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