दूरगामी असर दिखाएगा यह नतीजा

यह माना जा सकता है कि गठबंधन में रहते हुए भी विपक्षी की भूमिका निभाने वाली शिवसेना के तेवर पस्त दिखें।

By Manish NegiEdited By: Publish:Fri, 24 Feb 2017 12:03 AM (IST) Updated:Fri, 24 Feb 2017 01:13 AM (IST)
दूरगामी असर दिखाएगा यह नतीजा
दूरगामी असर दिखाएगा यह नतीजा

नई दिल्ली, आशुतोष झा। ओडिशा नगरपालिका के बाद बृहनमुंबई म्यूनिसिपल कारपोरेशन (बीएमसी) चुनाव में भाजपा को मिली भारी जीत का असर राज्य तक सीमित रहे यह संभव नहीं है। यह तय है कि इसका राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव दिखेगा। दोनों चुनावों में जहां कांग्रेस की जमीन ध्वस्त हो गई है वहीं देश के सबसे गरीब कालाहांडी से लेकर महाराष्ट्र में पिंपरी चिंचवाड़ व नासिक जैसे अति विकसित और अमीर म्यूनिसिपल कारपोरेशन तक में भाजपा का दबदबा पूरे देश के विपक्षियों की नींद उड़ाने में सक्षम है। ऐसे में पहले से लामबंद हो रहे विपक्षी दलों की गोलबंदी और मुखर होकर सामने आए इसे नकारा नहीं जा सकता है। लेकिन यह माना जा सकता है कि गठबंधन में रहते हुए भी विपक्षी की भूमिका निभाने वाली शिवसेना के तेवर पस्त दिखें।

पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आने में एक पखवाड़े का वक्त है। लेकिन उससे पहले ओडिशा और बीएमसी के नतीजे ने भाजपा का नैतिक बल सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है। दरअसल विपक्ष ही नहीं पार्टी के अंदर भी एक घटक यह मानने लगा था कि भाजपा उफान के बाद अब उतार पर है। इन नतीजों ने पार्टी कार्यकर्ताओं को भी संदेश दे दिया कि नेतृत्व की सोच सही दिशा में है, जरूरत है कार्यकर्ताओं को बढ़ने की।

ओडिशा में पार्टी हाशिए पर थी तो बीएमसी में बैसाखी पर। विधानसभा के बाद बीएमसी चुनाव में भी शिवसेना से अलग होकर भाजपा ने बढ़त की जो गति दिखाई वह अभूतपूर्व है। पिछले चुनाव तक महज साठ सीटों पर चुनाव लड़ने को मजबूर रही भाजपा अब अकेले ही 80 पर है जो शिवसेना से केवल चार कम है। यह नतीजा इसलिए अहम है क्योंकि बीएमसी में भाजपा को अलग रखकर शिवसेना के काबिज होने का साफ अर्थ था कि वह फडणवीस सरकार के साथ साथ मोदी सरकार के लिए भी परेशानी का सबब बनती। अब उसके हाथ बंध गए हैं। ध्यान रहे कि पिछले दिनों में शिवसेना का तेवर आक्रामक रहा है और वह सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमसे ले नहीं चूक रही थी। यह सबकुछ तब हो रहा था जब केंद्र में शिवसेना के एक केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। आने वाले समय में पश्चिम की यह जीत उत्तर में पंजाब को भी प्रभावित करे तो आश्चर्य नहीं। गौरतलब है कि पार्टी के अंदर लंबे वक्त से पंजाब में अपने लिए पूरी जमीन तलाशने की आवाज उठती रही है। फिलहाल चुनाव खत्म हो चुका है लेकिन भविष्य के लिए यह संकेत है।

ओडिशा की जीत ज्यादा अहम है। दरअसल 2019 के लिए जिन राज्यो पर भाजपा की नजरें हैं उसमें ओडिशा सबसे उपर है। एक झटके में भाजपा ने दसगुना छलांग लगाते हुए नगरपालिका और पंचायत में लगभग तीन सौ सीटों पर कब्जा जमा लिया है। लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव में लगभग दो साल का वक्त है। भाजपा इन पंचायतों के जरिए पकड़ दुरुस्त करेगी इसमें किसी शक की गुंजाइश नहीं है।

ऐसे में विपक्षी गोलबंदी और तेज होती दिख सकती है। गौरतलब है कि बीजू जनता दल अब तक किसी खेमे का हिस्सा नहीं है। अब उसकी रणनीति काबिलेगौर होगी। महाराष्ट्र में एनसीपी हाशिए पर है। वहीं यह देखने लायक होगा कि भाजपा की यह बढ़त दूसरे राज्यों में नए दोस्तों की तलाश को कितना पूरा करती है।

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