शीतकालीन सत्र में आ सकता है आधार अधिनियम में संशोधन का बिल

सूत्रों के मुताबिक संशोधन विधेयक का मसौदा सूचना प्रौद्योगिकी ने तैयार कर लिया है और उसे स्वीकृति के लिए कानून मंत्रालय भेजा है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Wed, 28 Nov 2018 07:44 PM (IST) Updated:Thu, 29 Nov 2018 12:31 AM (IST)
शीतकालीन सत्र में आ सकता है आधार अधिनियम में संशोधन का बिल
शीतकालीन सत्र में आ सकता है आधार अधिनियम में संशोधन का बिल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बैंक, मोबाइल फोन और स्कूल एडमीशन आदि में आधार की अनिवार्यता खत्म करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कानूनी समर्थन देने के लिए सरकार आधार कानून में संशोधन करने जा रही है। सरकार ने आधार अधिनियम में संशोधन के लिए मसौदा तैयार कर लिया है। उम्मीद है इस संशोधन विधेयक के मसौदे को सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करेगी।

इसी साल 26 सितंबर को आधार की अनिवार्यता के मसले पर ऐतिहासिक निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी से मिलने वाली विभिन्न सब्सिडी और छात्रवृत्तियों को छोड़कर बाकी चीजों के लिए आधार की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि लोग चाहें तो बैंक खातों और मोबाइल से जुड़े अपनी आधार संख्या को डीलिंक भी कर सकते हैं। लेकिन उसके बाद यह सवाल उठने लगा था कि इसे कानूनी मान्यता किस प्रकार मिलेगी। सरकार के लिए आधार कानून में संशोधन करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि अभी भी आधार के इस्तेमाल को लेकर लोगों में भ्रम बना हुआ है।

हालांकि फैसले के बाद न केवल वित्त मंत्री अरुण जेटली बल्कि कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा भी था कि बैंक या मोबाइल कंपनियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन सुनिश्चित कराने के लिए सरकार कानून में बदलाव भी करेगी। आधार जारी करने वाली संस्था यूआइएडीआइ के सूत्र बताते हैं कि इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए सरकार आधार अधिनियम में संशोधन करने जा रही है। बताया जा रहा है कि जिन सेवाओं के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा, सरकार कानून में इस बात का स्पष्ट प्रावधान करेगी।

सूत्रों के मुताबिक संशोधन विधेयक का मसौदा सूचना प्रौद्योगिकी ने तैयार कर लिया है और उसे स्वीकृति के लिए कानून मंत्रालय भेजा है। कानून मंत्रालय की स्वीकृति मिलने के बाद आइटी मंत्रालय संशोधन प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए प्रस्तुत करेगा। हालांकि सूत्र बताते हैं कि यह सारी प्रक्रिया शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले पूरी हो जाएगी ताकि शीतकालीन सत्र में इसे पारित कराया जा सके।

यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मौजूदा सरकार के लिए संसद का यही एक पूर्णकालिक सत्र बचा है। फरवरी में अंतरिम बजट प्रस्तुत करने के लिए एक लघु सत्र बुलाया जाएगा। उसके बाद मार्च-अप्रैल 2019 में आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप नियम बनाने के लिए यह आवश्यक है कि आधार अधिनियम में संशोधन संसद के शीतकालीन सत्र में ही करा लिया जाए।

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