अगले साल होने वाले चुनावों मे दिखेंगे बड़े सुधार, निर्वाचन आयोग ने इस मामले पर तेजी से आगे बढ़ने के दिए संकेत

गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होने से निर्वाचन आयोग बड़ी राहत में है। आयोग उन सुधारों को भी जल्द ही अमल में लाना चाहता है जो चुनाव प्रक्रिया को और भी ज्यादा पारदर्शी बनाने के जरूरी है।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Fri, 09 Dec 2022 10:19 PM (IST) Updated:Fri, 09 Dec 2022 10:19 PM (IST)
अगले साल होने वाले चुनावों मे दिखेंगे बड़े सुधार, निर्वाचन आयोग ने इस मामले पर तेजी से आगे बढ़ने के दिए संकेत
अगले साल होने वाले चुनावों मे दिखेंगे बड़े सुधार। फाइल फोटो।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होने से निर्वाचन आयोग बड़ी राहत में है। उसके लिए खुशी की बात यह है कि दोनों राज्यों में करीब 60 हजार मतदान केंद्रों पर हुए इस चुनाव में किसी भी बूथ पर चुनाव को रद्द करने या फिर से चुनाव की नौबत नहीं आयी है। साथ ही पिछले लगभग हर चुनाव में उठने वाले ईवीएम का मुद्दा भी गायब था। बावजूद इसके आयोग उन सुधारों को भी जल्द ही अमल में लाना चाहता है, जो चुनाव प्रक्रिया को और भी ज्यादा पारदर्शी बनाने के जरूरी है। आयोग ने इसे लेकर तेजी से आगे बढ़ने के संकेत दिए है।

नौ राज्यों में देखने को मिल सकता है सुधार

माना जा रहा है कि अगले साल त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड सहित नौ राज्यों के होने वाले चुनावों में इन सुधारों को देखने को मिल सकता है। अगले साल त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना शामिल है। इनमें त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनाव फरवरी में होने है, क्योंकि इन राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल 13 मार्च या उससे पहले खत्म हो रहा है। ऐसे में आयोग के पास चुनाव सुधारों के लंबित मुद्दों को रफ्तार देने के लिए अभी सिर्फ जनवरी का समय है।

बड़े सुधारों की ओर तेजी से आगे बढ़ सकता है आयोग

सूत्रों की मानें तो चुनाव से जुड़े जिन बड़े सुधारों पर आयोग तेजी से बढ़ सकता है,उनमें मतदाता सूची की गड़बड़ियों को दुरुस्त करना है। मौजूदा समय में वोटर लिस्ट में एक व्यक्ति के वोटर लिस्ट में दो जगहों से नाम की बड़ी शिकायत है। आयोग को इसे लेकर अक्सर कटघरे में भी खड़ा किया जाता है। फिलहाल आयोग ने इसे लेकर एक साफ्टवेयर तैयार किया है, जिसकी मदद से दोहराव वाले नामों की खोजबीन चल रही है। इसी तरह से स्वैच्छिक रूप से अपने वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने की मुहिम भी काफी हद तक सफल होते दिख रही है।

मुफ्त वादों के मुद्दे पर आयोग ले सकता है फैसला

सूत्रों के मुताबिक अब तक 56 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने अपने वोटर कार्ड को आधार से लिंक करा दिया है। आयोग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक आयोग चुनाव सुधार से जुड़े जिन अन्य मुद्दों पर कुछ अहम फैसला ले सकता है, उनमें मुफ्त वादों का मुद्दा भी है। आयोग इसे लेकर राजनीतिक दलों की राय भी ले चुका है। आयोग का इस व्यवस्था को और पारदर्शी बनाने को लेकर जोर इसलिए है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और चुनाव को लेकर जनता में भरोसा मजबूत किया जा सके।

चुनाव सुधारों पर लंबे समय से काम कर रहा है आयोग

आयोग इसके अलावा चुनाव से जुड़े दुष्प्रचार, फर्जी शिकायतें, आयोग पर बगैर तथ्यों के आरोप लगाना, एक सीट से एक व्यक्ति के चुनाव लड़ना आदि शामिल है। सूत्रों की मानें तो आयोग इन सभी चुनाव सुधारों पर लंबे समय से काम कर रहा है। ऐसे में उसके लिए इस पर कोई फैसला लेना मुश्किल नहीं होगा।

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