नीट परीक्षा परिणाम में होगा बड़ा उलटफेर

मेडिकल स्नातक प्रवेश परीक्षा 'नीट' के परिणाम में अब बड़ा उलटफेर होना है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 11 Aug 2017 04:02 AM (IST) Updated:Fri, 11 Aug 2017 04:02 AM (IST)
नीट परीक्षा परिणाम में होगा बड़ा उलटफेर
नीट परीक्षा परिणाम में होगा बड़ा उलटफेर

 जागरण संवाददाता, इलाहाबाद। मेडिकल स्नातक प्रवेश परीक्षा 'नीट' के परिणाम में अब बड़ा उलटफेर होना है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक सवाल का गलत उत्तर होने के आधार पर सीबीएसई बोर्ड को सभी छात्रों को प्रश्न संख्या 172 पर नए सिरे से सही अंक प्रदान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याची को प्रश्न के चार अंक और माइनस मार्किंग का एक अंक यानी कुल पांच अंक देने के साथ ही फीस के एक हजार रुपये भी वापस करने का आदेश दिया है।

 यह आदेश न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल व न्यायमूर्ति अशोक कुमार की खंडपीठ ने वाराणसी के छात्र सौमित्र गिगोडिया की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया। याची का कहना है कि नीट के 'वाई' सीरीज के प्रश्नपत्र 172 का विकल्प उत्तर बोर्ड ने गलत दिया है। उसके अनुसार सही विकल्प उत्तर 'डी' है। कोर्ट ने बोर्ड की विशेषज्ञ टीम की राय ली तो बोर्ड ने बताया कि उत्तर विकल्प 'बी' व 'डी' दोनों सही हैं। कोर्ट ने बोर्ड के तर्क को नहीं माना और कहा कि तीन उत्तर विकल्प गलत हैं। केवल एक ही विकल्प उत्तर सही है। कोर्ट ने कहा कि यह बोर्ड का दायित्व है कि वह सही उत्तर विकल्प दे।

-इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक गलत उत्तर पर सही अंक देने का निर्देश

-याची को पांच अंक व फीस के एक हजार रुपये वापस करने का आदेश

 एक गलत उत्तर से कइयों के भाग्य बदल सकते हैं, क्योंकि गलत उत्तर पर माइनस मार्किंग है तो सही उत्तर देने वाले का एक अंक कट जाएगा और गलत उत्तर देने वाले को चार अंक मिल जाएंगे। इससे मेरिट प्रभावित होगी। परिणाम पर असर पड़ेगा, इसलिए बोर्ड सही उत्तर विकल्प भरने वाले सभी छात्रों को अंक प्रदान करें। कोर्ट के इस आदेश से 'नीट' के परिणाम में बड़ा उलटफेर होना तय है, क्योंकि इसमें एक-एक अंक पर बड़ी संख्या में प्रतियोगी चयनित या फिर चयन सूची से बाहर होते हैं।

 नीट के सभी भाषाओं में होने चाहिए समान प्रश्नपत्र : सुप्रीम कोर्ट

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नीट) में सभी भाषाओं के प्रश्नपत्रों में समान प्रश्न न होने पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई की खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि नीट में सभी भाषाओं के प्रश्नपत्रों में समान प्रश्न होने चाहिए। कोर्ट ने अगली नीट में समान प्रश्नपत्रों के बारे में सीबीएसई से हलफनामा दाखिल कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी। ये टिप्पणियां न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 'संकल्प चेरिटेबल ट्रस्ट' की याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं। याचिका में सभी भाषाओं के प्रश्न पत्र समान न होने पर नीट २०१७ रद करने की मांग की गई है।

 सीबीएसई की ओर से पेश एडीशनल सॉलिसीटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा कि नीट 2017 में हिंदी, अंग्रेजी और प्रादेशिक भाषाओं के प्रश्नपत्र समान नहीं थे। वे अनुवाद नहीं थे, लेकिन उन प्रश्नपत्रों में कठिनता का स्तर समान था। इस पर पीठ ने कहा कि सभी भाषाओं में समान प्रश्न होने चाहिए। अन्य भाषाओं में सिर्फ उनका अनुवाद होना चाहिए। हालांकि, पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने इस आधार पर परीक्षा रद करने से इन्कार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस समय ऐसा आदेश नहीं दिया जा सकता क्योंकि इससे करीब छह लाख छात्र प्रभावित होंगे। तब कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई की हामी भरी थी।

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