आईएआरसी का आकलन 2040 तक भारत समेत एशिया में 59% बढ़ेंगे कैंसर के नए मरीज, संतुलित भारतीय खाना कम करेगा खतरा

भारत में तंबाकू-शराब और आनुवांशिक केस के साथ अब बिगड़ती लाइफस्टाइल के कारण कैंसर के नए मरीज आ रहे हैं। रेड मीट प्रिजर्व्ड- फास्ट फूड का नियमित सेवन व्यायाम न करना वजह है। विशेषज्ञों के अनुसार खानपान सुधार लें तो 40% तक कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।

By Sandeep RajwadeEdited By: Publish:Sat, 04 Feb 2023 05:16 PM (IST) Updated:Mon, 06 Feb 2023 04:14 PM (IST)
आईएआरसी का आकलन 2040 तक भारत समेत एशिया में 59% बढ़ेंगे कैंसर के नए मरीज, संतुलित भारतीय खाना कम करेगा खतरा
बिगड़ी लाइफस्टाइल बनी कैंसर का बड़ा कारण

नई दिल्ली। संदीप राजवाड़े। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर का आकलन है कि विश्व में 2040 तक कैंसर के सबसे ज्यादा नए मरीज भारत समेत एशिया में मिलेंगे। दुनिया में जितने नए कैंसर मरीज सामने आएंगे, उनमें 59% एशिया में ही होंगे। 2020 के आंकड़ों के अनुसार एशिया में साल में कैंसर के 95 लाख 3710 नए मरीज मिले। यह संख्या 2040 तक बढ़कर एक करोड़ 51 लाख 30778 हो जाएगी। नए कैंसर मरीज बढ़ने की दर अफ्रीका के बाद एशिया में सबसे ज्यादा होगी। पुरुष कैंसर मरीजों की संख्या 2020 के 5.2% की तुलना में 2040 में 8.29% की दर से बढ़ेगी। इसी तरह, नए महिला कैंसर मरीजों की संख्या हर साल 6.84% बढ़ जाएगी, 2020 में यह दर 4.48% थी। आईएआरसी (IARC) ने 2020 से 2040 के दौरान दुनिया में कैंसर के नए मरीजों की संख्या को लेकर अनुमान लगाया है।

कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टरों का मानना है कि खान-पान और लाइफस्टाइल इस बीमारी के सबसे बड़े कारण बन गए हैं। तंबाकू-शराब के साथ फास्ट फूड, रेड मीट खाने की बढ़ती आदत और मोटापा कैंसर की बीमारी को बढ़ावा दे रहे हैं। डॉक्टरों की सलाह है कि अगर योग और कसरत के साथ संतुलित भारतीय खान-पान को नियमित रूप से जारी रखा जाए तो कैंसर की आशंका 30 से 40 परसेंट कम हो सकती है।

सबसे ज्यादा ब्रेस्ट और लिप ओरल कैविटी कैंसर

आईएआरसी के अनुसार भारत में अभी सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर (13.5%) के मामले आ रहे हैं। दूसरे नंबर पर पुरुषों में ओरल कैविटी कैंसर (10.3%), तीसरे नंबर पर सर्विक्स यूटेरस कैंसर (9.4%), चौथे नंबर पर लंग्स कैंसर (5.5%) और पांचवें नंबर पर कोलोरेक्टल कैंसर (4.9%) है। आईएआरसी के 2020 के डेटा के अनुसार भारत में कैंसर के नए पुरुष मरीजों में सबसे ज्यादा ओरल कैविटी कैंसर के केस 16.2%, लंग्स कैंसर के 8% और स्टमक कैंसर के केस 6.3% मिले। महिलाओं में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले 26.3%, सर्विक्स यूटेरस के 18.3% और ओवरी कैंसर के 6.7% मरीज हैं। भारत में 2020 के दौरान 13,24,413 नए कैंसर मरीज मिले। इनमें 6,46,030 पुरुष और 6,78,383 महिलाएं थी। 2020 में कैंसर से कुल 8,51,678 मौतें हुईं। इनमें 4,38,297 पुरुष और 4,13,381 महिलाएं थीं।

सनार इंटरनेशनल हॉस्पिटल गुरुग्राम के सीनियर ओंको सर्जन डॉ. अर्चित पंडित ने बताया कि अब भी तंबाकू उत्पाद और शराब कैंसर के प्रमुख कारण हैं। इसके बाद गलत खानपान से बढ़ रहा मोटापा, व्यायाम न करना और रेड मीट का सेवन कैंसर के मरीज बढ़ा रहा है। कई यूरोपियन देशों में शोध में यह बात सामने आई है कि शराब-तंबाकू का सेवन कम करने से कैंसर कम हो रहे हैं, उसकी तुलना में मोटापा सबसे बड़ी वजह बन गया है। इसके पीछे फास्ट फूड व प्रिजर्व्ड फूड की आदत है। हमारे यहां अगर लोग नियमित मार्निंग-इवनिंग वॉक, सीढ़ी उतरना-चढ़ना, हल्का-फुल्का व्यायाम और योग करें तो कैंसर की आशंका बहुत कम हो जाती है। इसके अलावा कई शोध में सामने आया है कि संतुलित भारतीय खान-पान, जिसमें मसाला, हल्दी, लहसुन, प्याज के साथ अन्य जड़ी-बूटी व हर्बल प्रोडक्ट सब्जियों में शामिल होते हैं, वे हमारे शरीर में कैंसर को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आईसीएमआर का आकलन 2025 तक 12.8% नए मरीज बढ़ेंगे

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम आईसीएमआर बेंगलुरु के आकलन में पाया गया कि 2022 में 14 लाख 61 हजार 427 कैंसर के नए मरीज मिले। इसके अनुसार 2025 में 2020 की तुलना में मरीजों की संख्या 12.8 फीसदी बढ़ जाएगी। भारत में 2015 से 2025 के दौरान नए कैंसर मरीजों का जो आकलन किया गया है, उसमें पुरुषों में 2020 में सभी तरह के कैंसर वाले 6,79,421 मरीज मिले। 2025 तक 7,63,575 मरीज मिलने का अनुमान है। इसी तरह महिलाओं में कैंसर के नए मरीज 2020 में 7,12,758 थे, जो 2025 तक 8,06,218 तक होने का अनुमान है।

प्रदूषण और अनहेल्दी खानपान- लाइफस्टाइल जिम्मेदार

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम आईसीएमआर बेंगलुरु के डायरेक्टर डॉ. प्रशांत माथुर ने बताया कि लाइफस्टाइल ही आज कैंसर की मुख्य वजह बनती जा रही है। इसमें शराब-तंबाकू, गुटखा, सिगरेट जैसे प्रोडक्ट के इस्तेमाल के साथ वेस्टर्न खानपान को अपनाना, कसरत न करना और कम नींद लेना शामिल हैं। स्टडी में सामने आया कि बिगड़ी लाइफस्टाइल की वजह से कैंसर मरीज बढ़ रहे हैं।

डॉ माथुर का कहना है कि प्रदूषण भी इसमें बड़ा रोल अदा कर रहा है। प्रदूषण में सिर्फ प्रदूषित हवा नहीं, बल्कि आसापास धूम्रपान करनेवाला, फैक्टरी और धुआं है। इसके अलावा घरों के अंदर होने वाले प्रदूषण में लकड़ी-केरोसिन का उपयोग, किचन में निकलने वाले केमिकल भी हैं। खानपान में सिर्फ फास्टफूड नहीं, बल्कि केमिकल-पेस्टीसाइड युक्त सब्जी-फल भी शामिल हैं। ये कैंसर के बड़े कारण बन रहे हैं। भारत में संक्रमणयुक्त कैंसर के मरीज पहले की तुलना में कम हुए हैं। दूसरी ओर लाइफस्टाइल से जुड़े फैक्टर्स के कैंसर ज्यादा हो रहे हैं। पुरुषों में मुंह, फेफड़े और पेट के कैंसर अधिक होते हैं तो महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, ओवरी व यूटेरस के केस ज्यादातर देखने को मिलते हैं।

खानपान की आदत बचा सकती है कैंसर से

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च नोएडा (एनआईसीपीआर) के कैंसर इंडिया डॉट ओआरजी डॉट इन के अनुसार अलग-अलग कैंसर संस्थान व रिसर्च के आंकड़ों से पता चला है कि कैंसर हमारे खानपान से सीधा जुड़ा है। कुछ खानपान कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं तो कुछ सही आहार कवच का काम करते हैं। कैंसर से बचाव करने वाले आहार में हल्दी, गोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, गाजर, लहसुन, अंगूर, प्याज, खट्टे फल जूस, हरी चाय, टमाटर, अलसी का बीज और सोयाबीन प्रमुख हैं।

प्रोसेस्ड मीट, प्रिजर्व फ़ूड बढ़ाते हैं खतरा

कैंसर एक्सपर्ट्स का मानना है कि 10 में एक कैंसर का संबंध सीधा भोजन से जुड़ा हुआ है। वही कुछ ऐसे खानपान हैं, जिनसे कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। रेड मीट, प्रोसेस्ड मीट का अधिक सेवन, नियमित प्रिजर्व फ़ूड खाना,, नमक की अधिकता, फाइबर की कमी कैंसर के खतरे को बढ़ाती है। कुछ अध्ययनों से पता चला है दूध में कैल्शियम की मात्रा आंत के कैंसर के खतरे को कम करती है, लेकिन दूसरी तरफ डेयरी प्रोटीन की अधिक मात्रा प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को बढ़ाती है। शराब और मसालेदार तीखा भोजन पेट के कैंसर की आशंका को बढ़ाता है। शराब किडनी, जिगर, मुंह, भोजन नली और स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ाती है। इस तरह के खानपान के कारण ही मोटापा कैंसर का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है।

कैंसर के संकेत को समझें और पहचानें

रायपुर स्थित रीजनल कैंसर सेंटर के डायरेक्टर और डीन डॉ विवेक चौधरी का कहना है कि अब जो केस आ रहे हैं, उनमें सिर्फ गांव या तंबाकू- जर्दा वाले ही नहीं हैं। पढ़े-लिखे और शहरी लोग भी हैं, जिनमें यह बीमारी उनके बिगड़े लाइफस्टाइल की वजह से हुई है। सकारात्मक यह है कि आज कैंसर के शुरुआती लक्षण की पहचान व जांच होने से इसे फैलने से रोक जा रहा है। इससे लोगों की जान बचाने के साथ उनके जीवन की अवधि बढ़ाई जा रही है।

डॉ चौधरी ने बताया कि कैंसर के शुरुआती लक्षण को जानने और पहचानने से इस बीमारी को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है। इसके कुछ संकेत हैं, जिनकी पहचान कर समय रहते जांच कराई जा सकती है। घाव जो जल्दी न भरे, मूत्राशय की आंतों में परिवर्तन, शरीर के किसी भी हिस्से से असामान्य रक्तस्राव, वजन में अचानक गिरावट या भूख न लगना, खाना निगलने में परेशानी, तिल या मस्से की साइज में परिवर्तन, लंबे समय तक खांसी, आवाज में भारीपन या परिवर्तन होना। ये लक्षण लंबे समय तक दिखे तो जांच करानी चाहिए।

कैंसर मरीजों के लिए आर्थिक सहायता की योजनाएं

केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से कैंसर मरीजों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों व संस्थानों में सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। केंद्र सरकार की तरफ से आयुष्मान भारत के अंतर्गत कैंसर मरीज का इलाज कराया जा सकता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा देशभर में अलग-अलग अस्पतालों में इलाज के लिए गरीब मरीजों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। राष्ट्रीय आरोग्य निधि स्वास्थ्य मंत्री विवेकाधीन अनुदान जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए योजना लागू है। कैंसर रोगी रेलवे में मुफ्त सफर कर सकते हैं, उनके सहायक को द्वितीय श्रेणी में केवल 25% किराया भुगतान करना पड़ता है। कैंसर मरीजों को हवाई यात्रा में 50 फीसदी रियायत दी जाती है, जो उपचार व मेडिकल चेकअप के लिए यात्रा कर रहे हैं। इसके अलावा राज्यों में मुख्यमंत्री राहत कोष से भी इलाज में आर्थिक मदद दी जाती है।

कैंसर से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई

कैंसर को लेकर कई तरह के मिथक और भ्रम हैं। इसे लेकर कैंसर cancerindia.org.in में अलग-अलग सवालों व मिथक की सच्चाई के बारे में बताया गया है।

मिथक 1- कैंसर छुआछूत की बीमारी है।

सच्चाई- कैंसर छूत की बीमारी नहीं है। हालांकि कुछ तरह के कैंसर वायरस और बैक्टीरिया की वजह से होते हैं।

मिथक 2- यदि आपके परिवार में किसी को कैंसर नहीं हुआ है तो आपको भी नहीं होगा।

सच्चाई- इसकी कोई गारंटी नहीं है। केवल 5-10 फीसदी कैंसर वंशानुगत होते हैं। बाकी कैंसर के मरीज अन्य कारणों से सामने आते हैं।

मिथक 3- यदि आपके परिवार में किसी को कैंसर है या था तो आपको कैंसर अवश्य होगा।

सच्चाई- कैंसर का पारिवारिक इतिहास होने से इस बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। परंतु यह निश्चित नहीं है। केवल 5-10 फीसदी वंशानुगत जीन्स में ऐसे केस होते हैं।

मिथक 4- यदि आपको कैंसर हुआ है तो आपकी मौत जल्दी हो जाएगी?

सच्चाई- कैंसर को जल्दी पता लगने और उपचार के क्षेत्र में उन्नति के कारण कई प्रकार के कैंसर के मरीज लंबे समय तक जीवित रहते हैं। कैंसर के साथ कई मरीज 5 साल या उससे अधिक भी जीवित रहते हैं।

मिथक 5- बुजुर्गों में कैंसर का इलाज मुमकिन नहीं है।

सच्चाई- कैंसर के इलाज के लिए कोई आयु सीमा नहीं है। बुजुर्ग मरीजों में कैंसर का इलाज उतना ही सफल हो सकता है, जितना युवा मरीजों में। कैंसर के मरीजों का उपचार उनकी उपयुक्त हालत के अनुसार किया जाता है।

मिथक 6- कैंसर का इलाज बीमारी से भी दर्दनाक है?

सच्चाई- कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी और रेडियोथैरेपी के दुष्प्रभाव कभी-कभी गंभीर हो सकते हैं। हालांकि आजकल बेहतर उपचार पद्धतियों से दुष्प्रभाव भी कम हुए हैं। उपचार के दौरान प्रतिकूल लक्षण जैसे गंभीर मतली और उल्टी, बालों का झड़ना और ऊतकों को नुकसान जैसे लक्षण आजकल कम देखे जाते हैं।

मिथक 7- सेल फोन का अधिक प्रयोग और आपके आसपास सेल फोन टावर होना कैंसर के खतरे को बढ़ाता है?

सच्चाई- अब तक के ज्यादातर अध्ययनों के मुताबिक सेलफोन कैंसर का कारक नहीं पाया गया है। कैंसर अनुवांशिक परिवर्तनों के कारण होता है। सेलफोन अल्पावृति की ऊर्जा फेंकता है, जो जीन्स को नुकसान नहीं पहुंचाती। हालांकि मोबाइल और सेल फोन टावर कैंसर के कारक हैं या नहीं, यह अब भी रिसर्च का विषय बना हुआ है।

मिथक 8- हेयर डाई और स्प्रे कैंसर का कारण बन सकते हैं।

सच्चाई- ऐसा कोई निर्णायक वैज्ञानिक सबूत नहीं है कि इनकी वजह से कैंसर का खतरा बढ़ता है।

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