कृषि वैज्ञानिकों का दावा, मधुमेह और हृदय रोगियों के लिए रामबाण है यह अनाज

वैज्ञानिकों का दावा है कि बीमारियों से निपटने के अलावा ये आहार कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में कारगर साबित होगा।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Fri, 13 Oct 2017 09:52 AM (IST) Updated:Fri, 13 Oct 2017 10:05 AM (IST)
कृषि वैज्ञानिकों का दावा, मधुमेह और हृदय रोगियों के लिए रामबाण है यह अनाज
कृषि वैज्ञानिकों का दावा, मधुमेह और हृदय रोगियों के लिए रामबाण है यह अनाज

हल्द्वानी (गणेश जोशी)। कृषि वैज्ञानिकों ने 12 अनाजों को मिलाकर विशिष्ट पौष्टिक आहार तैयार किये हैं। 15 विभिन्न नामों से यह जल्द ही बाजार में उपलब्ध होंगे। मधुमेह से बचाव के लिए न्यूट्रिडायब केयर, हृदय संबंधी बीमारियों से बचाव के लिए न्यूट्रिकार्डियक केयर और कैंसर से बचाव के लिए न्यूट्रिआंको केयर जैसे प्रोडक्ट इसमें शामिल हैं। आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ ही यह शुगर फ्री भी हैं। उत्तराखंड के पंतनगर स्थित जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने नैनो टेक्नोलॉजी की मदद से इन्हें तैयार किया है। 12 मुख्य अनाजों के महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के मिश्रण से तैयार विशेष आहार को अब पेटेंट कराने की तैयारी है।

कुपोषण के खिलाफ होगा कारगर: वैज्ञानिकों का दावा है कि बीमारियों से निपटने के अलावा ये आहार कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में कारगर साबित होगा। इसके नियमित उपयोग से विभिन्न बीमारियों से बचा जा सकेगा। विश्वविद्यालय के आणविक जीव विज्ञान एवं आनुवांशिक अभियांत्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार ने बताया कि नैनो टेक्नोलॉजी की मदद से बाहर मुख्य अनाजों में पाए जाने वाले सभी पोषक तत्वों को पहले पृथक किया गया। फिर इनका संतुलित व प्रभावकारी मिश्रण तैयार किया गया। स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्वों का इस विशेष आहार में संतुलित समावेश है। अलग-अलग बीमारियों के उपचार और बचाव के लिए जरूरी पोषक तत्वों को आवश्यक्ता के अनुरूप मिश्रित किया गया है। ये सभी बारह अनाज उत्तराखंड में पीढ़ियों से मुख्य आहार के रूप में इस्तेमाल किए जाते रहे हैं।

इन बारह अनाजों का समावेश : बारहनाजा उत्तराखंड की पुरानी व पारंपरिक फसल विधि है। इसमें बारह स्थानीय फसलें मडुवा, रामदाना, राजमा, ओगल, उड़द, मूंग, नौरंगी, गहत, भट, लोबिया, खैरे और भांग शामिल हैं। इसकेअलावा रेशेदार, तिलहन संबंधी कुछ अन्य फसलें भी इसमें शामिल होती हैं। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिको ने इन फसलों में पाए जाने वाले तत्वों को उनकी पौष्टिकता के आधार चिह्नित कर इनका संतुलित मिश्रण किया ताकि यह सुपाच्य, शुगर फ्री और पोषक तत्वों से भरपूर रहे। खास बात यह भी है कि इन सभी अनाजों को जैविक कृषि के माध्यम से उत्पादित किया जाता है।

पेटेंट के लिए तैयार : विश्वविद्यालय ने अब तक न्यूट्रिडायब केयर, न्यूट्रिकार्डियक केयर, न्यूट्रिऑस्टियो केयर, न्यूट्रिगैस्ट्रो केयर, न्यूट्रिआंको केयर आदि 15 प्रोडक्ट तैयार किए हैं। पेटेंट के लिए आयरन बूस्टर, नैनो इमल्शन, प्रोसेस टरमरिक प्रोडक्ट के लिए आवेदन किया गया है। इन उत्पादों को बड़ा बाजार मिलने की उम्मीद की जा रही है। जो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन को रोकने में मददगार साबित हो सकता है। विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार के समक्ष सुझाव दिया है। जिसमें इन फसलों की जैविक खेती को बढ़ावा दिए जाने की बात कही गई है।

इन अनाजों में शामिल मडुवा नामक अनाज में कुछ ऐसे बायोएक्टिव पेप्टाइड हैं, जो व्यक्ति में कैल्शियम की
अधिकतम मात्रा को कोशिकाओं में संग्रहित करने में मदद करते हैं। मडुवा समेत अन्य पर्वतीय उत्पादों में अमीनो अम्ल युक्त प्रोटीन की भी पहचान हुई है। इन अनाजों से बने ये उत्पाद वैश्विक बाजार में उतरने की क्षमता रखते हैं।
प्रो. अनिल कुमार, जीबी पंत कृषि एवं प्रोद्योगिकी विवि, पंतनगर

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