गंगा व सहायक नदियों में प्रतिमा विसर्जन पर लगा प्रतिबंध, जानें ऐसा करने पर कितना लगेगा जुर्माना

पतित पावनी गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को 15 सूत्रीय दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 03 Oct 2019 11:48 PM (IST) Updated:Fri, 04 Oct 2019 12:00 AM (IST)
गंगा व सहायक नदियों में प्रतिमा विसर्जन पर लगा प्रतिबंध, जानें ऐसा करने पर कितना लगेगा जुर्माना
गंगा व सहायक नदियों में प्रतिमा विसर्जन पर लगा प्रतिबंध, जानें ऐसा करने पर कितना लगेगा जुर्माना

नई दिल्ली, प्रेट्र। पतित पावनी गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत 11 राज्यों को 15 सूत्रीय दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें सबसे अहम है कि गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों में अब प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं किया जा सकेगा। किसी भी त्योहार पर या आम दिनों में ऐसा करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। केंद्र सरकार के अधीन आने वाले स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) ने दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और हरियाणा को यह निर्देश पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा पांच के तहत दिए हैं।

50 हजार रुपये का देना होगा जुर्माना 

एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा की ओर से विगत 16 सितंबर को जारी आदेश में कहा गया है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रतिमा विसर्जन की अनुमति नहीं दी जाएगी। शासनादेश के अनुसार गणेश चतुर्थी, विश्वकर्मा पूजा, दशहरा, दीपावली, छठ पूजा और सरस्वती पूजा के खत्म होने के सात दिनों के अंदर राज्य सरकारों को अपनी कार्रवाई रिपोर्ट का लिखित ब्योरा देना होगा। नए निर्देशों के मुताबिक अगर कोई भी इस नियम का उल्लंघन करता पाया गया तो पर्यावरण हर्जाने के तौर पर उसे 50 हजार रुपये की रकम चुकानी होगी। यह रकम राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एकत्र करके केंद्र को देनी होगी।

नदी तटों और घाटों की घेराबंदी करने के निर्देश

:स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन के नए नियमों को अमल में लाने का जिम्मा जिला मजिस्ट्रेटों को सौंपा गया है। नदियों और उनके तटों पर प्रतिमाओं के विसर्जन को रोकने के लिए नदी तटों और घाटों की घेराबंदी करने के निर्देश दिए गए हैं। नदी तटों पर सजावट का सामना, पूजा सामग्री और फूलों को डालने के लिए अलग-अलग कई डिब्बे रखे होंगे। ताकि इन सब सामग्रियों को नही में जाने से रोकने के साथ ही रीसाइकिल किया जा सके। प्रतिमाओं के विसर्जन के 48 घंटे के अंदर ही स्थानीय निकायों को इन सामग्रियों को एकत्र कर उनका निस्तारण करना होगा। इसके साथ ही स्थानीय समुदायों को नई गाइडलाइनों से वाकिफ कराने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

त्योहारों के लिए अस्थाई तालाब

नई व्यवस्था के मुताबिक नदी तटों और घाटों को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए विभिन्न त्योहारों पर परंपराओं के निर्वहन के लिए अलग से समुचित व्यवस्था करने को कहा गया है। नगरपालिका या नगर निगम की किसी जमीन पर या फिर गंगा नदी के तट या उसकी सहायक नदियों के पास नामित प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए छोटे अस्थायी तालाब बनाए जाएं। इन तालाबों के आधार में अस्थाई सिंथेटिक लाइनर लगाए जाएं। ताकि वह जमीन पानी एकत्र होने से खराब न हो। इसके लिए भी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को सिंथेटिक सामग्री से बनाने पर रोक रहेगी। इन प्रतिमाओं बायोडिग्रेडिब पेंट लगाने पर भी प्रतिबंध कायम रहेगा।

जल की गुणवत्ता में कमी पर अध्ययन

जल की गुणवत्ता में कमी आने पर अध्ययन करने के लिए भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) ने इस संबंध में उत्तराखंड, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के अधिकारियों के साथ विगत 12 सितंबर को एक अहम बैठक की है। साथ ही उन सभी को गंगा और उसकी सहायक नदियों जैसे अलकनंदा, भागीरथी, मंदाकिनी, नंदाकिनी, घाघरा, गंडक, सोन, धौलगंगा आदि में प्रतिमाओं और पूजा सामग्री का विसर्जन नहीं करने के नियम को सख्ती से लागू करने को कहा है।

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